By अनन्या मिश्रा | May 02, 2024
आज ही के दिन यानी की 02 मई को 20 दिग्गज फिल्ममेकर सत्यजीत रे का जन्म हुआ था। हिंदी सिनेमा में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। बतौर निर्देशक सत्यजीत रे ने भारतीय सिनेमा को पूरे विश्व में पहचान दिलाई थी। कोलकाता की एक बंगाली फैमिली में 02 मई 1921 को सत्यजीत रे का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सत्यजीत रे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
आपको बता दें कि सत्यजीत का परिवार भी फिल्मी और कला के क्षेत्र में रुचि रखता था। वहीं सत्यजीत रे ने जिस तरह से बॉलीवुड में अपना योगदान दिया था, उसकी चमक हॉलीवुड तक गई थी। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशी फिल्ममेकर्स भी उनके हुनर के कायल हुआ करते थे। सत्यजीत रे हिंदी और बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के उन चुनिंदा फिल्ममेकर्स की लिस्ट में शामिल थे, जो अपने फिल्ममेकिंग के हुनर से मिनटों में दर्शकों का दिल जीत लिया करते थे।
फिल्ममेकर्स सत्यजीत रे ने सामाजिक मुद्दों पर चारूलता और अरण्येर दिन रात्रि जैसी कई शानदार फिल्में बनाई। उनके इस कला का लोहा हॉलीवुड के कई दिग्गज फिल्ममेकर्स भी मानते थे। कई इंग्लिश फिल्म निर्देशक और निर्माता सत्यजीत रे के निर्देशन और उनकी फिल्मों से काफी प्रभावित थे। कई हॉलीवुड फिल्ममेकर्स ने बड़े मंच पर खुलकर सत्यजीत रे की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े।
ऑस्कर के लिए पैरवी
सत्यजीत रे से हॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्ममेकर्स मार्टिन स्कोरसिस भी बहुत इंस्पायर थे। उन्होंने भारतीय निर्देशक की डेब्यू फिल्म पथेर पांचाली का डब वर्जन कई बार देखा था। इस फिल्म से स्कोरसिस काफी इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने सत्यजीत रे की प्रतिभा को सलाम किया। सिर्फ इतना ही नहीं स्कोरसिस ने साल 1991 के ऑस्कर अवॉर्ड्स शो के दौरान सत्यजीत रे को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने की पैरवी की थी।
बदली हिंदी सिनेमा की तस्वीर
बता दें कि सत्यजीत रे को हिंदी सिनेमा के महान डायरेक्टर के रूप में देखा जाता है। साल 1955 में बतौर निर्देशक सत्यजीत रे ने फिल्म पथेर पांचाली के साथ इंडस्ट्री में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने देवी, नायक द हीरो, द वर्ल्ड ऑफ अपू, जलसाघर, महानगर, तीन कन्या और महापुरुष समेत करीब 36 फिल्मों का निर्माण किया था। हांलाकि उनकी यह फिल्में मूल रूप से बंगाली भाषा में थी। जिनका बाद में हिंदी रुपांतरण भी किया गया।