By अंकित सिंह | Dec 13, 2023
लोकसभा में सुरक्षा चूक की घटना को लेकर मैसूरु कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा के लोकसभा सांसद प्रताप सिम्हा के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। बाद में उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी कोडागु-मैसूर के सांसद प्रताप सिम्हा के उस आरोपी के साथ संबंध पर सवाल उठाया, जो आगंतुक गैलरी से लोकसभा में कूद गया और पीले धुएं के कनस्तरों के साथ सदन के अंदर भाग गया, जिससे सदस्यों के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा पैदा हो गया। चूंकि आरोपियों के विजिटर पास पर कथित तौर पर सांसद प्रताप सिम्हा के हस्ताक्षर हैं, सिद्धारमैया ने कहा कि इस तरह की लापरवाही भरा कृत्य दंडनीय अपराध है।
सुरक्षा उल्लंघन की निंदा करते हुए सिद्धारमैया ने कहा, 'यह राहत की बात है कि संसद के सभी सदस्य सुरक्षित हैं। कड़ी सुरक्षा के बावजूद ऐसी घटना का होना वाकई चौंकाने वाला घटनाक्रम है। साफ है कि ये सुरक्षा व्यवस्था में चूक है। यह केंद्र सरकार, विशेषकर गृह मंत्री का कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष जांच करें और घटना का पूरा विवरण जनता के सामने रखें।'' इसके बाद उन्होंने सिम्हा की आलोचना की और पूछा कि उन्होंने आरोपियों को पास कैसे जारी कर दिए। सिद्धारमैया ने कहा रिपोर्टें सामने आ रही हैं कि आज संसद भवन पर हमला करने वाले युवाओं को मैसूर के सांसद प्रताप सिम्हा ने पास दिए थे। अगर ये खबरें सच हैं तो इसका मतलब ये है कि ये युवक सांसद के परिचित रहे होंगे। यदि वे परिचित नहीं थे तो अजनबियों को पास कैसे जारी कर दिए गए? यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लापरवाही के अनजाने कार्य भी कानून के तहत दंडनीय हैं।
सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि 22 साल पहले संसद पर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले की बरसी पर सुरक्षा उल्लंघन पर कई सवालों के जवाब देने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “ये युवा धुएं के कनस्तरों के साथ संसद में प्रवेश करने में कैसे कामयाब रहे? क्या इस कृत्य में कोई अंदरूनी सूत्र शामिल था? क्या युवकों की हरकत के पीछे किसी बाहरी ताकतों का हाथ हो सकता है? जब देश की संसद की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती तो देश की सीमाओं की सुरक्षा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। इन सभी सवालों का जवाब देने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है।''