संसद की एक समिति ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के कामकाज का अध्ययन करने का निर्णय किया है तथा उसने विशेषज्ञों एवं आम लोगों से इसके बारे में सुझाव आमंत्रित किये हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े किये हैं। कानून एवं कार्मिक मामलों की संसदीय स्थायी समिति चुनाव सुधार के मुद्दे पर विचार कर रही है। इसी अध्ययन के तहत वह ईवीएम के कामकाज एवं उसके उन्नयन के बारे में भी समीक्षा करेगी। राज्यसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी है।
समिति ने विभिन्न पक्षों से इन ईवीएम के बारे में सुझाव मांगे हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले माह भाजपा की भारी जीत के बाद विभिन्न विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े किये हैं। इस बारे में आम आदमी पार्टी के प्रमुख एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी विभिन्न सन्देह प्रकट किये हैं। चुनाव आयोग ने भी लोगों को यह खुली चुनौती देने का निर्णय किया है कि वे ईवीएम को हैक करके दिखायें ताकि सभी सन्देहों को दूर किया जा सके। आयोग के सूत्रों ने कहा था कि राजनीतिक दलों एवं विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा कि वे ईवीएम को हैक करने का प्रयास कर सकते हैं। आयोग ने अभी तक तारीख तय नहीं की है किंतु यह मई के पहले हफ्ते में हो सकता है और यह चुनौती दस दिन तक जारी रह सकती है। वर्ष 2009 में भी इसी तरह देश भर से लायी गयी 100 मशीनों को विज्ञान भवन में रखा गया था।