नई दिल्ली। सत्रहवीं लोकसभा के पांचवें दिन सदन में एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी ठहराने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से निजात दिलाने के लिए तीन तलाक बिल को लोकसभा के पटल पर रखा। इसके बाद सदन में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है।
इसे भी पढ़ें: बिरला ने संसद सदस्यों से आपस में बातचीत नहीं करने, संक्षिप्त सवाल पूछने की सलाह दी
ओवैसी ने सबरीमाला का मुद्दा उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं? आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है? ओवैसी यहीं नहीं रूके और उन्होंने इस विधेयक को मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है, बल्कि उन पर बोझ बताते हुए अपनी दलील भी दी। ओवैसी ने कहा कि इस बिल के तहत अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल सजा देने का प्रावधान है।
इसे भी पढ़ें: लोकसभा अध्यक्ष की अगुवाई में संसद भवन परिसर में मनाया गया योग दिवस
गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहला बिल है। लोकसभा में हंगामें के बीच रविशंकर प्रसाद ने इन्स्टैंट ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी बनाने के लिए बिल पेश किया। प्रसाद ने संविधान की प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा कि एक बार फिर से बिल को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए। मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है।