By सुरेश डुग्गर | Feb 28, 2019
जम्मू। भारत-पाक के तनातनी का परिणाम सामने आने लगा है। खिजाई हुई पाक सेना ने एलओसी पर कई इलाकों में भारतीय सीमांत गांवों को सीजफायर के बावजूद गोलों की बरसात से पाट दिया है। इस ओर नुकसान हुआ है। जवाबी कार्रवाई में उस पार जबरदस्त नुकसान का दावा है। बीएसएफ ने उन कई गांवों में ब्लैकआउट के निर्देश दिए हैं जो पूरी तरह से इंटरनेशनल बार्डर से सटे हुए हैं। ब्लैकआउट के साथ ही सीमावासियों को रातें बंकरों में गुजारने के लिए कहा गया है। सीमावर्ती के पांच किमी के क्षेत्रों में स्कूल-कालेज पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
सेना सूत्रों ने बताया कि पाक सेना ने आज सुबह भी एलओसी से सटे राजौरी व पुंछ सेक्टरों के कई गांवों पर बिना किसी उकसावे के गोलाबारी आरंभ कर दी। अधिकारियों के मुताबिक, पाक सेना ने छोटे तोपखानों से गोले बरसाए। परिणामस्वरूप इन इलाकों में क्षति हुई है जिसका आकलन किया जा रहा है। रक्षाधिकारियों के मुताबिक, पाक सेना की गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जवाबी कार्रवाई से पाक क्षेत्रों में भारी तबाही हुई है। उनका कहना था कि भारतीय पक्ष ने हमेशा सैन्य क्षेत्रों को ही निशाना बनाया है पर पाक सेना ने हमेशा नागरिक ठिकानों पर ही गोलाबारी की है। जिसका परिणाम यह है कि राजौरी तथा पुंछ के उन गांवों से लोगों ने पलायन कर लिया जो एलओसी से सटे हुए हैं तथा जिन्हें पाक सेना ने अपना निशाना बनाया था।
जम्मू सीमा पर भी हालात बहुत खराब हो गए हैं। पाकिस्तान के साथ तनातनी और युद्ध के माहौल का परिणाम सीमावासी भुगतने लगे हैं। हालांकि जम्मू सीमा पर पिछले 24 घंटों से मुर्दा शांति का माहौल बना हुआ है पर लोग दहशतजदा जरूर हैं। उनकी दहशत को बीएसएफ के वे निर्देश भी बढ़ा रहे हैं जिनमें कहा गया है कि जम्मू सीमा के वे गांव रातों को ब्लैकआउट रखें जो पूरी तरह से जीरो लाइन से सटे हुए हैं। यही नहीं बीएसएफ ने इन गांवों के लोगांे को बंकरों में रात गुजारने तथा नए बंकर खोदने के निर्देश देकर अप्रत्यक्ष रूप से यह संकेत दिया है कि हालात बहुत खराब हैं।
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जानकारी के लिए जम्मू सीमा इंटरनेशनल बार्डर है पर पाकिस्तान इसे इंटरनेशनल बार्डर मानने को राजी नहीं है। वह इसे वर्किंग बाउंडरी कहता है। उसका कहना है कि 1947 के बंटवारे के समय तक यह सीमा पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर के महाराजा के बीच सीमा थी पर भारत के साथ जम्मू कश्मीर के विवाद के कारण आज तक उसने इसे इंटरनेशनल बार्डर का दर्जा नहीं दिया है। नतीजा सामने है। जम्मू सीमा से पलायन भी आरंभ हो गया है। लोग रातें बंकरों में गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। 21वीं सदी में वे ब्लैकआउट की स्थिति में रह रहे हैं। वह भी ऐसे समय में जबकि सीमा पर युद्ध की घोषणा नहीं हुई है और सीजफायर भी जारी है।