नौकरियों में आरक्षण पर कोर्ट के आदेश में सुधार के लिए अध्यादेश लाना चाहिए: पासवान

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 15, 2020

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले में ‘सुधार’ के लिए सरकार को एक अध्यादेश लाना चाहिए। साथ ही, इस तरह के सभी मुद्दों को संविधान की ‘‘नौवीं अनुसूची’’ में डाल देना चाहिए ताकि उन्हें ‘न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर रखा जा सके’। पासवान ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करने और इस विषय पर कानूनी राय लेने पर विचार कर रही है।  उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘पुनर्विचार याचिका का विकल्प है लेकिन यह विषय फिर से न्यायालय में जाएगा, यह देखना होगा कि यह सफल होता है या नहीं। इसलिए, मेरे विचार से आसान तरीका एक अध्यादेश जारी करना और संविधान में संशोधन करना होगा।’’ 

 

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता की यह टिप्पणी राजनीतिक भूचाल ला देने वाले शीर्ष न्यायालय के एक हालिया फैसले पर आई है।  उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकारें एससी और एसटी समुदायों को नियुक्तियों में आरक्षण मुहैया करने के लिए बाध्य नहीं हैं तथा पदोन्न्ति में आरक्षण का दावा करने के लिए कोई मूल अधिकार नहीं है। पासवान ने कहा, ‘‘...यह संविधान का हिस्सा है और लोगों को यह आपत्ति है कि यह फैसला एससी/एसटी के हितों के खिलाफ है।’’उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में सुधार के लिए एक अध्यादेश लाया जाना चाहिए और संविधान में संशोधन करना चाहिए। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि संसद के सत्र में नहीं रहने के दौरान अध्यादेश लाया जा सकता है।  पासवान ने कहा कि लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने भी लोकसभा में यह विषय उठाया था और एससी/एसटी से जुड़े इस तरह के सभी विषयों को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की थी।  उन्होंने कहा, ‘‘एससी/एसटी से जुड़े सभी मुद्दों को नौवीं अनुसूची में डाल देना चाहिए।’’ 

इसे भी पढ़ें: चिराग पासवान ने किया भाजपा को सावधान, कहा- बिहार में नहीं चलेगा नफरत भरा बयान

पासवान ने कहा, ‘‘इसके बाद अदालत जाने से छुटकारा मिल जाएगा क्योंकि हो यह रहा है कि राज्य विधानसभाएं और संसद कानून (एससी/एसटी अधिकारों पर) पारित कर रही हैं लेकिन वे कानूनी लड़ाई में उलझ के रह जा रही हैं।’’ उन्होंने बताया कि करीब 70 दलित और आदिवासी सांसद इस हफ्ते की शुरुआत में उनके आवास पर मिले थे। उनमें केंद्रीय मंत्री भी थे। उन्होने सरकार के समक्ष दो मुख्य मांगें रखी--एक अध्यादेश जारी किया जाए और फिर उच्चतम न्यायालय के इस आदेश को अमान्य करने के लिए संविधान संशोधन किया जाए तथा एससी, एसटी और ओबीसी की उच्चतर न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए भारतीय न्यायिक सेवा हो।  उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह सकता हूं कि आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा और सरकार को जो कदम उठाना होगा, वह उठाएगी।’’ लोजपा नेता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘राहुल को लोगों से कहना चाहिए कि संसद के केंद्रीय कक्ष में एक ही परिवार की इतनी सारी तस्वीरें क्यों थी, जबकि वीपी सिंह सरकार के सत्ता में आने तक आंबेडकर की तस्वीर नहीं लगाई गई थी।’’

 

प्रमुख खबरें

PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मांग, अनुच्छेद 370 पर अपना स्टैंड किल्यर करे NC और कांग्रेस

जिन्ना की मुस्लिम लीग जैसा सपा का व्यवहार... अलीगढ़ में अखिलेश यादव पर बरसे CM योगी

Vivek Ramaswamy ने अमेरिका में बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों में कटौती का संकेत दिया

Ekvira Devi Temple: पांडवों ने एक रात में किया था एकविरा देवी मंदिर का निर्माण, जानिए पौराणिक कथा