By अनन्या मिश्रा | Mar 27, 2023
नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। आज यानि की 27 मार्च को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। बता दें कि इस दिन साधन का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। इस आज्ञा चक्र का योग साधना में महत्वपूर्ण स्थान है। मां कात्यायनी के चरणों में स्थित मन वाला साधक अपना सबकुछ निवेदित कर देता है। ऐसा करने वाले साधक को मां कात्यायनी सहज भाव से दर्शन देती हैं।
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी अमोघ फल देने वाली हैं। मां कात्यायनी का स्वरूप दिव्य और भव्य है। मां का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। वह शेर की सवारी करती हैं। माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा के अलावा कमल व तलवार सुशोभित है। व्रज की गोपियों ने कालिंदी नदी के तट पर भगवान कृष्ण को पाने के लिए इन्हीं देवी की पूजा की थी। यह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
मां कात्यायनी
एक प्रसिद्ध महर्षि के पुत्र के रूप में ऋषि कात्य ने जन्म लिया। फिर कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए। महर्षि कात्यायन में भगवती पराम्बा की कई वर्षों तक कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनके घर बेटी रूप में जन्म होने का वरदान दिया। जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तो असुर का वध करने के लिए त्रिलोक यानि की ब्रह्मा,विष्णु, महेश ने अपने तेज का अंश देकर देवी को प्रकट किया। सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने उनकी पूजा-अर्चना की। जिसके बाद मां महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में कात्यायनी कहलाईं।
ऐसे करें पूजा
नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। पूजा शुरू करने से पहले देवी मां को प्रणाम करें। फिर हाथ में सुगन्धित पुष्प लेकर मां कात्यायनी के मंत्र का ध्यान करें। इसके बाद मां को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है। इसलिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग चढ़ाएं। मां के इस् स्वरूप के पूजन के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।
पूजा का फल
देवी भागवत पुराण के मुताबिक मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति का शरीर कांतिमय हो जाता है। मां की आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय होने के साथ ही व्यक्ति को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम,मोक्ष की प्राप्ति होती है।
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||