By अभिनय आकाश | Apr 11, 2025
मुंबई में हुए घातक आतंकवादी हमलों में 166 लोगों की मौत के 16 साल से ज़्यादा समय बाद, आतंकी साजिश के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार गिरफ़्तार कर लिया गया है और उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया है। भारत और अमेरिका के बीच कई सालों की कूटनीतिक और कानूनी कार्यवाही के बाद, राणा को भारत लाया गया, जहाँ उसे एक विशेष एनआईए अदालत में मुक़दमा चलाना होगा। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पुष्टि इस साल फ़रवरी में हुई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि उसे भारत को सौंप दिया जाएगा। अमेरिका में सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद, 16 साल पुराने जख्मों को न्याय दिलाने की दिशा में यह बड़ा कदम माना जा रहा है। तहव्वुर के प्रत्यर्पण को मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के दौरान ही सभी जरूरी दस्तावेज दे दिए गए थे।
भारत के गृह सचिव पाकिस्तान में थे मौजूद
26 नवंबर 2008 का दिन था। पाकिस्तान से 10 आतंकी हथियारों से लैस होकर समुद्र के रास्ते भारत की सीमा में दाखिल हुए। लेकिन भारत के खिलाफ जिस वक्त इतनी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया जा रहा था, उस वक्त केंद्र के गृह सचिव पाकिस्तान में मौजूद थे। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में जब 26/11 हमलों को अंजाम दिया, तब तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता के वास्ते इस्लामाबाद में था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 26 नवंबर 2008 को जब आतंकवादी पाकिस्तान से अरब सागर के रास्ते मुंबई पहुंचे तो उस समय गुप्ता द्विपक्षीय गृह सचिव स्तर की वार्ता में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में थे, जिसे तब समग्र वार्ता का नाम दिया गया था।
पाकिस्तानी मंत्री यात्रा पर होने के कारण उपलब्ध नहीं थे
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 26 नवंबर को अपने पाकिस्तानी समकक्षों के साथ वार्ता पूरी की थी। मौजूदा परंपरा के तहत भारतीय प्रतिनिधिमंडल को शिष्टाचार भेंट के लिए पाकिस्तान के गृह मंत्री से मिलना था। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल को कहा गया कि पाकिस्तानी मंत्री यात्रा पर होने के कारण उपलब्ध नहीं हैं और वह अगले दिन यानी 27 नवंबर को उनसे मिल सकते हैं। इसलिए टीम वहीं रुक गई। बाद में उसी दिन (26 नवंबर) भारतीय प्रतिनिधिमंडल को इस्लामाबाद के निकट खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र मुर्री ले जाया गया। उसी शाम आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला कर देश की सबसे भीषण आतंकी घटना को अंजाम दिया जिसमें 166 लोग मारे गए। जब यह खबर आई, तब गुप्ता मुर्री से दिल्ली में वरिष्ठ नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे।
पाकिस्तान ने दिया धोखा
पाकिस्तान गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल में गृह मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव, एक संयुक्त सचिव और कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल थे। टीम ने अगले दिन भारत वापस लौटने से पहले वह दुर्भाग्यपूर्ण रात मुर्री में बिताई। जब गुप्ता से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और बात करने में असमर्थ हैं। उस समय ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि पाकिस्तान ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को धोखा देकर उनका प्रवास एक दिन बढ़ा दिया होगा। वर्ष 2008 के उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन गुप्ता की अनुपस्थिति में गृह मंत्रालय में तत्कालीन विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) एम एल कुमावत गृह मंत्रालय के मामलों को संभाल रहे थे और तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल की सलाह के अनुसार संबंधित एजेंसियों को प्रारंभिक निर्देश दे रहे थे। पाटिल ने बाद में इस्तीफा दे दिया था। आईपीएस अधिकारी कुमावत को तत्कालीन संयुक्त सचिव नवीन वर्मा और कुछ अन्य अधिकारियों ने सहायता प्रदान की थी।