देश में शोध एवं विकास गतिविधियों की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से लखनऊ स्थित सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) ने एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एसीएसआईआर) के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का का लक्ष्य विभिन्न चिन्हित विषयों/संकायों में परस्पर तालमेल एवं आपसी सहयोग बढ़ाकर शोध एवं विकास की क्षमता बढ़ाना है। इससे विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में पीएचडी डिग्रियां प्रदान करने की राह खुलेगी।
सहमति पत्र पर सीबीएमआर के निदेशक डॉ आलोक धवन और एसीएसआईआर के निदेशक डॉ राजेंद्र सिंह सांगवान ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एसीएसआईआर में वरिष्ठ प्रबंधक अर्पिता सेनगुप्ता के अलावा सीबीएमआर के डीन नीरज सिन्हा और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विश्वनाथ मेथी भी उपस्थित रहे।
सीबीएमआर स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक स्वायत्त केंद्र है। यह केंद्र किसी रोग विशेष के द्योतक बायोमार्कर्स की पहचान और उसके नैदानिक और व्यावहारिक सत्यापन का काम करता है। सीबीएमआर में कई उत्कृष्ट उपकरण है, जिनमें (एलएमआर 400 600-800 मेगाहर्ट्ज-सलूशन एंड सॉलिड स्टेट) के अलावा 3डीएफएमआरआई जैसे विकल्प उपलब्ध हैं, जो अन्य विश्लेष्णात्मक सुविधाओं के अलावा अकादमिक और उद्योग जगत को शोध एवं सहयोग आधारित साझा-सृजन के लिए एक मंच उपलब्ध कराते हैं।
सीबीएमआर को आधारभूत, क्लीनिकल और ट्रांजिशनल शोध के प्रोत्साहन, विकास, मार्गदर्शन और समन्वय का दायित्व मिला हुआ है। साथ ही अंतर विषयक शोध एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और बेहतर उपचार के लिए उत्कृष्ट तकनीक तंत्र के लिए परिवेश उपलब्ध कराना भी इस केंद्र की जिम्मेदारी है।
एसीएसआईआर एक राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। इसकी स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा हुई है। इसका उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र में क्वालिफाइड यानी योग्य शोधार्थी एवं पेशेवरों की संख्या में वृद्धि करना है। यह संस्थान एक अनुकूल परिवेश के माध्यम से देश की भावी वैज्ञानिक प्रतिभाओं को निखारने एवं उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के मिशन में जुटा है।
वर्तमान में सीएसआईआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं से जुड़े 2514 संकाय सदस्य और 36 एक्जंक्ट फैकल्टी सदस्य इस अकादमी का हिस्सा हैं। साथ ही 5000 छात्र विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत पंजीकृत हैं। वहीं सीबीएमआर उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान है जिसे एसीएसआईआर ने मान्यता प्रदान करने की पहल की है।