इस्लामाबाद| पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एक भारतीय अदालत द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में सजा सुनाए जाने की निंदा करते हुए बुधवार को कहा कि इस्लामाबाद कश्मीरियों को हर संभव सहायता प्रदान करना जारी रखेगा।
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के सबसे अग्रणी अलगाववादी नेताओं में से एक यासीन मलिक को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि इन अपराधों का मकसद ‘देश के विचार की आत्मा पर हमला करना’ और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को जबरदस्ती अलग करने का था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से कैद कर सकता है लेकिन वह कभी भी स्वतंत्रता के उस विचार को कैद नहीं कर सकता जिसका वह प्रतिनिधित्व करते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आजीवन कारावास कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को नयी गति प्रदान करेगा।’’ पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को पत्र लिखकर भारत से यह अपील करने का अनुरोध किया है कि वह कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी करे और जेल से मलिक की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पाकिस्तान कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ खड़ा है, उनके न्यायपूर्ण संघर्ष में हर संभव मदद करता रहेगा।’’
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने भी मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाये जाने की निंदा की और दावा किया कि यह सजा ‘‘मनगढ़ंत आरोप’’ के आधार पर सुनायी गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की ‘‘दमनकारी रणनीति कश्मीर के लोगों की उनके न्यायपूर्ण संघर्ष की भावना को कम नहीं कर सकती।’’
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने यहां भारत के प्रभारी उच्चायुक्त को तलब किया और मलिक को दी गई सजा पर पाकिस्तान की निंदा से अवगत कराया। इसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कश्मीर में ‘‘बिगड़ती स्थिति’’ का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए भारत पर दबाव बनाना चाहिए। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने पहले एक बयान में कहा था कि विदेश मंत्री ने कश्मीर की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के लिए पाकिस्तान के चल रहे प्रयासों के तहत 24 मई को बैश्लेट को पत्र भेजा था।
इसके अलावा, बिलावल ने ओआईसी (इस्लामी सहयोग संगठन) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा को एक पत्र लिखकर उन्हें ‘‘कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवीय स्थिति’’ से अवगत कराया।
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू कश्मीर देश का ‘‘हमेशा से अभिन्न अंग रहा है और हमेशा बना रहेगा।’’ भारत ने पाकिस्तान को वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी सभी दुष्प्रचार को रोकने की भी सलाह दी है।
नयी दिल्ली ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह इस्लामाबाद के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी के संबंध चाहता है।