By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 26, 2022
तोक्यो| एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि सार्स-कोव-2 वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप त्वचा पर 21 घंटे, जबकि प्लास्टिक की सतह पर आठ दिनों तक जीवित रह सकता है। इस स्वरूप के ज्यादा संक्रामक होने की मुख्य वजह भी इसे ही माना जा रहा है। अध्ययन को जापान स्थिति क्योटो प्रिफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया।
उन्होंने सार्स-कोव-2 वायरस के वुहान में मिले स्वरूप के अलग-अलग सतहों पर जीवित रहने की क्षमता की तुलना अन्य गंभीर स्वरूपों से की। शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप वायरस के वुहान वेरिएंट के मुकाबले त्वचा व प्लास्टिक की परत पर दोगुने से भी ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं।
यही कारण है कि इन स्वरूपों से संक्रमण की दर चीन के वुहान में मिले मूल वेरिएंट (स्वरूप) से कहीं ज्यादा दर्ज हुई है। हालांकि, इस अध्ययन की फिलहाल समीक्षा नहीं की गई है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि प्लास्टिक की सतहों पर वुहान स्वरूप औसतन 56 घंटे तक जीवित रह सकता है, जबकि अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप के मामले में यह अवधि क्रमशः 191.3 घंटे, 156.6 घंटे, 59.3 घंटे, 114 घंटे और 193.5 घंटे आंकी गई है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, त्वचा पर वुहान स्वरूप 8.6 घंटे तक टिके रहने में सक्षम है। वहीं, अल्फा स्वरूप 19.6 घंटे, बीटा स्वरूप 19.1 घंटे, गामा स्वरूप 11 घंटे, डेल्टा स्वरूप 16.8 घंटे और ओमीक्रोन स्वरूप 21.1 घंटे तक अपना अस्तित्व बचाए रख सकता है।