By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 24, 2023
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्षी दलों के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक समेत कई प्रमुख नेताओं को उनके समर्थकों समेत पार्टी में शामिल कराया। पार्टी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्ष की मोर्चाबंदी के बीच उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को झटका लगा है। इन दोनों ही पार्टियों के कई अहम नेता सोमवार को भाजपा में शामिल हो गये। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की तुलना दो हजार रुपये के करेंसी नोट से करते हुए उन पर तंज किया है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने सोमवार को बताया कि पार्टी के राज्य मुख्यालय में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी और उत्तर प्रदेश सरकार के दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) छोड़कर आये पूर्व सांसद राजपाल सैनी (मुजफ्फरनगर), समाजवादी पार्टी छोड़कर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी (सहारनपुर), सपा के पूर्व सांसद अंशुल वर्मा (हरदोई) ,सपा की पूर्व विधायक सुषमा पटेल (जौनपुर), वाराणसी में लोकसभा की पूर्व सपा प्रत्याशी शालिनी यादव, पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर (जौनपुर),पूर्व विधायक गुलाब सरोज (जौनपुर), पूर्व कांग्रेस मीडिया चेयरमैन राजीव बक्शी (लखनऊ), आगरा से बसपा नेता व जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष गंगाधर कुशवाहा, हमीरपुर से सपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा, हापुड़ से सपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सत्यपाल यादव, हापुड़ से सपा की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुनीता यादव समेत कई प्रमुख नेताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाई।
सोमवार को भाजपा में शामिल होने वाले ज्यादातर नेता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज से आते हैं। अभी हाल ही में प्रमुख ओबीसी नेताओं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने और पूर्व मंत्री व समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक दारा सिंह चौहान (घोसी-मऊ) के भाजपा में शामिल होने के बाद इसे विपक्ष के लिये झटका माना जा रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हालांकि अपने कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर एक ट्वीट कर तंज किया। उन्होंने कहा, कुछ लोग चले गये 2000 के नोट की तरह…...। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद जारी हुए दो हजार रुपये के नोट को सरकार ने करीब साढ़े छह साल के बाद वापस लेने का फैसला किया है। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है जब विपक्षी दल सत्तारूढ़ भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में हराने के लिये एकजुट हो रहे हैं और सपा उत्तर प्रदेश में अपनी बड़ी भूमिका का दावा कर रही है। सपा इस राज्य में मुख्य विपक्षी दल है और उसका रालोद के साथ गठबंधन है। सपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिये बूथ स्तर पर तैयारियों में जुटी है।