By अभिनय आकाश | Oct 13, 2022
गुजरात में विधानसभा चुनाव होने है और इस सियासी जंग में सरदार पटेल का जिक्र होना तो लाजिमी है। लेकिन सरदार पटेल का जिक्र होगा तो नेहरू की भी चर्चा होगी। आणंद में प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक ऐसा ही किया। पटेल की तारीफ की और कश्मीर समस्या के लिए बिना नाम लिए नेहरू को घेर लिया। प्रधानमंत्री के बायन के बाद अब बारी थी कांग्रेस की और जयराम रमेशन ने मोर्चा संभाला। उन्होंने पीएम मोदी पर सच्चे इतिहास को झूठलाने का आरोप लगाया। अब कांग्रेस ने सीधे पीएम को घेरा तो मैदान में कानून मंत्री किरेन रिजीजू की एंट्री हो गई। उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से 6 ट्वीट की पूरी सीरिज पोस्ट कर दी और कहा कि नेहरू ने खुद लोकसभा में कश्मीर के विलय को लेकर जो बातें कहीं पीएम मोदी के आरोप उसी पर आधारित हैं। किरेन रिजीजू ने नेहरू के लोकसभा में दिए भाषण का स्कीनशार्ट अटैच करते कर दिया।
वैसे तो पटेल बनाम नेहरू की लड़ाई पुरानी है और गुजरात चुनाव में एक बार फिर परवान चढ़ने भी लगी है। अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को लेकर नेहरू को घेरा तो जयराम रमेश एक बार फिर सामने आए। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि नेहरू ने नोटबंदी की तरह तानाशाही तरीके से संविधान में धारा 370 नहीं डाली बल्कि इस पर चर्चा हुई। पटेल, अम्बेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कोई आपत्ति नहीं की। जम्मू-कश्मीर में काम कर चुके अय्यंगार ने इसका मसौदा तैयार किया था। इस पर किसी ने इस्तीफा नहीं दिया। अमित शाह अपने साहब की तरह ही झूठ के सुपरस्प्रेडर हैं।
किरेन रिजिजू ने किए 6 ट्वीट
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कश्मीर मुद्दे पर जवाहरलाल नेहरू पर परोक्ष रूप से हमले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना किए जाने पर कांग्रेस पर पलटवार किया और कहा कि भारत अब भी ‘‘नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है।’’ रीजीजू ने सिलसिलेवार ट्वीट में नेहरू से जुड़े मुद्दे पर कहा कि ऐतिहासिक झूठ कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था, जवाहर लाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए बहुत लंबे समय तक चला है। रीजीजू ने लोकसभा में नेहरू के 24 जुलाई, 1952 के भाषण का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराजा हरि सिंह ने पहली बार भारत में जम्मू कश्मीर के विलय के लिए आजादी से एक महीने पहले ही जुलाई 1947 में नेहरू से संपर्क किया था, और यह नेहरू थे जिन्होंने महाराजा की बात को अस्वीकार कर दिया। कानून मंत्री ने कहा, और जयराम रमेश, न केवल नेहरू ने जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, बल्कि नेहरू अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे। यह तब था जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के कई किलोमीटर अंदर पहुंच गए थे ... कश्मीर को एकमात्र अपवाद क्यों बनाया गया था नेहरू द्वारा ... सच तो यह है कि भारत अभी भी नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है।
नेहरू की वजह से कश्मीर में ‘समस्या’ खड़ी हुई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़कर जम्मू-कश्मीर में ‘समस्या पैदा’ की लेकिन नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले प्रावधान को 2019 में समाप्त कर उसे समाप्त किया। शाह ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 लागू करने की जवाहर लाल नेहरू की गलती के कारण कश्मीर समस्याओं में फंसा था... उसे बाकी देश के साथ आसानी से शामिल नहीं किया जा सकता था। सभी चाहते थे कि अनुच्छेद 370 को हटा दिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक झटके में उसे हटा दिया और कश्मीर को बाकी देश के साथ एकजुट कर दिया।