मुम्बई। वरिष्ठ
भाजपा नेता
देवेंद्र फडणवीस ने
महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का राजनीतिक कारणों से विरोध किया जा रहा है और दावा किया कि जब कांग्रेस नीत संप्रग सत्ता में था तभी कृषि क्षेत्र में सुधार की पहल की गयी थी। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक
अर्णब गोस्वामी और अभिनेत्री
कंगना रनौत के खिलाफ मामलों से निपटने के तौर तरीके से ‘राज्य सरकार का सत्ता का अहंकार नजर आया।’ अनुपूरक मांगों पर बहस के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘...जो नियमों का उल्लंघन करते हैं, उनसे वर्तमान कानूनों से निपटा जा सकता है।’’
फडणवीस ने कहा कि पिछले संप्रग का दृष्टिकोण था कि किसानों को अपनी मर्जी के हिसाब से अपनी ऊपज बेचने की आजादी होनी चाहिए जो हाल ही में पारित कृषि कानूनों का मुख्य तत्व है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ 2010 में सभी राज्यों के मंत्रियों की एक समिति कृषि सुधारों के क्रियान्वयन के संबंध में बनायी गयी थी ताकि किसानों के समक्ष प्रतिस्पर्धी और वैकल्पिक विपणन प्रणाली हो। ’’ उन्होंने कहा कि इसके लिए महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस-राकांपा सरकार में मंत्री हर्षवर्धन पाटिल की अगुवाई में समिति बनायी गयी थी। उन्होंने कहा,, ‘‘(लेकिन) जब इन सुधारों को अब लागू किया गया तो उनका (केंद्र द्वारा पारित इन तीन कृषि कानूनों का)विरोध क्यों किया जाए। यह (इन कानूनों का विरोध) राजनीति से प्रेरित है।’’ फडणवीस ने कहा, ‘‘हम कानून के शासन में यकीन करते हैं। यदि कोई गलत कर रहा है तो उसके विरूद्ध कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। हम (भाजपा) गोस्वामी और रनौत के विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते।’’
गोस्वामी के विरूद्ध आत्महत्या के 2018 के मामले को फिर खोले जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ यदि अर्णब गोस्वामी ने कुछ गलत किया है तो उन्हें दंडित करने के लिए कानून हैं। लेकिन उनके खिलाफ किसी बंद मामले को खोला गया। उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं है।’’ शिवसेना के मंत्री अनिल परब ने इसपर हस्तक्षेप किया और कहा कि उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था गोस्वामी के जमानत आवेदन तक सीमित है और (बंबई) उच्च न्यायालय ने टेलीविजन पत्रकार के खिलाफ मामला खारिज नहीं किया है। परब ने कहा कि राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी की समीक्षा करेगा। फड़णवीस ने कहा, ‘‘ आपके मस्तिष्क में सत्ता का अहंकार नहीं आना चाहिए।