नई दिल्ली। आज से ठीक आठ दिन पहले अमित शाह ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर संसद में एक बयान दिया था कि ये फैसला लिया गया है वो कश्मीर में रह रहे लोगों और देश भर के यात्रियों के लिए लिया गया है और इससे एक इंच भी पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। जब संसद में गृह मंत्री ने यह कहा था तभी यह साफ हो गया था कि नागरिकों की सुरक्षा के मामले में सरकार कोई चूक करने की गलती नहीं करने वाली है। यूं तो बाबा बर्फानी की यात्रा के लिए हर साल सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इस बार इंतजाम और सख्त हैं। केवल नौ दिन हुए हैं अमरनाथ यात्रा शुरू हुए। अभी 36 दिन और है और इसे इत्तेफाक कहें या बाबा बर्फानी की कृपा कि अभी तक इस यात्रा में मौसम ने भरपूर सहयोग दिया है। लेकिन सियासत का मौसम बिगड़ने लगा है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस साल जो इंतजाम किए गए हैं वो सारे कश्मीर के लोगों के खिलाफ हैं। उनकी गाड़ी नहीं चल सकती, उनको रूकना पड़ता है। वो बीमार हैं फिर भी उनको यात्रा को पास कराने के लिए रोका जाता है। ये ज्यादती है हमारे लोगों के साथ। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर राज्यपाल पर सवाल उठाए।
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अब्दुल्ला ने लिखा कि जमें भी यात्रियों के सुरक्षा की चिंता है लेकिन 30 साल में ऐसा पहली बार हुआ है की अमरनाथ यात्रा के दौरान नेशनल हाइवे को यातायात के लिए बंद किया गया है। राज्यपाल का हाइवे बंद करने का फैसला प्रशासन की नाकामी दिखाता है। जम्मू कश्मीर की राजमीति के दो सबसे बड़े नेता कह रहे हैं कि अमरनाथ यात्रा के इंतजाम में खोट है। पुख्ता इंतजाम को लेकर मचे कोहराम के बीच अलगाववादी संगठनों ने पहले ही कह दिया था कि वो इस यात्रा में किसी तरह की खलल नहीं डालेंगे। गौरतलब है कि अमित शाह ने गृह मंत्रालय की कमान संभालते ही पहली बैठक अमरनाथ यात्रा पर की थी। उन्होंने यह ताकिद भी की थी कि अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।
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ऐसे में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से स्थानीय लोगों को हो रही परेशानी का मुद्दा उठाते कश्मीर के सियासतदार हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की तीसरी बरसी पर अलगाववादियों के बुलाए बंद पर मौन रहते हैं। जिस बंद की वजह से आम जन-जीवन ठप्प रहा। आतंकवादियों के समर्थन में बुलाए गए बंद के विरोध में महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। बता दें कि आतंकी बुरहान वानी की बरसी को लेकर अलगाववादियों ने कश्मीर में बंद बुलाया था। इसके मद्देनजर पूरे घाटी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम और एहतियात के तौर पर अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया था, यानी जो श्रद्धालु जहां हैं, उन्हें वहीं रोक दिया गया था। जिसके बाद आज फिर से यात्रा चालू हो गई।