Pandemic in North Korea | महामारी से पस्त हुआ उत्तर कोरिया, 72 घंटों में 17 लाख के पार हुई कोरोना संक्रमितों की संख्या

By रेनू तिवारी | May 19, 2022

लगभग ढाई साल तक दुनियाभर में कहर बरपाने के बाद आखिरकार कोविड -19 ने उत्तर कोरिया को जकड़ लिया है। सर्वोच्च नेता किम जोंग उन ने देश भर के सभी शहरों में सख्त तालाबंदी की घोषणा की है। माना जा रहा था जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस अपना प्रचंड रूप लेकर लोगों को निगल रहा था तब उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस का एक भी मामला नही थी। अब लगभग दो साल से ज्यादा का समय हो गया है अब पिछले हफ्ते कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि हुई थी लेकिन देखते ही देखते यह संख्या आसमान छूने लगी और लोगों की जान जाने लगी। उत्तर कोरियाई प्रशासन ने 12 मई को घोषणा की कि SARS CoV-2 के अत्यधिक-संक्रामक ओमिक्रॉन संस्करण के कारण तेजी से फैलने वाले बुखार के कारण हजारों लोगों ने बीमार होने की सूचना दी। किम जोंग उन ने देश में एक सख्त राष्ट्रव्यापी तालाबंदी लागू कर रखी है। इससे पहले किग जोंग ने यह फरमान जारी किया था कि जिसके अंदर कोरोना जैसे लक्षण दिखे उसे वहीं शूट कर दो। वह अपने शूट-टू-किल ऑर्डर जारी करने के लिए जाने जाते हैं। उत्तर कोरिया में जुलाई 2020 में एक मरीज में कोविड जैसे लक्षणों का पहला मामला सामने आया था। जिसे मार दिया गया था।

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 उत्तर कोरिया कैसे पहुंचा कोविड?

दुनिया भर में जाने के बाद वुहान से प्योंगयांग तक 1,403 किलोमीटर की यात्रा को पार करने में SARS CoV-2 वायरस को 850 दिनों से अधिक का समय लगा, जिससे लाखों लोग मारे गए। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। प्योंगयांग को बीजिंग की आर्थिक सहायता सभी चीनी विदेशी सहायता का लगभग आधा है, चीन से उत्तर कोरिया को सीधी सहायता संयुक्त राष्ट्र को बायपास करने में सक्षम बनाती है - प्योंगयांग की अन्यथा पूरी तरह से अलग, प्रतिबंध-प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए जीवन रेखा है। ऐसे में चीन में इस साल यह महामारी अपने चरम पर है शंघाई में कड़ा लॉकडाउन किया गया है। ऐसे में उत्तर कोरिया से लगातार व्यपार के चलते वायरस का पहुंचना स्वभाविक है।

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उत्तर कोरिया में महामारी के दौरान से सख्त नियम 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 में कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया। लेकिन उत्तर कोरिया ने हाल फिलहाल, मई 2022 में, वायरस के अपने पहले पुष्ट मामलों की सूचना दी है। हालांकि यह कुछ हद तक आश्चर्यजनक लग सकता है कि एक देश इतने समय तक बीमारी के प्रकोप से बचे रहने में कामयाब रहा, उत्तर कोरिया ने जनवरी 2020 से अपनी सीमाओं को सील कर दिया था, देश में या उसके बाहर कोई आवाजाही नहीं रही। तो यह प्रशंसनीय है कि वहां कोविड का नामो-निशान नहीं था। लेकिन अब, वही देश, जिसकी आबादी लगभग दो करोड़ 60 लाख है वायरस के ओमिक्रोन संस्करण के एक बहुत बड़े और तेजी से फैलने वाले प्रकोप का सामना कर रहा है। 17 मई तक, ‘‘बुखार’’ के 14 लाख मामले सामने आए थे, जिसमें अप्रैल के अंत से 56 मौतें हुई थीं। टेस्टिंग सुविधाओं की कथित कमी के कारण देश बुखार को कोविड ​​​​संक्रमण के संकेत के रूप में मान रहा है। बेशक, हम नहीं जानते कि बुखार के इन मामलों में से कितने निश्चित रूप से कोविड हैं, जो सैद्धांतिक रूप से मामलों की संख्या को ज्यादा आंक सकते हैं। साथ ही, मामलों का एक अनुपात बिना लक्षण वाला होने की संभावना है, और सीमित निगरानी के साथ मामलों की सूचना में कमी का मतलब है कि मामलों की सटीक संख्या मालूम कर पाने की संभावना नहीं है। कुछ परीक्षण हो रहे हैं, जिसमें अज्ञात संख्या में ओमिक्रोन मामलों की पुष्टि हुई है। लेकिन आखिरकार, इस प्रकोप के बारे में हमारे ज्ञान में बहुत बड़ा अंतर है।

उत्तर कोरिया के पास कोविड के प्रकोप से निपटने की सुविधाएं नहीं हैं  

इसमें इंडेक्स केस शामिल है - वह केस जो इस प्रकोप का स्रोत था। उत्तर कोरिया के पास कोविड के प्रकोप से निपटने की सुविधाएं नहीं हैं कोविड महामारी ने उच्च गुणवत्ता वाले वास्तविक आंकड़ों को राष्ट्रीय और वैश्विक पैमाने पर पेश करने और महामारी की सतत निगरानी के साथ ही बड़े पैमाने पर परीक्षण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत बताई है। ऐसा लगता है कि उत्तर कोरिया में इसमें से कुछ भी नहीं है। महत्वपूर्ण रूप से, चीन और कोवैक्स से आपूर्ति के पिछले प्रस्तावों के बावजूद, उत्तर कोरिया में कोई ज्ञात कोविड टीकाकरण कार्यक्रम नहीं है। सरकार ने पहले चीन से तीस लाख सिनोवैक खुराक को लौटा दिया था, साथ ही एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भी स्वीकार नहीं किया था। वैक्सीन के कथित साइड इफेक्ट पर चिंता जताते हुए यह कदम उठाया गया था।

दक्षिण कोरिया ने बढ़ाया मदद का हाथ 

अब, दक्षिण कोरिया ने वैक्सीन की खुराक दान करने की पेशकश की है, लेकिन उत्तर कोरिया ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है। कुछ हद तक, उत्तर कोरिया उसी स्थिति में है जहां शेष दुनिया 2020 के मध्य तक थी। सरकार ने राष्ट्रीय तालाबंदी का आदेश दिया है। निवासियों के लिए इसके सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे, लेकिन, कुल मिलाकर, शायद एक समझदार कदम है, यह देखते हुए कि आबादी में वायरस के खिलाफ बहुत कम प्रतिरक्षा होगी, चाहे वह पूर्व संक्रमण के माध्यम से हो या टीकाकरण के सुरक्षित मार्ग से। किम जोंग-उन ने अधिकारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की ‘‘अपर्याप्त महामारी प्रतिक्रिया’’ के लिए उसकी आलोचना करते हुए सेना को दवाएं और आपूर्ति वितरित करने का भी आदेश दिया है। उत्तर कोरिया में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कमजोर बताई जा रही है, खासकर राजधानी प्योंगयांग से दूर। महामारी का प्रकोप कुछ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य देखभाल के अन्य क्षेत्रों पर इसका असर होगा।

उत्तर कोरिया में किसी व्यक्ति को नहीं दी गयी है कोरोना वैक्सीन

उदाहरण के लिए, गैर-संचारी रोगों का सामना कर रहे रोगियों की देखभाल प्रभावित हो सकती है। टीकाकरण अभियान जैसे अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने के लिए लॉकडाउन कम से कम देश को कुछ समय देगा। इस कोविड प्रकोप से उत्तर कोरिया में बीमारी का एक बड़ा बोझ पैदा होने की संभावना है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव पड़ेगा। जनसंख्या को निस्संदेह बहुत नुकसान होगा, चाहे स्वास्थ्य परिणामों की सार्वजनिक रिपोर्टिंग पूर्ण परिणाम दिखाती हो या नहीं। व्यापक रूप से कोविड टीकाकरण की तत्काल आवश्यकता है, विशेष रूप से वृद्ध और कमजोर लोगों के लिए। वक्त का तकाजा है कि अब उत्तर कोरिया बाहरी दुनिया के प्रति अपने सामान्य संदेह को दूर करके मदद के अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों को स्वीकार करे।

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