By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 30, 2017
पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि मार्मगाओ पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) में कोयला प्रबंधन परियोजना की मंजूरी केंद्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार ने दी थी और इस संबंध में वह विस्तृत जानकारी राज्य विधानसभा के अगले सत्र में पेश करेंगे। गोवा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने हाल में एमपीटी में कोयला प्रबंधन परियोजना के खिलाफ विरोध प्रकट किया था। एमपीटी में इस कोयला परियोजना को प्रदूषण फैलाने के मुद्दे पर कुछ वर्गों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सीएलपी ने नदियों के राष्ट्रीयकरण के खिलाफ भी अपना विरोध प्रकट किया था।
विपक्षी पार्टी सरकार पर एमपीटी में कोयला प्रबंधन परियोजना का बचाव करने का आरोप लगा रही है, जिसे अदाणी मार्मगाओ पोर्ट टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड और साउथ वेस्ट पोर्ट लिमिटेड को लीज पर दिया गया है। पर्रिकर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि एमपीटी में कोयला प्रबंधन की अनुमति जनवरी 2014 में दी गयी थी और तब केंद्र में कांग्रेस सत्ता में थी।
एमपीटी केंद्र सरकार द्वारा शासित है। विभिन्न नगरपालिकाओं एवं पंचायत संस्थाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे पार्टी नेताओं के साथ बैठक को संबोधित करने के बाद पर्रिकर ने कहा, ‘‘वे ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि अदाणी (समूह) भाजपा का पसंदीदा है, जो सच नहीं है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कोयला परियोजना के विस्तार का विरोध किया है और इस संबंध में उसने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा है। गोवा विधानसभा का सत्र अगले महीने के दूसरे सप्ताह में शुरू होने की संभावना है।
गोवा की नदियों को राष्ट्रीय जलस्रोत के तौर पर घोषित करने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने समझौता ज्ञापन (एमओयू) के बारे विस्तार से बताने के लिये इस संबंध में 11 दिसंबर को सभी विधायकों एवं गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की बैठक बुलायी है। समझा जाता है कि इस एमओयू पर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के साथ उनकी सरकार हस्ताक्षर करने वाली है। उन्होंने कहा, ‘‘एमओयू को हमारे नियम एवं शर्तों पर स्वीकार किया जा सकता है। सभी विधायकों एवं एनजीओ को इस बारे में बताया जाएगा।'