By Anoop Prajapati | Dec 25, 2024
ईस्ट दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा सीट की गिनती पिछले एक दशक से राजधानी की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में होती रही है। राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े चेहरे मनीष सिसोदिया 2013 से लगातार तीन बार इसी सीट से चुनाव जीतकर के विधायक बने। हालांकि, इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदल दी है और उन्हें जंगपुरा से उम्मीदवार बनाया है। उनकी जगह अवध ओझा को मैदान में उतारा गया है। जिनकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वे दिल्ली में यूपीएससी की कोचिंग चलाते हैं।
तो वहीं, कांग्रेस ने पूर्व विधायक अनिल चौधरी को फिर से मैदान में उतारा है। अब तक भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने किसी भी उम्मीदवार की घोषणी नहीं की है, लेकिन इतना तय है कि 10 साल बाद पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र के लोगों को निश्चित रूप से नया विधायक मिलेगा। लेकिन सबकी नजर इसी बात पर होगी कि वह किस पार्टी का होगा? पिछली बार की तरह इस बार भी मुकाबला कड़ा और रोचक होने की उम्मीद है।
मतदाताओं की भूमिका होगी अहम
मिक्स आबादी और शहरी इलाका होने के चलते यहां जीत-हार के लिए कोई एक फैक्टर काम नहीं करता है। इसके साथ ही कोई बड़ा जातिगत समीकरण यहां हावी होता नहीं दिखाई देता है। ज्यादातर वोटर अपने उम्मीदवार, पार्टियों के प्रति अपने झुकाव, राजनीतिक दलों के द्वारा किए गए चुनावी वादों या मौजूदा विधायक के परफॉर्मेंस के आधार पर वोट करते रहे हैं। यहां करीब 15 प्रतिशत पूर्वांचली और लगभग इतने ही प्रतिशत उत्तराखंडी वोटर हैं। वहीं, गुर्जर वोटरों की तादाद भी 8 से 10 प्रतिशत के बीच है और लगभग इतने ही दलित वोटर्स भी हैं।
क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के वोटरों की तादाद भी 20 प्रतिशत से अधिक हैं, तो करीब 10-12 प्रतिशत ब्राह्मण और 5-6 प्रतिशत मुस्लिम वोटर भी हैं। यही वजह है कि यहां चुनाव में ज्यादातर कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। चाहे, वह बीजेपी और कांग्रेस के बीच रही हो या बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच रही हो। लहर वाली बंपर यहां जीत केवल 2015 के चुनाव में ही दिखाई दी थी।
जानिए क्षेत्र के चुनावी मुद्दे
आम आदमी पार्टी के कब्जे वाली पटपड़गंज में पीने के साफ पानी की समस्या एक बड़ा गंभीर मुद्दा है। सिर्फ झुग्गी झोपड़ियों और अनधिकृत कॉलोनियों में ही नहीं बल्कि डीडीए फ्लैट्स और अपार्टमेंट में भी लोग गंदे पानी की सप्लाई को लेकर भी आमतौर पर शिकायत करते रहते हैं। कई जगह तो लोग साफ पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं। झुग्गी बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में सफाई व्यवस्था और सीवर की समस्या भी एक बड़ा मुद्दा है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भी स्थिति लचर है।
इस इलाके में कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है। गरीब तबके के ज्यादातर लोग पास के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल पर निर्भर हैं, जहां भारी भीड़ रहती है। पटपड़गंज की कॉलोनियों में बारिश के समय जलभराव एक बड़ी समस्या है। कई जगह सड़कों की हालत भी खस्ता है। हाइवे से सटे कुछ इलाकों में ट्रैफिक जाम की भी समस्या है। इलाके में ड्रग्स की बिक्री और स्नेचिंग की बढ़ती वारदातें भी लोगों की चिंता का विषय है।
पटपड़गंज के राजनीतिक समीकरण
आप के गठन से पहले लंबे समय तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के शासन काल में परिसीमन के बाद 2008 में कांग्रेस के अनिल चौधरी और उनसे पहले अमरीश गौतम दो बार यहां से विधायक रहे। उस समय यह रिजर्व सीट थी। बीजेपी ने केवल एक बार 1993 में यह सीट जीती थी। हालांकि, पिछली बार यहां मुकाबला बहुत कड़ा रहा था। 2015 में मनीष सिसोदिया ने 28 हजार वोट से यहां चुनाव जीता था, जो इस सीट पर जीत का अब तक का सबसे बड़ा मार्जिन था, लेकिन पिछले चुनाव में वह महज 3 हजार वोट के अंतर से ही सीट बचा पाए थे।
विधानसभा क्षेत्र की लोकेशन
इस विधानसभा क्षेत्र में कई समुदायों को क्षेत्रों के लोग रहते हैं। यहां एक तरफ आईपी एक्सटेंशन, मयूर विहार फेज-1 और मयूर विहार एक्सटेंशन स्थित सैकड़ों ग्रुप हाउसिंग सोसायिटियां हैं, तो दूसरी तरफ फेज-1 और फेज-2 के डीडीए फ्लैट्स का कुछ हिस्सा भी इसमें आता है। यहां पटपड़गंज, चिल्ला, कोटला और खिचड़ीपुर जैसे अर्बन विलेज भी हैं, तो ईस्ट विनोद नगर, वेस्ट विनोद नगर, शशि गार्डन, आचार्य निकेतन, प्रताप नगर, पी पांडव नगर, मंडावली, कल्याणवास जैसी कॉलोनियां भी हैं। इसके अलावा जवाहर मोहल्ला, आदर्श मोहल्ला, हरिजन बस्ती, खोखा पटरी कैंप, रामप्रसाद बिस्मिल कैंप, महात्मा गांधी कैंप जैसी झुग्गी बस्तियां भी हैं।