By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 04, 2024
नयी दिल्ली।लोकसभा चुनाव के लिए मंगलवार को मतगणना जारी रहने के बीच मध्य प्रदेश की इंदौर सीट पर 2.18 लाख मतदाताओं ने नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प चुना जो एक नया कीर्तिमान है। कुल मतदाताओं में से 14.01 प्रतिशत ने नोटा का विकल्प चुना। इससे पहले 2019 के आम चुनावों में, बिहार के गोपालगंज क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं (पांच प्रतिशत) ने नोटा विकल्प चुनकर कीर्तिमान बनाया था। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर दोपहर बाद 3.15 बजे उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार, कुल मतदाताओं में से 4.62 लाख (0.99 प्रतिशत) ने नोटा का विकल्प चुना।
इससे पहले 2019 के आम चुनाव में डाले गए कुल 61,31,33,300 मतों में से 65,14,558 (1.06 प्रतिशत) मत नोटा को मिले थे। इसी तरह 2014 के आम चुनाव में डाले गए 55,38,02,946 मतों में से 60,02,942 (1.08 प्रतिशत) मत नोटा के लिए थे। इंदौर में कांग्रेस को उस समय करारा झटका लगा था जब कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार के खिलाफ नोटा बटन दबाने के लिए अभियान चलाया था।
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत ने हाल ही में नोटा को प्रतीकात्मक प्रभाव वाला करार देते हुए कहा था कि किसी सीट पर नोटा को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिलने पर ही इसे चुनाव परिणामों पर कानूनी रूप से प्रभावी बनाने पर विचार किया जा सकता है। रावत ने कहा था कि अगर 100 में से 99 वोट नोटा को मिलते हैं और किसी उम्मीदवार को एक मत मिलता है, तो वही उम्मीदवार विजयी होगा। पिछले आम चुनाव में, इंदौर में 69 प्रतिशत मतदान हुआ था और 5,045 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था। रावत ने कहा, मौजूदा स्थिति में, नोटा का केवल प्रतीकात्मक महत्व है और इसका किसी भी सीट के चुनाव परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता।