मोदी मंत्रिपरिषद में एक भी मुसलमान नहीं, संसद में भी भाजपा का कोई मुस्लिम सदस्य नहीं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 06, 2022

नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी के केंद्रीय मंत्रिमंडल से बुधवार को इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ साल के अब तक के कार्यकाल में यह पहला मौका है, जब मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक भी सदस्य उनकी मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं है। नकवी फिलहाल राज्यसभा के सदस्य हैं। उनका कार्यकाल बृहस्पतिवार को समाप्त हो रहा है। नकवी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद संसद में भी यही स्थिति होने जा रही है। दोनों सदनों में भाजपा के 395 सदस्यों में एक भी सदस्य मुस्लिम समुदाय का नहीं होगा। पिछले महीने 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, क्योंकि 21 जून से एक अगस्त के बीच इन सीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। इनमें नकवी के अलावा भाजपा के सांसद एम जे अकबर और सैयद जफर इस्लाम भी शामिल थे। हालांकि इनमें से किसी को भी पार्टी ने राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया। 

 

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विपक्ष की ओर से भाजपा पर अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि वह मुस्लिमों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं देती है। हालांकि भाजपा दावा करती है कि उसके सांसद सभी समुदायों के लिए काम करते हैं और वह किसी धर्म विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उनकी मंत्रिपरिषद में मुस्लिम समुदाय के एकमात्र प्रतिनिधि के तौर पर नजमा हेपतुल्लाह को शामिल किया गया था। उन्हें अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। वर्ष 2016 में हेपतुल्लाह को मणिपुर का राज्यपाल बना दिया गया तो उनकी जगह यह जिम्मेदारी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्यमंत्री रहे नकवी को दे दी गई। वर्ष 2016 में ही मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य एम जे अकबर को विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि एक महिला पत्रकार द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देना पड़ा था। मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में वह पहले मंत्री थे जिन्हें इस प्रकार पद छोड़ना पड़ा। अकबर के इस्तीफे के बाद नकवी ही अभी तक केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि थे। 


उधर, जहां तक संसद में भाजपा का एक भी सदस्य ना होने की बात है तो यह स्थिति नकवी को मंत्री होने के बावजूद राज्यसभा के लिए फिर से नामित ना किए जाने और अकबर तथा जफर इस्लाम में से किसी को भी दोबारा राज्यसभा ना भेजे जाने से उत्पन्न हुई। पिछले कुछ दशकों में भी संसद में भाजपा के मुस्लिम सदस्यों की मौजूदगी बेहद कम रही है। नकवी तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे जबकि एक बार वह रामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा भी पहुंचे। हेपतुल्लाह दो बार राज्यसभा की सदस्य बनीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मंत्रिपरिषद के सदस्य रहे शाहनवाज हुसैन दो बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। पहली बार उन्होंने किशनगंज से जीत दर्ज की और दूसर बार वह भागलपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा के सदस्य बने। वह फिलहाल, बिहार सरकार में उद्योग मंत्री हैं। भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे सिकंदर बख्त भी दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वह भाजपा के पहले तीन महासचिवों में एक थे। लंबे अरसे बाद ऐसा हो रहा है कि संसद में भाजपा का कोई मुस्लिम सदस्य नहीं होगा। 

 

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इस बारे में जब भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि राजनीति को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए और वैसे भी संसद के सदस्य जनता के प्रतिनिधि होते हैं ना कि किसी धर्म विशेष के। उन्होंने कहा, ‘‘भले ही हमारे धर्म का हमारी जाति का वहां (संसद) कोई सदस्य ना हो, हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश के लोग ही वहां हैं। भाजपा में जिम्मेदारियां बदलती रहती हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि पार्टी सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी।’’ बिहार और उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक और मंत्री भी हैं। बिहार में जहां शाहनवाज हुसैन मंत्री हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में दानिश आजाद अंसारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री हैं। हाल ही में हैदराबाद में संपन्न हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ के भाजपा के मूलमंत्र को रेखांकित करते हुए सुझाव दिया कि कार्यकर्ताओं को अल्पसंख्यकों में जो वंचित और कमजोर तबका है, उनके बीच भी जाकर पहुंच बनानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह सुझाव पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा बैठक में दी गई एक प्रस्तुति के दौरान दिया। भाजपा ने हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनावों में जीत दर्ज की है। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है और इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं। मोदी ने इस बात पर जोर दिया था कि पार्टी के कार्यकर्ता सिर्फ हिन्दू समाज के पिछड़े और कमजोर तबकों में ही पहुंच ना बनाएं, बल्कि अल्पसंख्यकों के बीच भी जाएं और उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उन्हें मिले, यह सुनिश्चित करें।

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