By अभिनय आकाश | Sep 20, 2021
क्या हो अगर मैं आपसे कहूं कि पंजाब में अमरिंदर और सिद्धू का विवाद असल नहीं बल्कि जबरदस्ती खड़ा किया विवाद हो तो। अगर मैं आपको बताऊं कि कैप्टन की सीएम पद से विदाई में सिद्धू की बजाय सबसे बड़ा रोल किसी और शख्स का है तो आप चौकेंगे क्या? आप चौंकेंगे कि अगर मैं आपसे कहूं कि सिद्धू तो कैप्टन को किनारे लगाए जाने के प्लान के बतौर एक मोहरा थे, तो आप सोच में पड़ जाएंगे। ये खबरें तो मीडिया में कहीं नहीं है। सभी जगह बस कैप्टन-सिद्धू की कलह और इसे पाटने में आलाकमान की तरफ से एक सोशल इंजीनियरिंग वाला फॉर्मूला सेट कर दिया गया। लेकिन कितनी बार जो दिखाई नहीं देते है पर सामने जरूर होता है, हरेक कहानी के अलग-अलग पहलू जरूर होते हैं। अब हम आपको इस कहानी के पहले और सबसे अहम किरदार से रूबरू करवाते हैं।
चुनावी रणनीतिकार, राजनीतिक सलाहकार, पार्टी में नंबर दो की हैसियत, विगत वर्षों में प्रशांत किशोर अलग-अलग भूमिकाओं में नजर आने वाले प्रशांत किशोर जिनके देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में एंट्री को लेकर भी समय-समय पर अटकलें चलती रहती हैं। जुलाई का महीना और दिल्ली में तो मौसम बरसात का था लेकिन पंजाब की सियासी लपटें देश की राजधानी दिल्ली की सरगर्मियों को भी बढ़ा रही थी। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम सिद्धू का जो विवाद चल रहा है उन सबके बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात करते हैं। इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रहती हैं। राहुल के साथ पीके की एक घंटे की मुलाकात के वक्त पंजाब प्रभारी हरीश रावत, केसी वेणुगोपाल भी उपस्थित थे। ऐसे वक्त में जब कुछ ही महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना कलाहकार बनाया था और उसके बाद पीके की राहुल-प्रिय़ंका से मुलाकात के सियासी मायने बेहद अहम निकाले जा रहे थे। बीते दिनों जब कैप्टन सोनिया गांधी से मुलाकात करने आए थे तो उसके बाद उन्होंने प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की थी। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि ये मुलाकाते तो किसी तूफान के आने के पहले की उथल-पुथल थी। इन मुलाकातों के दौर के बीच पंजाब में कलह लगातार चलती रही और फिर 5 अगस्त को एक बड़ा ऐलान होता है। जिसे राजनीतिक तौर पर तो ज्यादा तव्ज्यों नहीं मिली। लेकिन इसके सियासी मायने आने वाले दिनों में पंजाब में एक बड़े बदलाव की नींव रखने वाले थे।
पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 से करीब छह माह पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रमुख सलाहकार प्रशांत किशोर ने अपना पद छोड़ने की इच्छा जता दी। उन्होंने कैप्टन को लिखा- सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी अवकाश लेने के अपने फैसले के मद्देनजर आपके प्रधान सलाहकार के रूप में जिम्मेदारियां संभालने में सक्षम नहीं हूं। आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। अब इस पूरी कहानी के दूसरे और अहम भाग से आपको अवगत कराते हैं।
प्रशांत किशोर का सर्वे और नए सीएम की पटकथा
अभी तक राजनीतिक गलियारे में अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के पीछे बड़ी भूमिका उनका नवजोत सिंह सिद्धू से विवाद और उनके अड़ियल रवैये को माना जा रहा है। लेकिन कई बार जो हम सामने होता देखते हैं उससे बिल्कुल अलग ही चीजें होती है। दरअसल, राहुल-प्रियंका से प्रशांत किशोर की मुलाकात यूं ही नहीं हो रही थी। पंजाब के सियासी माहौल को भांपने के इरादे से पीके की टीम की तरफ से कुछ समय के अंतराल पर अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान को दी गई। इधर, सिद्धू को प्रदेश प्रधान का पद दिलाने में प्रशांत ने अहम भूमिका निभाई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिद्धू के नाम पर पार्टी आलाकमान को मनाने का काम प्रशांत किशोर ने ही किया था। वहीं कांग्रेस की उठापटक के पार्ट टू के दौरान सिद्धू की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद भी इसी तरह के एक सर्वे को किया गया।
क्या आया सर्वे रिपोर्ट में
प्रशांत किशोर की टीम के द्वारा किए गए सर्वे रिपोर्ट में कैप्टन अमररिंदर सिंह के प्रति जमीनी स्तर पर नाराजगी की बातें सामने आई। वहीं सिद्धू के अध्यक्ष बनने के बाद कराए सर्वे में भी कुछ ऐसा ही आंकलन किया गया। जिसके बाद ये रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंपी गई। इसके अलावा सर्वे का यह आकलन भी था कि अमरिंदर को हटाकर किसी नए व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कांग्रेस अगले चुनाव में इस नाराजगी को थाम सकती है। माना जा रहा है कि इन रिपोर्ट के बाद ही राहुल-प्रियंका के साथ प्रशांत किशोर ने चर्चा कर कैप्टन की विदाई की स्क्रिप्ट तैयार की और इसके लिए मुख्य किरदार नवजोत सिंह सिद्धू को चुना गया।