By इंडिया साइंस वायर | May 16, 2022
आणविक निदान (मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स) और जीवन विज्ञान अनुसंधान में न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई के विविध उपयोग होते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई का किफायती विकल्प विकसित किया है। डाई ग्रीनआर नामक इस न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) द्वारा विकसित की गई है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ग्रीनआर की प्रौद्योगिकी व्यावसायिक उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश में पंजीकृत स्टार्ट-अप कंपनी, जीनटूप्रोटीन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीपीएल) को हस्तांतरित की गई है।
डाई ग्रीनआर को सीडीआरआई के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ अतुल गोयल ने संस्थान के एक औद्योगिक भागीदार बायोटेक डेस्क प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल), हैदराबाद के संयुक्त सहयोग से विकसित किया है। डॉ गोयल ने बताया कि ग्रीनआर व्यावसायिक रूप से उपलब्ध डीएनए/आरएनए डाइज़ (रंजकों), जो वर्तमान में विदेशों से आयात किए जाते हैं, के लिए एक किफायती विकल्प है। यह जीनोमिक डीएनए, पीसीआर उत्पादों, प्लास्मिड और आरएनए सहित सभी न्यूक्लिक एसिड के साथ अच्छी तरह बंध सकता है, तथा नीली रोशनी या पराबैंगनी रोशनी के संपर्क में आने पर चमकने लगता है।
शोधकर्ताओं ने रीयल टाइम पीसीआर और डीएनए बाइंडिंग में इसके जैविक अनुप्रयोगों का अध्ययन किया है। डॉ गोयल ने बताया कि ग्रीनआर डाई के आणविक निदान (मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स) और जीवन विज्ञान अनुसंधान में विविध अनुप्रयोग हैं। ग्रीनआर के रासायनिक संश्लेषण को डॉ गोयल की टीम में शामिल शोधकर्ताओं द्वारा मानकीकृत किया गया है, जिनमें शाज़िया परवीन और कुंदन सिंह रावत शामिल हैं।
जीपीपीएल की निदेशक डॉ श्रद्धा गोयनका की योजना ‘गो ग्रीनआर’ अभियान शुरू करने की है, जिसमें वह पूरे भारत के वैज्ञानिकों से उत्परिवर्तन कारक (म्यूटाजेनिक) एथिडियम ब्रोमाइड के उपयोग को ग्रीनआर डाई से बदलने का आग्रह करती है। उनका कहना है कि पारंपरिक डाई का यह विकल्प उपयोग में सुरक्षित है, और इसका निपटान आसानी से हो सकता है। वह बताती हैं कि कंपनी ने अकादमिक और उद्योग क्षेत्र में शोधकर्ताओं के बीच इस उत्पाद का नमूना लेना शुरू कर दिया है। डॉ गोयनका ने बताया कि इस उत्पाद को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों में सबसे लोकप्रिय डीएनए डाई - सायबर (एसवाईबीआर) ग्रीन ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी दर्ज करायी है। डॉ रेड्डी ने कहा है कि स्वदेशी डाई ग्रीनआर के विकास से भारतीय शोधकर्ताओं को विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाए गए महँगे आयातित रंजकों का विकल्प मिलेगा, जो देश को 'आत्मनिर्भर भारत' का लक्ष्य प्राप्त करने के करीब ले जाएगा।
(इंडिया साइंस वायर)