ऑनलाइन सामान मंगाना है, कैसे चेक करें असली या नकली?

By मिथिलेश कुमार सिंह | Jul 06, 2021

आज की दुनिया में ऑनलाइन शॉपिंग हर किसी के जीवन का हिस्सा बन चुका है।न केवल मेट्रो सिटीज में, बल्कि टियर 2- टियर 3 से लेकर छोटे शहरों-कस्बों, यहां तक कि गाँव तक में ऑनलाइन सामान मंगाया जा रहा है। आज हर किसी को पता है कि ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर प्रोडक्ट्स के ढेरों ऑप्शन उपलब्ध हैं।


ऐसे में लोगों का जीवन निश्चित रूप से आसान हुआ है। उनके सामने प्राइस- क्वालिटी कंपैरिजन के ढेरों अवसर हैं। पहले वह दुकानदार के ऊपर डिपेंड होते थे, और उन्हें बहुत ज्यादा सामानों के ऑप्शन नहीं मिलते थे, किंतु अब फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी जायंट कंपनियों से लेकर दूसरी कई छोटी-छोटी, बेहतरीन कंपनियां भी ऑनलाइन प्रोडक्ट सेलिंग में उतर चुके हैं। ऐसे में अस्थाई तौर पर ही सही, कई बार ऑनलाइन शॉपिंग में कई लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं।

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जैसे आप किसी कंपनी का कोई सामान ऑर्डर करते हैं, और जब आपको सामान डिलीवर होता है, तो पता चलता है कि यह वह सामान नहीं है, जो आपने आर्डर किया था। इसके लिए कई बार ग्राहक का ध्यान ना देना जिम्मेदार होता है, तो कई बार लोग लालच में भी ले लेते हैं कि ब्रांडेड सामान सस्ता मिल रहा है।


जी हाँ! बहुत पुरानी कहावत है कि लालच बुरी बला है।


इसीलिए अगर आप भी ऑनलाइन सामान खरीदते हैं, और चाहते हैं कि नकली सामान आपके पास नहीं आये, तो सबसे पहले आपको कीमत पर ध्यान देना चाहिए। अगर ऑनलाइन वेबसाइट किसी बड़े ब्रांड के महंगे आइटम पर अगर बहुत ज्यादा छूट देती है, तो आप अलर्ट हो जाएं। ऐसे में आप पर्टिकुलर आइटम की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर सामान की डिटेल चेक कर सकते हैं कि वाकई वह सामान ओरिजिनल है कि नहीं! इसके बाद रिव्यू आता है। जब भी कोई सामान खरीदें, तो जरूर चेक करें, क्योंकि रिव्यू में अक्सर ऐसा होता है कि अगर सामान घटिया हो, तो कई लोग रिव्यू लिख देते हैं। ऐसे में आपको पता लग जाएगा कि उस प्रोडक्ट की वास्तविकता क्या है!

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रिव्यु कई बार गलत भी होते हैं, कई बार जान बूझकर लिखवाए जाते हैं, किन्तु फिर भी एक आईडिया तो लगती ही है।


इसके बाद जो चीज आपको चेक करना चाहिए, वह है प्रोडक्ट नेम की 'स्पेलिंग'!


आपने प्रसिद्द फिल्म तनु वेड्स मनु में देखा ही होगा, जिसमें कंगना रानौत का डबल रोल होता है। उसमें एक जगह पर रीबॉक और रिबूक (Reebok / Reebook ) का सीन आता है। अपनी हमशक्ल देख कर कंगना कहती हैं कि 'रीबॉक, नहीं तो रिबूक ही सही'! 


कहने का मतलब यह है कि स्पेलिंग में थोड़ी सी हेरफेर से न केवल उसकी मीनिंग बदल जाती है, संदर्भ बदल जाता है, बल्कि पूरे का पूरा प्रोडक्ट ही बदल जाता है। ऐसे ही एडीडास की बजाय 'एडीबास' (Adidas / Adibas) के नाम से आपको कई प्रोडक्ट दिखेंगे, और यह ऑनलाइन शॉपिंग में बड़ा कॉमन टर्म है, जिसका इस्तेमाल प्रॉफिट बनाने के लिए किया जाता है, और कस्टमर ज़रा सा कन्फ्यूज हुआ नहीं कि वह धोखा खा जाता है।


आपको लगता है कि आपने एडिडास का वास्तविक सामान आर्डर किया है, किन्तु जब यह डिलीवर होता है, तो आप जान पाते हैं कि वह तो कुछ और ही है।


इसके अलावा आप ध्यान दें, अगर आप फ्लिपकार्ट-अमेजन जैसी बड़ी वेबसाइट / एप्लीकेशन को छोड़कर किसी अनजान वेबसाइट / ऐप से शॉपिंग कर रहे हैं, तो आप ध्यान दीजिए कि कहीं वह बिल्कुल नयी वेबसाइट या ऐप तो नहीं है? आपको किसी अनजान वेबसाइट की एलेक्सा रैंक (https://www.alexa.com/siteinfo) चेक करनी चाहिए।

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किन्तु, अगर कोई नई वेबसाइट है, तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि नई वेबसाइट पर हमेशा ख़राब सामान ही होता है, बल्कि यह एक तरीका है, जिससे आप साईट की क्रेडिबिलिटी चेक कर सकते हैं।


इसके अलावा, उस नयी वेबसाइट के बारे में वीडियो रिव्यु देख सकते हैं, गूगल में नाम डाल कर उसे चेक कर सकते हैं, उसके कस्टमर केयर से बात कर सकते हैं, फिजिकल ऑफिस एड्रेस के बारे में पूछ सकते हैं।


इतने के बाद आप अवश्य ही समझ जाएंगे कि वह वेबसाइट ठीक है, या नहीं! वास्तव में वह बढ़िया काम करती है, या फ्रॉड करना ही उसका काम है। इस तरीके से आप ऑनलाइन बेहतर सामानों की खरीदारी से खुद को धोखा खाने से बचा सकते हैं।


मिथिलेश कुमार सिंह

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