By अनुराग गुप्ता | Jul 27, 2022
संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण जारी गतिरोध आठवें दिन भी कायम रहा और तीन बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में अशोभनीय आचरण को लेकर आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह को शुक्रवार तक के लिए निलंबित कर दिया गया। जबकि बीते दिनों 19 विपक्षी सांसदों पर पहले ही गाज गिर चुकी थी। ऐसे में विपक्षी दलों के निलंबित सांसदों ने संसद परिषद में मौजूद गांधी प्रतिक्षा के सामने 50 घंटे का धरना शुरू किया।
सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने सूचित किया कि आठ सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दे कर नियत कामकाज स्थगित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि ये नोटिस उन्होंने स्वीकार नहीं किए हैं। सभापति ने कहा कि सदस्यों का मुख्य मुद्दा महंगाई है और शून्यकाल के दौरान सदस्य इस मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं। इस पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और हंगामा शुरू कर दिया।
इसी बीच संभावना जताई गई कि अगले सप्ताह महंगाई के मुद्दे पर उच्च सदन में चर्चा हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में सभापति एम. वेंकैया नायडू की विपक्ष के नेताओं और संबंधित मंत्रियों के साथ हुई बैठकों में व्यापक सहमति बनी है।
क्या सांसदों का निलंबन होगा वापस ?
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अगर निलंबित विपक्षी सांसद माफी मांग लें और आश्वासन दें कि वे सदन में तख्तियां नहीं दिखाएंगे तो आसन उनके निलंबन को वापस ले सकता है। संसद में अशोभनीय व्यवहार करने और आसन की अवमानना करने के मामले में राज्यसभा के 20 और लोकसभा के चार सदस्यों को निलंबित किया गया है। प्रह्लाद जोशी ने संसद भवन परिसर में कहा कि हम कहते आ रहे हैं कि सरकार महंगाई पर चर्चा को तैयार है और आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड से उबरने के बाद कामकाज फिर से संभाल लिया है। अगर विपक्ष चाहे तो आज से ही चर्चा शुरू करा सकते हैं।
सरकार ने राज्यसभा में कहा कि पिछले दिनों अचानक आई बाढ़ के कारण 15 अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई लेकिन किसी व्यक्ति के लापता होने की सूचना नहीं है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को यह जानकारी दी। उनसे सवाल किया गया था कि जुलाई में पवित्र अमरनाथ यात्रा के दौरान अचानक आई बाढ़ के कारण कितने तीर्थयात्रियों ने अपनी जान गंवाई।
CAPF में 84,405 पद रिक्त
सरकार ने राज्यसभा में कहा कि विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में 84,405 पद रिक्त हैं और उन्हें दिसंबर 2023 तक भरने का निर्णय लिया गया है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीएपीएफ में कुल 10,05,779 पद स्वीकृत हैं जिनमें 84,405 पद रिक्त हैं।
लोकसभा की कार्यवाही
महंगाई, जीएसटी, अग्निपथ समेत तमाम मुद्दों को लेकर लोकसभा में भी हंगामा हुआ। इसी बीच तृणमूल सांसद सौगत राय ने सरकार से अनुरोध किया कि देशहित में अग्निपथ योजना को तत्काल वापस लिया जाए। राय ने लोकसभा में नियम 377 के तहत इस विषय को उठाते हुए कहा कि अग्निपथ योजना में युवकों को केवल चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। चार साल की सेवा के बाद केवल 25 प्रतिशत जवानों को 15 साल के लिए नियमित किया जाएगा तथा बाकी को सेवामुक्त कर दिया जाएगा।
टेलीविजन पर एक विज्ञापन में सेना के एक अधिकारी का कथित उपहास किए जाने के विषय को लोकसभा में उठाते हुए भाजपा के एक सदस्य ने इस तरह के विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। भाजपा सांसद राजेंद्र अगवाल ने सदन में नियम 377 के तहत इस विषय को उठाते हुए कहा कि टीवी पर एक मसाला कंपनी के विज्ञापन में सेना के एक अधिकारी को ‘विदूषक’ की तरह दिखाया जाता है। सैन्यकर्मियों को इस तरह उपहास का पात्र बनाना बिल्कुल उचित नहीं है और सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए तथा इस तरह के विज्ञापनों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक पारित
लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक पारित हो गया है। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक खिलाड़ियों द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के उपायों को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और जापान जैसे देशों ने पहले ही डोपिंग रोधी कानून अपना लिया था। अब भारत भी इन देशों में शामिल होगा, जिसके पास अपना डोपिंग रोधी कानून और परीक्षण प्रयोगशालाएं होंगी।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद प्रतिमा मंडल ने लोकसभा में दावा किया कि देश में नफरत और हिंसा का माहौल बढ़ाया जा रहा है और इसे सत्तापक्ष की शह मिल रही है। इस पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा कि तृणमूल सांसद ने सदन में झूठ बोला है और गुमराह किया है क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है तथा इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार पूरी तरह विफल रही है।