By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 16, 2020
नयी दिल्ली। गुजरात के जामनगर में स्थित आयुर्वेद संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने के मकसद से लाए गए एक विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई। आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान विधेयक, 2020 बुधवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा पिछले सत्र में यह विधेयक पारित कर चुकी है। विधेयक में जामनगर स्थित गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न आयुर्वेद संस्थानों का विलय कर राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। तीन आयुर्वेदिक संस्थानों- स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान, गुलाबकुंवेरबा आयुर्वेद महाविद्यालय और आयुर्वेद औषधि विज्ञान संस्थान के विलय का विधेयक में प्रस्ताव किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने समाज और दुनिया भर की स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने के लिए आयुर्वेद तथा इसकी उपयोगिता की सराहना की। उन्होंने कहा देश में आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जिसमें परंपरागत ज्ञान निहित हैं। मंत्री ने कहा आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकार ने चिकित्सकीय पौधों उत्पादन और किसानों को सहयोग देने के लिए 40,000 करोड रुपये की मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि जामनगर संस्थान का चयन मनमानीपूर्ण तरीके से नहीं किया गया बल्कि उद्देश्यात्मक तरीके से इसे चुना गया क्योंकि 1956 में स्थापित यह संस्थान इस श्रेणी में सबसे पुराने संस्थानों में से एक है।
हर्षवर्धन ने कहा कि आयुर्वेद विधा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ यह संस्थान लंबे समय से समन्वय करता आ रहा है और पिछले 20 साल में इसने करीब 65 देशों के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया है। मंत्री ने कहा कि पिछले 20 साल में इस संस्थान ने विभिन्न देशों के साथ 30 समझौते किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संस्थान में एक समिति होगी जिसमें गुजरात सरकार के आयुष मंत्री, आयुष सचिव और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव लोकसभा के दो सांसद तथा राज्यसभा के एक सांसद शामिल होंगे।