बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में एक अधिकारी को सात वर्ष कैद और डेढ़ लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक (एंटी करप्शन ब्यूरो) केएल अग्रवाल ने बताया कि नारायणपुर जिले के एडीएम और बिलासपुर के पूर्व एसडीएम संतोष देवांगन को भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल कैद और डेढ़ लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। मंगलवार को बिलासपुर के विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पंकज शर्मा की अदालत ने यह सजा सुनाई है। संतोष देवांगन पर बिलासपुर में एसडीएम रहने के दौरान जमीन के एक मामले में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए कूट रचना कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है।
अग्रवाल ने बताया कि बिलासपुर के लिंगियाडीह निवासी कमलेश शुक्ला ने सात दिसंबर वर्ष 2009 को एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की थी। इसमें राजकिशोर नगर निवासी सरदारी लाल कश्यप की ओर से शिवदयाल कश्यप, कॉलोनाइजर चितपाल सिंह वालिया समेत नौ लोगों के खिलाफ कालोनी निर्माण से आने-जाने के रास्ते पर अवरोध, शासकीय जमीन पर सड़क निर्माण और अन्य अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का उल्लेख था। उन्होंने बताया कि बिलासपुर एसडीएम के कोर्ट में यह प्रकरण दर्ज था। जून वर्ष 2009 को बिलासपुर एसडीएम संतोष देवांगन ने अपने आदेश में निजी कॉलोनाइजर चितपाल सिंह वालिया के खिलाफ डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। लेकिन इस बीच चितपाल सिंह वालिया से सांठगांठ करके संतोष देवांगन ने अपने पूर्व के आदेश को परिवर्तित कर दिया।
एसीबी से शिकायत में कहा गया कि संतोष देवांगन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वालिया पर लगे डेढ़ लाख के जुर्माने को हटा दिया और वाद भूमि संबंधी पूर्व आदेश को बदल दिया जिससे शासन को लाखों रुपयों की राजस्व की हानि हुई। विशेष लोक अभियोजक अग्रवाल ने बताया कि संतोष देवांगन के दोनों आदेश की कापी एसीबी में पेश की गई थी। इस आधार पर एसीबी ने मामला दर्ज कर लिया था। बाद में मामले का चालान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि मंगलवार को विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पंकज शर्मा की अदालत में मामले की सुनवाई के बाद संतोष देवांगन को सात साल की कैद और डेढ़ लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं सह अभियुक्त चितपाल सिंह को दोषमुक्त करार दिया गया।
अदालत ने कहा है कि मामले में भ्रष्टाचार और कूट रचना कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का अपराध स्पष्ट है। फैसले के दौरान संतोष देवांगन वहां उपस्थित थे। एसीबी ने इस मामले में करीब दो साल पूर्व संतोष देवांगन को बलौदाबाजार से गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी।