By अंकित सिंह | Dec 01, 2022
देश में धर्मांतरण का मुद्दा लगातार उठता रहा है। धर्मांतरण को लेकर कानून बनाए जाने की भी मांग हिंदू संगठनों की ओर से की जाती रही है। जबरन धर्मांतरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सख्ती दिखाई है। केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया था। सरकार की ओर से दावा किया गया कि वह इस मामले से अवगत है और कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इन सबके बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। उत्तराखंड में अब अगर कोई भी व्यक्ति का धर्मांतरण कराया जाता है और वह पकड़ा गया तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इस बात की जानकारी खुद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी है।
अपने बयान में पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि धर्मान्तरण बहुत प्रकार से बहुत जगह चल रहा था और ये हमारे लिए गंभीर विषय बनता जा रहा था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इसलिए हमें कानून को सख्त बनाना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि हमने इस पर कानून बनाया है और अब उत्तराखंड में कोई धर्मान्तरण नहीं कर पाएगा, अगर धर्मान्तरण में किसी का नाम आता है तो उसे 10 साल तक की सजा होगी। धामी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है और यहां जबरन धर्मांतरण जैसी चीजें हमारे लिए खतरनाक हो सकती हैं। इसलिए हमने धर्मांतरण विरोधी कानून को सख्त बनाने का फैसला किया है। उत्तराखंड में 2018 में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून लाया गया था।
पहले इसमें 1 से 5 साल की कैद तथा एससी-एसटी के मामले में 2 से 7 साल की कैद की सजा थी। हालांकि अब इस को बढ़ा दिया गया है। नए कानून के मुताबिक अब जबरन धर्मांतरण के मामले में आप अगर पाए जाते हैं तो 10 साल तक की आपको सजा हो सकती है। इतना ही नहीं, आप पर कुछ जुर्माने भी लगाए जा सकते हैं। जबरन धर्मांतरण को लेकर ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में पहले से ही कानून मौजूद है। जबरन धर्मांतरण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसे रोकने के खिलाफ कोई समग्र कानून नहीं है।