By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 18, 2019
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाये जाने के बाद पाकिस्तानी सेना के उनका सार्वजनिक रूप से समर्थन किये जाने के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने इस ‘‘अनुचित’’ फैसले के खिलाफ एक अपील की सुनवाई के दौरान सेवानिवृत्त जनरल का बचाव करने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में यहां की एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय द्वारा चिकित्सा इलाज के लिए उन्हें देश से बाहर जाने की अनुमति दिये जाने के बाद वह 2016 से दुबई में रह रहे हैं।विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने 76 वर्षीय मुशर्रफ को लंबे समय से चल रहे देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई थी। उन पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवम्बर 2007 में संविधानेतर आपातकाल लगाने का आरोप था।
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यह मामला 2013 से लंबित था। मुशर्रफ को सजा सुनाये जाने के बाद पाकिस्तान सेना ने कहा था कि पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ कभी भी ‘‘देशद्रोही नहीं हो सकते’’ और उनके खिलाफ विशेष अदालत के फैसले से ‘‘पाकिस्तान की सशस्त्र सेना को काफी दुख हुआ है।’’ सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक बयान में कहा था, ‘‘पूर्व सैन्य प्रमुख, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने 40 वर्षों से ज्यादा समय तक देश की सेवा की। देश की रक्षा के लिए युद्ध लड़ने वाला निश्चित तौर पर देशद्रोही नहीं हो सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान की सशस्त्र सेना उम्मीद करती है कि पाकिस्तानी इस्लामी गणतंत्र के मुताबिक न्याय किया जाएगा।’’ पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी सैन्य प्रमुख को देशद्रोही करार देकर मौत की सजा सुनाई गई है। सेना के सार्वजनिक बयान से चिंतित प्रधानमंत्री खान ने तुरन्त अपने दो भरोसेमंद सहयोगियों को सेना को यह आश्वासन देने के लिए तैनात किया कि सरकार उनकी तरफ से दायर एक अपील की सुनवाई के दौरान बीमार पूर्व राष्ट्रपति का बचाव करेगी। अटार्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने देर रात संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं मामले में कानून का बचाव करूंगा लेकिन किसी व्यक्ति का नहीं।’’
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संवाददाता सम्मेलन में सूचना मामलों पर प्रधानमंत्री की विशेष सूचना सहायक फिरदौस आशिक अवान भी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ को विशेष अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार नहीं दिया गया और फैसला आरोपी के बयान को दर्ज किये बगैर उनकी अनुपस्थिति में सुनाया गया। खान ने कहा, ‘‘ इससे उस स्थिति में निर्णय सुनाये जाने की तत्परता के बारे में सवाल खड़े होते हैं जब मुशर्रफ गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि एक व्यक्ति जिसने देशद्रोह किया है, उसे दंडित किया जाना चाहिए लेकिन इस मामले में संविधान के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की गारंटी को सुनिश्चित नहीं किया गया है। सुनवाई न केवल निष्पक्ष होनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखनी भी चाहिए।’’ डॉन समाचार पत्र की खबर के अनुसार अटार्नी जनरल ने यह भी बताया कि मामले में एक बड़ी खामी यह है कि जिन लोगों ने आपातकाल लगाने के लिए मुशर्रफ की मदद की, उन्हें मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है।’’ उन्होंने कहा कि मुशर्रफ को अपना बयान दर्ज कराये जाने का एक मौका दिया जाना चाहिए। जब संवाददाता सम्मेलन के दौरान उनसे मुशर्रफ की सुनवाई को ‘‘अनुचित’’ बताये जाने को न्यायालय की अवमानना किये जाने के बारे में पूछा गया तो अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘जब एक बार फैसला सुना दिया जाता है तो वह एक सार्वजनिक दस्तावेज बन जाता है और हर कोई उस पर टिप्पणी कर सकता है।’’ प्रधानमंत्री की शीर्ष सहायक अवान ने कहा कि कुछ लोग जनरल मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत के फैसले पर जश्न मना रहे हैं और संस्थानों के बीच टकराव की आशंका है।
उन्होंने कहा, ‘‘वही लोग जो आज टीवी स्क्रीन पर खुशी जताते नजर आ रहे हैं, वे वही थे जिन्होंने 2009 में मुशर्रफ से शपथ ली थी।’’ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अवान ने कहा कि पाकिस्तान सेना ने देश के लिए कई बलिदान दिए हैं। उन्होंने नागरिक सरकार का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान सेना की सराहना भी की। दुबई से जियो न्यूज की खबर के अनुसार मुशर्रफ ने अदालत के फैसले को लेकर निराशा जाहिर की और कहा कि वह अपने वकीलों से चर्चा करने के बाद जवाब देंगे। सूत्रों के हवाले से खबर में कहा गया है कि मुशर्रफ को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है लेकिन उनका स्वास्थ्य अभी भी ठीक नहीं है। उधर, मुशर्रफ की पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एपीएमएल) ने कहा कि फैसले के लिए कानूनी अनिवार्यताओं को पूरा नहीं किया गया है और फैसला ‘एकतरफा’ था। एपीएमएल के नेता मलिक मुबाशिर ने कहा कि मुशर्रफ दुबई में बयान दर्ज कराने के लिए तैयार थे और अदालत ने उनकी दलीलों को सुने बिना फैसला सुना दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वकीलों से सलाह करने के बाद, हम भविष्य की कार्यवाही को अंतिम रूप देंगे और फैसले को चुनौती दी जायेगी।’’