By अंकित सिंह | Aug 21, 2020
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। दोनों देशों के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख को खारिज कर दिया। दरअसल, पाकिस्तान ने कश्मीर विषय पर इस्लामिक सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने का आग्रह किया था लेकिन संगठन ने उसकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया। इससे खफा होकर पाकिस्तान ने धमकी दे दी और कहा कि वह अलग से भी इस बैठक को बुला सकता है। पाकिस्तान का यह रुख सऊदी अरब को नागवार गुजरा। यही कारण है कि फिलहाल दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई है। हालांकि पाकिस्तान इस तल्खी को कम करने की कोशिश में है। वह कैसे भी करके सऊदी अरब को अपने पक्ष में रखना चाहता है लेकिन यह होता हुआ नहीं दिख रहा।
दोनों देशों के बीच रिश्ते इतने तल्ख हो गए है कि सऊदी ने तो पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज चुकाने को कह डाला। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा इन्हीं सब मसलों को सुलझाने के लिए सऊदी अरब गए थे लेकिन वहां से उन्हें खाली हाथ वापस इस्लामाबाद लौटना पड़ा। बाजवा ने सऊदी अरब के क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया पर उन्हें सफलता नहीं मिली। सऊदी अरब के क्रॉउन प्रिंस ने दो टूक लहजे में पाकिस्तान आर्मी चीफ से मिलने से इनकार कर दिया। बाजवा की किरकिरी तब और भी हो गई जब सऊदी अरब ने ऐलान के बावजूद उसे सम्मानित करने से इंकार कर दिया। सऊदी दौरे पर गए बाजवा ने बाद में वहां के सेना प्रमुख से मुलाकात की।
सऊदी अरब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयानों से इतना नाराज है कि उसने 6.2 बिलियन डॉलर की फाइनेंसियल डील को भी रद्द कर दिया। सऊदी ने पाकिस्तान को दिए जा रहे उधार तेल और गैस पर भी रोक लगा दी। सऊदी ने अपने तल्ख तेवर को और तेज करते हुए पाकिस्तान को दिए कर्ज वापस मांगे है जिसके बाद पाकिस्तान ने चीन से एक अरब डॉलर उधार लेकर सऊदी अरब को वापस किए है। दुसरी ओर, शाह महमूद कुरैशी सऊदी अरब और भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन के दौरे पर है। उम्मीद जताई जा रही है कि वह एक बार फिर चीन के सामने गिड़-गिड़ाएंगे। सऊदी अरब पाकिस्तान से इतना नाराज है कि यह भी कहा जा रहा है कि शाह महमूद कुरैशी की कुर्सी जा सकती है। इस बात की भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं इमरान खान की ही कुर्सी खतरे में ना पड़ जाए। फिलहाल सऊदी अरब पाकिस्तान सेना के पूर्व चीफ जनरल राहील शरीफ को विदेश मंत्री या प्रधानमंत्री बनाने की फिराक में है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच की तनाव भारत की कूटनीतिक जीत है। दरअसल, पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन में ही अलग-थलग पड़ गया है। खाड़ी के देश पाकिस्तान से ज्यादा भारत का पक्ष ले रहे हैं। अब यह भी देखना होगा कि चीन पाकिस्तान की कितनी मदद कर पाता है। क्या चीन पाकिस्तान को समर्थन देकर सऊदी अरब से अपने रिश्ते खराब कर लेगा? आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को संकट के समय सऊदी अरब ने हीं मदद की थी। लेकिन उसके ही विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान ने पाकिस्तान को अब संकट में डाल दिया है। अरब के रुख को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वह इतनी आसानी से मानने वाला नहीं। ऐसे में आने वाला समय पाकिस्तान के लिए और भी संकट भरा रह सकता है। पाकिस्तान को अब सिर्फ और सिर्फ चीन से ही उम्मीद है।