By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 31, 2021
तोक्यो। पिछले चार वर्षों में अमित पंघाल (52 किग्रा) का प्रदर्शन इतना शानदार रहा है कि किसी को भी उनके हारने की उम्मीद नहीं थी लेकिन शनिवार को उन्हें अपने करियर के पहले बड़े उलटफेर का सामना करना पड़ा और दुर्भाग्य से यह ओलंपिक के दौरान हुआ। दुनिया के नंबर एक फ्लाइवेट मुक्केबाज पंघाल का करियर इतने दबदबे वाला रहा है कि ऐसा शायद पहले कभी हुआ ही नहीं था। सेना का यह मुक्केबाज रियो ओलंपिक के लाइट फ्लाईवेट रजत पदक विजेता कोलंबिया के युबेर्जन मार्तिनेज के खिलाफ आज सुबह जिस तरह से ‘बैक फुट’ पर गया, ऐसा कभी भी नहीं हुआ है।
भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफोरमेंस निदेशक सांटियागो निएवा की आवाज की निराशा महसूस की जा सकती थी, उन्होंने कहा, ‘‘हां, मुझे नहीं लगता कि उस पर इससे पहले किसी ने ऐसे दबदबा बनाया था। उसे जो भी हार मिली, उसमें करीबी अंतर रहता था, उसने ऐसा कभी नहीं होने दिया। ’’ तो क्या गलत हुआ, क्या यह कोलंबियाई मुक्केबाजी की फुर्ती थी? या उनके दमदार मुक्के थे? या फिर पंघाल इसके लिये तैयार नहीं थे? निएवा ने कहा, ‘‘इसके लिये एक कारण नहीं हो सकता। उसे शाम की बाउट पसंद है, वह शाम को खेलना पसंद करता है लेकिन यह भी अच्छा नहीं करने के लिये कोई बहाना नहीं है। जब हम इटली में थे तो उसे इस मुक्केबाज के खिलाफ सहयोगी के रूप में मुकाबले में भी परेशानी हुई थी और ऐसा तीनों मौकों पर हुआ था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह थक रहा था। अब आप इसे ‘कंडिशनिंग’ मुद्दा कह सकते हो लेकिन ऐसा किसी अन्य मुक्केबाज के खिलाफ कभी नहीं हुआ। वह कुछ विश्व स्तरीय मुक्केबाजों के खिलाफ खेला है और उन्हें हराया भी है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इटली के ट्रेनिंग टूर में इसी वर्ग के एशियाई रजत पदक विजेता दीपक कुमार को भी आजमाया था और वह भी इस कोलंबियाई के खिलाफ बुरी तरह जूझ रहा था। मार्तिनेज काफी दमदार मुक्केबाज है। ’’
इतनी शानदार तैयारियों के बाजवूद देश के पांच पुरूष मुक्केबाजों का यह निराशाजनक प्रदर्शन रहा। केवल सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) ही अपना शुरूआती मुकाबला जीत पाये हैं और उन्हें दो कट लग चुके हैं जिसका सोमवार को मौजूदा विश्व चैम्पियन बखोदिर जालोलोव के खिलाफ होने वाले मुकाबले में असर पड़ सकता है। विकास कृष्ण (69 किग्रा), मनीष कौशिक (63 किग्रा) और आशीष चौधरी (75 किग्रा) पहले ही शुरूआती मुकाबला गंवाकर बाहर हो चुके हैं। लेकिन पंघाल का बाहर होना सबसे दर्दनाक रहा। वह पदक के प्रबल दावेदार के रूप में आये थे और पहले ही मुकाबले के बाद बाहर हो गये। निएवा ने स्वीकार किया कि कोलंबियाई मुक्केबाज ने फुर्ती और आक्रामकता में हरियाणा के मुक्केबाज को कहीं नहीं टिकने दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वह एक मिनट में 100 पंच जमा रहा था। अमित इस तेजी को बरकरार नहीं रख सके और ऐसा पहली बार हुआ है क्योंकि वह आमतौर पर दबदबा बना लेता है। ’’
पंघाल के नाम इतनी उपलब्धियां हैं, वह पिछले चार वर्षों में भारत के सबसे सफल मुक्केबाज रहे हैं। उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में देश को पहला रजत पदक और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया। वह जब भी एशियाई चैम्पियनशिप में उतरे, उन्होंने हर बार पदक जीता जिसमें स्वर्ण पदक भी शामिल है। निएवा ने कहा, ‘‘लेकिन हम चीजों को काले या सफेद रंग में देखते हैं। हार हमेशा दर्द देती है और यही दुख देता है, वह भी बहुत दुखी है। सही चीज यही होगी कि इस हार को भूलकर फिर से ध्यान लगाये, गलतियों से सीख लें। यही तरीका है क्योंकि कुछ ही महीनों में विश्व चैम्पियनशिप होगी। ’’ राष्ट्रीय मुख्य कोच सी एक कुटप्पा का कहना है कि उन्हें आगे काफी आलोचना का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे और वो भी मुक्कबाजों से लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हम निराश हैं। मैं समझ सकता हूं कि आलोचना होगी और हमें उसे स्वीकार करना होगा।