MODI100: GDP आंकड़ों को लेकर विपक्षी ही नहीं साथी दल भी घेर रहे हैं सरकार को

By अनुराग गुप्ता | Sep 09, 2019

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक बार फिर से सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा ने 2019 में इतिहास रच दिया। इसी के साथ मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया और सभी मंत्री और नेता अपने-अपने काम में जुट गए। लेकिन एक समस्या थी एक तरफ देश खुश था और दूसरी तरफ ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की वजह से अर्थव्यवस्था बीमार थी। सरकार फिर भी संभलने का प्रयास कर रही थी और रास्ता तलाश कर रही थी कि इससे कैसे बाहर निकला जाए। इसी बीच सरकार को एक बड़ा झटका लगा, जिसने विपक्षियों को एक मौका दिया कि अब सरकार को घेरा जाए। वो झटका था जीडीपी में आई गिरावट का...

जीडीपी ग्रोथ छह साल में सबसे कम

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत रह गयी। यह पिछले छह साल से अधिक अवधि का न्यूनतम स्तर है। विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि उत्पादन की सुस्ती से जीडीपी वृद्धि में यह गिरावट आई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की जनवरी से मार्च अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर 4.9 प्रतिशत पर रही थी। एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर आठ प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। जबकि इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2019 में वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रही थी। 

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जीडीपी ग्रोथ छह साल के निचले स्तर पर आने के बाद विपक्षियों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया और कहा कि मोदी है तो मुमकिन है। यह ऐसा वक्त था जब खुद सरकार को भाजपा नेता का साथ नहीं मिला। जाने माने अर्थशास्त्री और भाजपा के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यदि नई आर्थिक नीति को जल्द लागू नहीं किया गया तो फिर 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लक्ष्य तक हम नहीं पहुंच सकते हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि यदि कोई नई आर्थिक नीति नहीं आने वाली है तो 5 ट्रिलियन को अलविदा कहने के लिए तैयार हो जाओ। न तो अकेला साहस या केवल ज्ञान अर्थव्यवस्था को क्रैश होने से बचा सकता है। इसे दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास कुछ नहीं है।

सुब्रमण्यण स्वामी का यह बयान किस दिशा की तरफ इशारा कर रहा है। इसके बारे में विचार करने की आवश्यकता है। स्वामी ने कहा कि साहस और ज्ञान ही अर्थव्यवस्था को क्रैश करने से बचा सकता है तो क्या हम यह समझे कि स्वामी ने वित्त मंत्री के ज्ञान पर सवाल खड़ा कर दिया यदि ऐसा है तो फिर स्वामी किसे अर्थशास्त्री के तौर पर देखना चाहते हैं यह तो खैर वही बेहतर बता पाएंगे।

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हिरासत में होने के बावजूद चिदंबरम ने दिखाया था हाथ

जेल की दहलीज पर खड़े पी चिदंबरम का मामला कोर्ट में चल रहा था उस समय जब संवाददाताओं ने उनसे अर्थव्यवस्था पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि पांच फीसदी। क्या आप जानते हैं पांच फीसदी क्या है ? उन्होंने पांचों अंगुलियां दिखाने के लिये अपना हाथ भी उठाया। खैर भाजपाईयों का कहना था कि पहले अपने बारे में विचार करें और जो मंदी है वह पूर्ववर्ती सरकारों की देन है। मतलब आज जो कुछ भी होगा उसके लिए पहले की ही सरकारें दोषी मानी जाएंगी तब तो सभी अच्छे और बुरे फायदों के लिए पूर्ववर्ती सरकार ही जिम्मेदार होगी। ऐसा ही ना...

जब हम देश की अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं तो फिर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कैसे भूल सकते हैं। उन्होंने तो आर्थिक हालातों को चिंताजनक बताते हुए कहा कि आर्थिक नरमी मोदी सरकार के तमाम कुप्रबंधनों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में 5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर दर्शाती है कि हम लंबे समय तक बने रहने वाली आर्थिक नरमी के दौर में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ने की क्षमता है। 

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घेरने के साथ सरकार को सुझाव भी देते हैं पूर्व प्रधानमंत्री

आर्थिक हालातों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार को घेरा तो है ही लेकिन सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है। निवेश की दर स्थिर है। किसान संकट में हैं। बैंकिंग प्रणाली संकट का सामना कर रही है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। भारत को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें एक अच्छी तरह से सोची समझी रणनीति की जरूरत है। अब आप सोच रहे होंगे कि सुझाव क्या था तो चलिए वो भी पढ़ लें आप... मनमोहन सिंह का सुझाव है कि सरकार को आतंकवाद रोकना चाहिए, भिन्न विचारों वाली आवाजों का सम्मान करना चाहिए और सरकार के हर स्तर पर संतुलन लाना चाहिए। साथ ही कहा कि आने वाले समय में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए देश को ज्ञानवान, सिद्धांतवादी व और दूरदर्शी नेताओं की जरूरत है।

शिवसेना ने भी कहा था- मानिए मनमोहन सिंह की सलाह 

शिवसेना ने आर्थिक मंदी पर मनमोहन सिंह का समर्थन करते हुए कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री की बात सुनना देशहित में है। शिवसेना की यह टिप्पणी उस वक्त आई थी जब भाजपा ने मनमोहन सिंह के आरोपो को खारिज कर दिया था।

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जब चीन ने बोली पाक की भाषा

जीडीपी के अलावा जम्मू कश्मीर से धारा 370 निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ था और वह दूसरे देशों से लगातार मदद की गुहार कर रहा था। हालांकि चीन को छोड़कर कोई भी इस मामले में दखल नहीं दे रहा क्योंकि दुनिया का हर देश यह जानता और मानता है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उठाया था जहां पर उसे मुंह की खानी पड़ी थी। आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 को लेकर चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में गलत आंकड़े पेश किए और भारत की छवि खराब करने की कोशिश की इसके बावजूद किसी भी देश ने उनका साथ नहीं दिया।

विदेश मंत्री के तर्क से चुप हो गया था चीन

विदेश मंत्री एस जयशंकर तकरीबन यूएनएचआरसी के सभी 47 सदस्यों से व्यक्तिगत तौर पर मिल चुके हैं और कश्मीर के हालातों से व्यक्तिगत तौर पर अवगत कराया। लेकिन फिर भी पाकिस्तान यूएनएचआरसी में कश्मीर के मुद्दे पर बहस या प्रस्ताव की मांग कर सकता है और मानवाधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रस्ताव लाने का प्रयास भी करेगा। पाकिस्तान चाहे कुछ भी कर ले भारत ने अपना पूरा होमवर्क किया हुआ है। 

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जब अगस्त में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग ली से मुलाकात की थी। तब उन्होंने अपने तर्क से चीन को चुप कर दिया था लेकिन पाक की बौखलाहट में चीन उनके साथ  फिर से दिखाई दे रहा है। हालांकि 9 सितंबर को पाकिस्तान और चीन ने कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की और बातचीत के जरिए क्षेत्र में विवादों के समाधान की जरुरत पर जोर दिया।

Modi देश को जितना मजबूत कर रहे हैं, पूरा मामला जानने के लिए देखें वीडियो:

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