By प्रज्ञा पांडेय | Mar 29, 2025
आज दर्श अमावस्या है, चैत्र महीने की अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम जाना जाता है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं व्यक्ति को शुभ और पुण्यकारी फलों की प्राप्ति होती है।
जानें दर्श अमावस्या के बारे में
पंडितों के अनुसार चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या और दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। इस दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भी स्नान और दान किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए अमावस्या की पूजा महत्वपूर्ण होती है। दर्श अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर मां गंगा की कृपा बरसती है। वहीं, अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। आप भी जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो चैत्र अमावस्या के दिन गंगा स्नान करें। आप घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। वहीं, पूजा के समय मां गंगा के नामों का जप करें। दर्श अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि अमावस्या कहलाएगी। अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान करने का विधान है। साथ ही पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है।
जानें दर्श अमावस्या का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च की शाम 7 बजकर 55 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 29 मार्च की शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 29 मार्च, शनिवार को अमावस्या मनाई जाएगी, शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या कहते हैं। शनिचरी अमावस्या पर शनि देव का भी पूजन किया जाता है। पंडितों के अनुसार ऐसा करने से शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है।
दर्श अमावस्या पर शनि देव को चढ़ा सकते हैं तेल
शनिवार का दिन होने के कारण चैत्र अमावस्या को शनिचरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या पर शनि देव की पूजा की जा सकती है। शनि ढैय्या और शनि की साढ़े साती से छुटकारा पाने के लिए शाम के समय शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाया जा सकता है। इसके अलावा, काले तिल और उड़द दाल दान में दे सकते हैं।
पितृ दोष दूर करने के लिए दर्श अमावस्या पर ये करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दर्श अमावस्या पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है, जो जातक पितृ दोष की समस्या से लगातार परेशान हैं, उन्हें इस दिन किसी जानकार पुरोहित की मौजूदगी में विधि-विधान के साथ उनका पिंडदान कराना चाहिए। पंडितों के अनुसार दर्श अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, क्योंकि यह दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित है।
दर्श अमावस्या पर इन बातों का रखें ध्यान
पंडितों के अनुसार पवित्र नदियों में स्नान करें। ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें। नकारात्मक विचारों से दूर रहें। किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें। तामसिक भोजन का सेवन गलती से भी न करें। इस दिन किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें।
दर्श अमावस्या का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में दर्श अमावस्या का बड़ा महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा का विधान है। पंडितों के अनुसार इस मौके पर उनका तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस तिथि पर अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान जरूर करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का भी महत्व है।
चैत्र अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर होगा। अमावस्या तिथि का समापन 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर होगा। दर्श अमावस्या के दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त 29 मार्च को सुबह 4 बजकर 42 मिनट से 5 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा आप इस दिन पूरे दिन यानी सूर्यास्त से पहले तक स्नान-दान कर सकते हैं।
दर्श अमावस्या का महत्व
दर्श अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और ब्राह्मणों, जरूरतमंदों को दान करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो वो अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य जरूर करें। वहीं इस बार चैत्र अमावस्या शनिवार को पड़ रही है तो इस दिन शनि देव की पूजा भी अवश्य करें। इसके साथ ही इस दिन काले तिल, सरसों का तेल, उड़द दाल आदि का दान करें।
- प्रज्ञा पाण्डेय