By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 19, 2022
नयी दिल्ली| आम धारणा के उलट अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजलीचालित वाहनों का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) वाई एस चक्रवर्ती ने सोमवार को यह बात कही। चक्रवर्ती ने कहा कि इन क्षेत्रों में सब्सिडी वाली बिजली की वजह से लोगों की वाहन चलाने की लागत घटी है।
यही वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहन यहां तेजी से अपनी पैठ बना रहे हैं। दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री अभी तक कोविड-पूर्व स्तर पर नहीं लौटी है और पेट्रोल महंगा होने के कारण कम ही लोग खरीदारी कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों से वाहनों की अधिक मांग आ रही है।
चक्रवर्ती ने पीटीआई-से कहा, ‘‘अच्छी बात यह है कि ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की अधिक मांग आ रही है। धारणा यह थी कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर शहरी केंद्रों तक ही सीमित रखा जाएगा, लेकिन ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों से भी अधिक मांग आ रही है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से क्योंकि यहां बिजली पर सब्सिडी दी जाती है।’’ चक्रवर्ती ने कहा कि जून में दोपहिया वाहनों की अच्छी बिक्री हुई है लेकिन कुल बिक्री अब भी कम है। कुल बिक्री महामारी-पूर्व स्तर पर नहीं पहुंच सकी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पिछले 12 से 16 महीनों में दोपहिया वाहन भी लगभग 20 प्रतिशत महंगे हुए हैं।
पेट्रोल की ऊंची कीमतों के कारण भी ग्राहक खरीद टाल रहे हैं। चक्रवर्ती ने कहा कि ईवी वाहनों की अधिकतम मासिक बिक्री 50,000 इकाई है, जबकि इंटरनल कम्बशन (आईजी) इंजन वाले दोपहिया वाहनों की मासिक बिक्री नौ से 10 लाख इकाई है।
ऐसे में अभी इसमें काफी अंतर है और ये आईजी इंजन वाले वाहनों के लिए चुनौती नहीं बन पाए हैं। इस साल जुलाई में अबतक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 10,000 इकाई और आईसी इंजन वाले वाहनों की बिक्री 3,63,000 रही है।