By नीरज कुमार दुबे | Mar 15, 2024
असम में इस सप्ताह एक वर्ग जहां सीएए के विरोध में उतरा तो वहीं सत्ता पक्ष ने सबको आश्वस्त किया कि इस कानून से असम के लोगों या भारतीय नागरिकों को कोई खतरा नहीं है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के दौरे पर थे तो इस सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने असम में चुनाव प्रचार शुरू किया। वहीं मणिपुर में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बलों से कहा है कि वह जहां भी कार्रवाई करें उससे पहले राज्य सरकार को सूचित करें। वहीं त्रिपुरा में भाजपा और टिपरा मोथा के संयुक्त उम्मीदवार के लोकसभा चुनाव में उतरने से राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने अपने सभी विधानसभा उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए तीन मंत्रियों के नाम काट कर सबको चौंका दिया है। अरुणाचल प्रदेश इस सप्ताह इसलिए भी खबरों में रहा क्योंकि भारत ने मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन की आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में विपक्षी एकता को झटका देते हुए, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बृहस्पतिवार को चार लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। राज्य में अन्य गैर-भाजपा दल पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कोकराझार (एसटी), बारपेटा, लखीमपुर और सिलचर (एससी) सीट के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की। पार्टी ने कोकराझार में गौरी शंकर सरानिया, बारपेटा में अबुल कलाम आजाद, लखीमपुर में घाना कांता चुटिया और सिलचर में राधाश्याम विश्वास को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। टीएमसी, यूनाइटेड अपोजिशन फोरम असम (यूओएफए) का हिस्सा है। यह 16 दलों का गठबंधन है। कांग्रेस ने मंगलवार को असम की 14 लोकसभा सीट में से 12 पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। कांग्रेस ने ‘इंडिया’ गठबंधन की सहयोगी असम जातीय परिषद (एजेपी) को डिब्रूगढ़ सीट की पेशकश की है, जबकि लखीमपुर निर्वाचन क्षेत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बुधवार को घोषणा की कि उसके विधायक मनोरंजन तालुकदार बारपेटा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस सीट के लिए कांग्रेस ने पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
इसके अलावा, असम के कछार जिले में बृहस्पतिवार को 110 करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ की एक बड़ी खेप जब्त की गई और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए धोलाई इलाके के लोकनाथपुर में एक अभियान के दौरान 12 किलोग्राम से अधिक हेरोइन और ब्राउन शुगर बरामद की गई। मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘110 करोड़ रुपये कीमत की मादक पदार्थ की खेप जब्त। गुप्त सूचना के आधार पर, कछार पुलिस ने आज धोलाई के लोकनाथपुर में एक अभियान चलाया और 12 किलोग्राम से अधिक हेरोइन और ब्राउन शुगर बरामद की।’’ उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित पदार्थ को थैलों और साबुनदानी में रखा गया था और इसे एक पड़ोसी राज्य से लाया गया था।
इसके अलावा, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है और यह कानून भारत में रह रहे किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनेगा। सिंह ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि सीएए धार्मिक रूप से उत्पीड़न का शिकार उन लोगों को नागरिकता प्रदान करेगा जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 2014 तक भारत आ गये। वह भाजपा के सहयोगी दल असम गण परिषद (अगप) के प्रत्याशी फणि भूषण चौधरी के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। चौधरी बारपेटा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहा, ''नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.. मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि यह कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनेगा। यह बस नागरिकता प्रदान करेगा।’’ केंद्र ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को लागू किया और नियमों को अधिसूचित किया। चार साल पहले संसद ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ऐसे बिना दस्तावेज वाले गैर मुसलमानों को शीघ्र नागरिकता देने के लिए यह कानून पारित किया जो (धार्मिक उत्पीड़न के चलते) 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ गये थे।
लोगों से अगप प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने की अपील करते हुए सिंह ने कहा कि भाजपा के 2019 के घोषणापत्र के अनुसार सीएए को लागू किया जा रहा है। सिंह ने राममंदिर के बारे में भी बात की और कहा कि लंबे समय में ‘तंबू में’ रहने के बाद भगवान राम प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपरांत ‘अपने मूल स्थान’ पर आ गये हैं। उन्होंने कहा, ''हमने पहले कहा था कि कोई हमें भव्य राममंदिर बनाने से नहीं रोक सकता है। अब कोई भारत में रामराज्य की स्थापना को नहीं रोक सकता।’’ उन्होंने कहा कि तीन तलाक महिलाओं के साथ इंसाफ करने के लिए खत्म किया गया । उन्होंने विपक्ष पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच इस मुद्दे का सांप्रदायीकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने असम मुस्लिम शादी एवं तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की सराहना भी की। सिंह ने कहा, ''हम पर हिंदू-मुस्लिम संघर्ष कराने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन मैं आपको एक बात बताऊं कि पांच अरब देशों ने मोदी को उनके योगदान को लेकर सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया। यह भारत के किसी भी प्रधानमंत्री के साथ नहीं हुआ।'' कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने दावा किया कि दोनों दलों में मूल अंतर यह है कि सत्तारुढ़ गठबंधन लोगों की पूजा करता है जबकि विपक्ष ‘एक परिवार’ की प्रार्थना करता है। इससे पहले कोकराझार में सिंह ने दावा किया कि यह तय है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) आगामी लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता में लौटेगा।
कोकराझार में राजग के तीन सहयोगी दलों-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), असम गण परिषद (अगप) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरेशन (यूपीपीएल) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि यदि नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटती है तो राज्य में एक भी कच्चा मकान नहीं होगा तथा सभी के पास पक्के मकान होंगे। उन्होंने कहा, ''इस बात में रत्ती भर संदेह नहीं है कि केंद्र में हमारी ही सरकार बनेगी। मुझे विश्वास है कि राजग 400 से अधिक सीटें जीतेगा।’’ सिंह ने यह भी दावा किया कि न केवल भारत, बल्कि समूची दुनिया लोकसभा चुनाव के संभावित परिणाम के बारे में जानती है और उन्होंने पहले ही मान लिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर सरकार बनायेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने गरीबों के जीवन में बहुत बड़ा सुधार किया है तथा उन्हें पक्के मकान दिये गये हैं। सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सालों तक पूर्वोत्तर की उपेक्षा की। उन्होंने कहा, ''केवल मेादी ने इस क्षेत्र को उचित सम्मान दिया। जब उन्होंने 2014 में सत्ता संभाली तब उन्होंने सभी मंत्रियों को साल में कम से कम तीन बार पूर्वोत्तर की यात्रा करने और अपने अपने विभागों की योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया। अब यह क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है।''
इसके अलावा, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि नींव रखने के बाद परियोजनाओं को पूरा करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकास मॉडल’ की पहचान है। सीतारमण ने दावा किया कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले परियोजनाओं का शिलान्यास तो किया जाता था, लेकिन उन्हें समय पर पूरा नहीं किया गया। सीतारमण ने आईआईटी-गुवाहाटी में आयोजित ‘विकसित भारत एम्बेसडर कैंपस डायलॉग’ में कहा, ‘‘परियोजनाओं को पूरा करने में देरी से देश की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिससे यह धारणा बनी कि भारत अपनी परियोजनाओं को पूरा नहीं करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकार सिर्फ शिलान्यास ही नहीं करेगी बल्कि परियोजनाओं को पूरा भी करेगी... इस नियम से पूर्वोत्तर को भी फायदा हुआ है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर सरकार के ‘विकास मॉडल’ में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो पिछले दशक में प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों द्वारा इस क्षेत्र के किए गए दौरों की संख्या से स्पष्ट है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर का 65 बार दौरा किया है, जबकि अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने 850 बार दौरा किया है। यह क्षेत्र के विकास को लेकर सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।''
इसके अलावा, असम के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे सड़कों पर हिंसा के बजाय शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से मुद्दों को हल करें। पुलिस महानिदेशक सिंह का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब राज्य में विभिन्न संगठन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम अथवा सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और राज्य भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जा रही है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के छात्र संघों की शीर्ष संस्था ‘नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन’ (एनईएसओ) ने बुधवार को पूरे क्षेत्र में सीएए के नियमों की प्रतियां जलाईं और कानून को तत्काल रद्द करने की मांग की। वहीं ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ (एएएसयू) ने भी दिन में सभी जिला मुख्यालयों में ‘सत्याग्रह’ किया। केंद्र सरकार द्वारा सीएए के अधिसूचित नियमों के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आये हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। पुलिस महानिदेशक ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘31 जनवरी 2023 से असम सरकार द्वारा प्रतिष्ठित असम पुलिस का नेतृत्व करने का अवसर दिए जाने के बाद, मैं प्रत्येक पुलिसकर्मी के सभी प्रमाणिक कार्यों के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह हूं।’’ सिंह ने कहा कि मजबूत नेतृत्व में टीम असम के लोगों को शांतिपूर्ण माहौल में रखने के लिए प्रतिबद्ध है।''
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) असम में पूरी तरह निरर्थक है और राज्य से भारत की नागरिकता के लिए ‘‘सबसे कम संख्या में आवेदन’’ आएंगे। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र लोगों के वास्ते एक पोर्टल लॉन्च किया था। शर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सीएए असम में पूरी तरह निरर्थक है और पोर्टल में राज्य से सबसे कम संख्या में आवेदन होंगे।’’ शर्मा ने कहा कि अधिनियम बेहद स्पष्ट है कि नागरिकता के लिए आवेदन तभी दिया जा सकता है जब कोई 31 दिसंबर 2014 से पहले देश में आया हो और असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी के अद्यतन होने के बाद जिन लोगों को इसमें अपने नाम नहीं मिले हैं और जिन्होंने आवेदन किया था। ‘‘केवल ऐसे लोग ही सीएए के लिए आवेदन देंगे।’’ मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) असम में 14 लोकसभा सीट में से 13 पर जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार सत्ता में आएंगे।
इसके अलावा, असम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बुधवार को घोषणा की कि उसके विधायक मनोरंजन तालुकदार बारपेटा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। माकपा के इस फैसले से राज्य में विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका लगा है क्योंकि कांग्रेस वहां से अपने प्रत्याशी की घोषणा कर चुकी है। माकपा की असम इकाई के राज्य सचिव सुप्रकाश तालुकदार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी ने अपने अनुभवी नेता और विधायक तालुकदार को बारपेटा सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया है। विधायक मनोरंजन तालुकदार वर्तमान में सोरभोग विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो बारपेटा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। माकपा के राज्य सचिव ने कहा, ''लोगों के व्यापक हित के लिए, हम कांग्रेस से बारपेटा से अपना उम्मीदवार वापस लेने की अपील करते हैं। हम सभी से अपील करते हैं कि सबसे मजबूत भाजपा विरोधी उम्मीदवार को वोट दें और उसे जिताएं।’’ बारपेटा सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक कर रहे हैं, जिन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया है। खालिक की जगह इस बार कांग्रेस ने दीप बायन को भाषाई और धार्मिक रूप से संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अवसर दिया गया है। बायन असम प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष और असम प्रदेश कांग्रेस समिति के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं। माकपा यूनाइटेड विपक्षी फोरम असम (यूओएफए) का एक हिस्सा है, जो इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के अनुरूप 16 पार्टियों के साथ राज्य में गठित किया गया है। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 12 और भाजपा 11 पर अभी तक अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। कांग्रेस ने एक सीट अपने गठबंधन भागीदार असम जातीय परिषद के लिए छोड़ी है जबकि लखीमपुर पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। भाजपा ने तीन सीट अपने गठबंधन भागीदारों के लिए छोड़ी हैं जिनमें से दो पर असम गण परिषद और एक पर यूनाइटेड पीपुलस पार्टी लिबरल के उम्मीदवार लड़ेंगे।
इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली असम सरकार में भागीदार असम गण परिषद (एजीपी) ने सोमवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। एजीपी ने बारपेटा निर्वाचन क्षेत्र से फणी भूषण चौधरी और धुबरी निर्वाचन क्षेत्र से ज़ाबेद इस्लाम को उम्मीद्वार बनाया है। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से, भाजपा 11 पर, एजीपी दो पर और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने पहले ही 11 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि यूपीपीएल ने अभी तक अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। एजीपी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद बीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने कहा "पार्टी नेतृत्व की बैठक के बाद हमने उम्मीदवारी पर फैसला किया है और हमें दोनों सीटों पर जीत का भरोसा है।" पत्रकारों से बात करते हुए फणी भूषण चौधरी ने कहा, ‘‘मैंने पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया है और चुनाव लड़ूंगा। लेकिन मैं बोंगईगांव में अपने लोगों की सेवा करना भी जारी रखूंगा।" प्रदेश के बारपेटा सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। इस्लाम पूर्व विधायक हैं, जो 2011 में मनकाचर से चुने गए थे। इस्लाम ने कहा "हमें धुबरी के लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और हमें इस बार सीट जीतने की उम्मीद है।"
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्रीय सुरक्षा बलों से कहा है कि वे राज्य में कोई भी अभियान चलाने से पहले राज्य सरकार को सूचित करें ताकि क्षेत्र में नाजुक शांति की स्थिति में कोई खलल न पड़े। सिंह ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में यह बात कही। उनसे प्रतिबंधित नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के पामबेई धड़े के तीन सदस्यों की सुरक्षा बलों द्वारा बुधवार को की गयी गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सही कारण का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम इन गिरफ्तारियों की असल वजह नहीं जानते। हमें बताया गया कि बाहरी क्षेत्र में उनकी संलिप्तता के कारण गिरफ्तारियां की गयीं।’’ हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि बाहरी क्षेत्र से उनका क्या तात्पर्य है। बीरेन ने कहा, ‘‘मैंने केंद्र को यह सूचित करवाया है कि भविष्य में यदि कोई गिरफ्तारी की जानी है तो राज्य को पहले सूचित किया जाए, क्योंकि दो:तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद शांति वार्ता संभव हो पायी है।''
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष को सुलझाने के लिए बातचीत शुरू की गई है। एक कार्यक्रम में सिंह ने राजनीतिक संवाद के माध्यम से संघर्षों को हल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि दोनों समुदायों के विधायक दो बार मिल चुके हैं जो शांति प्रक्रिया में प्रगति का संकेत है। उन्होंने कहा, “घाटी के विधायक कुकी विधायकों से दो बार मिल चुके हैं। पहाड़ी क्षेत्र समिति के अध्यक्ष का एक दल कुकी और नगा समुदायों की नागरिक संस्थाओं के साथ बैठक कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही शांति लौटेगी।'' सिंह ने पिछले तीन मई को राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से निर्दोष लोगों की जान जाने की दुर्भाग्यपूर्ण क्षति को स्वीकार किया, लेकिन शांति कायम होने को लेकर वह आशान्वित दिखे। उन्होंने कहा कि संवेदनशील इलाकों में राज्य सुरक्षा बलों की तैनाती से हिंसा को कम करने में मदद मिली है। सिंह ने यह भी कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से विस्थापित हुए लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं। उन्होंने कहा, “लगभग सभी संवेदनशील इलाकों में राज्य सुरक्षा बलों की तैनाती करीब-करीब हो चुकी है। भगवान की कृपा से, हिंसा की खबरें घटी हैं तथा फौबाकचाओ, दोलाईथाबी, सुगनू और सेरोउ के विस्थापित लोग अपने मूल स्थानों पर लौटने लगे हैं।” पिछले साल मई में पहली बार दो समुदायों के बीच जातीय झड़पें शुरू होने के बाद से मणिपुर बार-बार हिंसा की चपेट में आ रहा है। हिंसा में तब से अब तक कुल 219 लोग मारे जा चुके हैं।
इसके अलावा, मणिपुर में पुलिस, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने एक संयुक्त अभियान में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (पी) (यूएनएलएफ-पी) के दो अहम सदस्यों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के स्वयंभू सेना प्रमुख थोकचोम थोइबा और यूएनएलएफ (पी) से जुड़े लेफ्टिनेंट कर्नल लाइमायुम इंगबा को संयुक्त अभियान के दौरान गिरफ्तार किया गया है। थोइबा और इंगबा को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद विमान से दिल्ली ले जाया गया, जहां एनआईए के अधिकारी उनसे पूछताछ करेंगे। थोइबा ने पिछले साल नवंबर में केंद्र के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके बाद से वह यूएनएलएफ (पी) का हिस्सा नहीं था। के. पाम्बेई के नेतृत्व वाले यूएनएलएफ (पी) ने 29 नवंबर, 2023 को इम्फाल घाटी में सरकार के साथ युद्धविराम समझौता और हिंसा छोड़ने पर सहमति जताई थी। सुरक्षा एजेंसियों ने मणिपुर में यूएनएलएफ द्वारा की जा रही बढ़ती हिंसा पर सवाल उठाए थे। सरकार से समझौता होने के बाद भी संगठन ने न तो अपने कैडर की संख्या के बारे में कोई जानकारी साझा की और न ही हथियार सौंपे। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा अधिकारियों को खुफिया सूचना मिली थी कि समूह के सदस्य आदिवासी समुदाय को निशाना बनाने के उद्देश्य से मुख्य रूप से कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के बाहरी इलाके में शिविर स्थापित कर रहे हैं, जिसके बाद अधिकारियों ने जांच के दौरान पाया कि यूएनएलएफ (पी) कैडर सुरक्षा बलों और आम जनता दोनों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने 13 फरवरी को पूर्व मणिपुर के चिंगारेल में पांचवीं भारत रिजर्व बटालियन (आईआरबी) से हथियार और गोला-बारूद लूटे थे। इस घटना के बाद, पुलिस ने यूएनएलएफ के दो कैडर सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। वहीं, अब ये मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित किया जा सकता है। यूएनएलएफ (पी) कैडर को मोइरंगपुरेल, तुमुहोंग और इथम जैसे विभिन्न क्षेत्रों में देखा गया था, जिससे यह पता चला कि उन्होंने हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोइरंगपुरेल और इथम में शिविर स्थापित किए हैं। यूएनएलएफ (पी) और सुरक्षा बलों के बीच शत्रुता को समाप्त करने के उद्देश्य से संघर्ष विराम समझौते के बावजूद, हाल की घटनाओं से पता चलता है कि यूएनएलएफ (पी) कैडर अपने स्वचालित हथियारों के साथ स्वतंत्र रूप से आ-जा रहे हैं। मणिपुर में मेइती और कुकी के बीच पिछले साल मई से अब तक जारी संघर्ष में 219 लोगों की मौत हुई है। यूएनएलएफ की स्थापना 1964 में की गई थी। यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह सक्रिय रहा है। वहीं, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने क्षेत्र में उग्रवाद को खत्म करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर में कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य में हिंसा प्रभावित 3,483 किसानों का चयन ‘क्षतिपूर्ति फसल पैकेज के प्रथम चरण’ के लिए किया गया है। सिंह ने कार्यक्रम की शुरुआत करने के दौरान कहा, ‘‘उपायुक्तों द्वारा सत्यापन किये जाने के बाद कुल 3,483 (किसानों) का चयन किया गया है। अन्य 2,399 किसानों के साथ ‘आधार’ सत्यापन और बैंक खातों सहित दस्तावेज से जुड़ी समस्याएं हैं और उनका फिर से सत्यापन किया जा रहा है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने प्रभावित किसानों के लिए 38.60 करोड़ रुपये भी आवंटित किये हैं, जिनमें से 18.37 करोड़ रुपये प्रथम चरण के लिए जारी किये गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि चूराचांदपुर जिले में 1,137 प्रभावित किसान हैं जिसके बाद बिष्णुपुर (1,031), इम्फाल पूर्व (360) और कांगपोकपी (272) का स्थान है।
इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मणिपुर सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) से जातीय हिंसा के मामलों की जांच की स्थिति और दायर आरोपपत्रों पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, ताकि यह निर्णय लेने में मदद मिल सके कि मुकदमा असम में चलाया जाए या मणिपुर में। शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह पिछले दो महीनों में एक जिलाधिकारी के निवास पर हमले, हिंसक घटनाओं, सशस्त्र विरोध प्रदर्शनों, राजमार्गों को अवरुद्ध करने और हमले के मद्देनजर मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को निर्देश जारी नहीं कर सकती है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “ये ऐसे मामले हैं, जहां यह अदालत निर्देश नहीं दे सकती। हम नागरिक संस्थाओं को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकते...कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार है।’’ अदालत ने राज्य सरकार और जांच एजेंसियों की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से राज्य में हिंसा की हालिया घटनाओं पर न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति की हालिया रिपोर्ट पर निर्देश लेने को कहा। न्यायमूर्ति मित्तल की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तीन-न्यायाधीशों की समिति चाहती थी कि शीर्ष अदालत हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद कुछ आदेश पारित करे। अदालत ने समिति की ओर से पेश वकील से इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए अटॉर्नी जनरल को रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा। शीर्ष अदालत ने जांच की निगरानी के लिए गुवाहाटी के एक विशेष न्यायाधीश से प्राप्त पत्र का हवाला दिया, जिन्हें मणिपुर में हिंसा के मामले स्थानांतरित किए गए थे। निचली अदालत के न्यायाधीश इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते थे कि क्या वह 25 अगस्त, 2023 को जारी शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुपालन में मणिपुर से गुवाहाटी स्थानांतरित किए गए मामलों में मुकदमे को आगे बढ़ा सकते हैं। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘जांच के संबंध में मणिपुर सरकार, एनआईए और सीबीआई द्वारा अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। स्थिति रिपोर्ट में अब तक दायर आरोपपत्र और अन्य मामलों में जांच के चरण का संकेत होना चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस पर फैसला करेंगे कि मुकदमा असम में चलना चाहिए या मणिपुर में। उन्होंने मणिपुर सरकार को भी जवाब दाखिल करने की अनुमति दी। मणिपुर सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह चाहती हैं कि सुनवाई राज्य में हो, क्योंकि स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। शीर्ष अदालत इस मामले में दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 25 अगस्त को मणिपुर हिंसा के कई मामलों में सुनवाई को असम स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इन मामलों में उन दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी शामिल है, जिनको कथित तौर पर निर्वस्त्र करके घुमाने का एक वीडियो प्रसारित हुआ था। इन मामलों की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य में क्रमिक रूप से शांति बहाल हो रही है और विशेष रूप से पिछले चार महीनों में यह देखने को मिला है। सिंह ने एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम शांति बहाल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पिछले साल तीन मई को भड़की हिंसा के बाद की अवधि की तुलना में पिछले चार महीनों में शांति बहाल होनी शुरू हो गई है।’’ उन्होंने तीन मई की घटना पर अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि हम अनुमान नहीं लगा सके कि सरकार पर लक्षित और जानबूझ कर हमले किये जाएंगे।’’ सिंह ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने संबंधी मेइती समुदाय की मांग के खिलाफ ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर’ द्वारा आयोजित रैली का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमने सोचा था कि यह छात्रों की एक सामान्य रैली है।’’ हालांकि, उन्होंने उल्लेख किया कि हमले छिटपुट या एक-दो स्थानों पर हुए थे, और पर्वतीय जिलों के अन्य हिस्सों में घटनाएं नहीं हुई थीं। सिंह ने कहा, ‘‘उस समय, सुरक्षा कर्मी और पुलिस ठीक से तैनात नहीं किये गये थे क्योंकि यह अचानक हुआ हमला था जिसमें जानमाल को नुकसान हुआ। इसके लिए मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, सरकार ने कदम उठाये ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।’’ उन्होंने लोगों से मणिपुर में हिंसा से पहले की स्थित बहाल करने की अपील की।
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के री-भोई जिले में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) संगठन के हथियार और गोला-बारूद जब्त किए गए हैं। पुलिस ने यह जानकारी दी। एचएनएलसी संगठन से जुड़े चार लोगों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस ने हथियार और गोला-बारूद बरामद किए हैं। इन चारों को पुलिस ने शिलांग के विवादित पंजाबी लेन इलाके में ‘आईईडी’ विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ सिंह ने बताया, ''बुधवार को री-भोई जिले में एचएनएलसी के झंडे के साथ हथियार, जिलेटिन की छड़ें, विस्फोटक आदि बरामद किए गए। शनिवार रात पंजाबी लेन इलाके में हुए विस्फोट में कम से कम एक व्यक्ति घायल हो गया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सोमवार को गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों ने बांग्लादेश स्थित अपने आकाओं के निर्देशों के अनुसार इस हमले को अंजाम दिया था। विस्फोट में शामिल होने के आरोप में रविवार की रात हाइनीवट्रेप नेशनल यूथ फ्रंट के एक नेता सहित दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने पंजाबी लेन इलाके में हुए विस्फोट में शामिल आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि इस हमले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। विवादित पंजाबी लेन में रहने वाले सिखों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हाल ही में एक पत्र लिखकर दावा किया कि यह विस्फोट उन्हें नगर निकाय की भूमि पर स्थानांतरित करने के उद्देश्य से की जा रही बातचीत को बाधित करने के लिए किया गया था। एक बस ड्राइवर पर साल 2018 में सिखों द्वारा कथित तौर पर हमला किए जाने के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी और करीब एक महीने तक कर्फ्यू लगा रहा था। इलाके में हिंसा भड़क जाने के बाद सरकार ने इन सिखों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की पेशकश की थी। लगभग 200 साल पहले, ब्रिटिश शासकों ने सफाई से जुड़े काम के लिए सिखों को शिलांग लाया था। सिखों को सरकार का प्रस्ताव पहले मंजूर नहीं था। हालांकि, बाद में वे इसके लिए सहमत हो गए लेकिन उन्होंने मांग की कि उनके घरों के निर्माण का सारा खर्च सरकार उठाए।
इसके अलावा, तृणमूल कांग्रेस ने मेघालय की तुरा संसदीय सीट पर पूर्व मंत्री जेनिथ एम. संगमा को उम्मीदवार बनाया है, जहां से फिलहाल सत्तारुढ़ नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीपी) की अगाथा के. संगमा सांसद हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के इस कदम को विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल कांग्रेस की अनदेखी माना जा रहा है, जिसने पहले ही सालेंग ए. संगमा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। टीएमसी के इस फैसले के बाद मेघालय में कांग्रेस के साथ उसके गठबंधन की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। मेघालय में केवल दो संसदीय सीट हैं। जेनिथ संगमा पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के छोटे भाई हैं। मुकुल संगमा 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का साथ छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए थे। मुकुल संगमा ने सीट-बंटवारे में देरी पर टीएमसी की ओर से निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "हमने काफी समय तक धैर्यपूर्वक इंतजार किया है। इरादा था कि ‘इंडिया’ गठबंधन का एक ही उम्मीदवार हो और हमारी ताकत एकजुट हो। कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी है और पिछले सप्ताह उसने मेघालय के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी।” साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मुकुल संगमा को 41.24 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा की बहन अगाथा के. संगमा से हार का सामना करना पड़ा था।
इसके अलावा, मेघालय पुलिस ने मंगलवार को री-भोई जिले में चार लोगों को गिरफ्तार कर प्रतिबंधित 'हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल' (एचएनएलसी) के 'स्लीपर सेल' का भंडाफोड़ करने का दावा किया। पुलिस ने उनके कब्जे से एक विस्फोटक पदार्थ (आईईडी) भी बरामद किया। पुलिस को शक है कि गिरफ्तार किये गये चारों व्यक्ति शहर के विवादित पंजाबी लेन इलाके में नौ मार्च को आईईडी लगाने और विस्फोट करने में शामिल थे। इस विस्फोट में एक व्यक्ति घायल हुआ था। री-भोई जिले के पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ सिंह ने बताया, ''री-भोई जिले में चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद मेघालय पुलिस प्रतिबंधित एचएनएलसी के एक और आईईडी विस्फोट करने की कोशिश को नाकाम करने में सक्षम रही।'' पुलिस ने सोमवार शाम करीब छह बजे इन लोगों को उस वक्त गिरफ्तार किया, जब दमनभा रिपनार नाम का एक व्यक्ति छर्रे और जिलेटिन की छड़ों से भरे एक पिकअप ट्रक के अंदर आईईडी को छिपा कर ले जा रहा था। अधिकारी ने बताया कि रिपनार को उम्सनिंग-मावटी मार्ग पर हिरासत में लिया गया और उसके वाहन से आईईडी को बरामद किया गया। रिपनार की गिरफ्तारी के साथ जिले के उम्सनिंग और नोंगपोह कस्बे से तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। चारों प्रतिबंधित एचएनएलसी के सक्रिय 'स्लीपर सेल' हैं। अधिकारी ने बताया कि यह स्लीपर सेल बांग्लादेश के प्रतिबंधित एचएनएलसी भगोड़ों से निर्देश लेता है। पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान दमनभा रिपनार उर्फ शैल लपांग, रॉबिनिस रिपनार, जिल तारियांग और शाइनिंग नोंग्रम के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि उनके कब्जे से 15 जिलेटिन की छड़ें, 167 स्प्लिंटर्स (आईईडी के अंदर छर्रे), एक फ्यूज तार और तीन गैर-इलेक्ट्रिक डेटोनेटर और पांच मोबाइल फोन मिले हैं। पुलिस ने इस संबंध में नोंगपोह थाने में मुकदमा दर्ज किया है।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के बिना अवैध रूप से राज्य में प्रवेश करने के आरोप में 1,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस और प्रभावशाली नागरिक समाज संगठन यंग मिजो एसोसिएशन के स्वयंसेवकों द्वारा मंगलवार की रात संयुक्त रूप से चलाए गए विशेष अभियान के दौरान 1,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के प्रावधानों के अनुसार, अन्य राज्यों के लोगों को एक निर्दिष्ट अवधि के लिए मिजोरम में प्रवेश करने और रहने के लिए आईएलपी की आवश्यकता होती है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अन्य राज्यों के छह नाबालिगों सहित कुल 1,187 लोगों के पास आईएलपी नहीं था। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा 1,065 गिरफ्तारियां आइजोल में की गईं, जबकि लुंगलेई, चम्फाई, सैतुअल और सेरछिप समेत अन्य जिलों में 122 लोगों को गिरफ्तार किया गया। अधिकारी ने कहा कि उल्लंघनकर्ताओं को आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित पुलिस थानों में भेज दिया गया है।
इसके अलावा, मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की सरकार राज्य के शराबबंदी कानून की समीक्षा करेगी, जिसके तहत कुछ क्षेत्रों को छोड़कर राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आबकारी मंत्री लालघिंगलोवा हमार ने विधानसभा में बुधवार को यह जानकारी दी। मिजोरम शराब (निषेध) अधिनियम, 2019 पिछली मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार द्वारा पेश किया गया था। आबकारी मंत्री ने विधानसभा में कहा, ‘‘मौजूदा शराबबंदी कानून का मूल्यांकन और जांच चल रही है। जरूरत पड़ने पर इस कानून की समीक्षा की जायेगी।’’ यह कानून राज्य के दक्षिणी भाग में तीन स्वायत्त जिला परिषदों के क्षेत्रों में लागू नहीं है। लालघिंगलोवा हमार ने विपक्षी एमएनएफ के लालछंदामा राल्ते के एक सवाल के जवाब में कहा कि कि सरकार आबकारी विभाग के बल को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। शक्तिशाली गिरिजाघरों और समुदाय-आधारित संगठनों द्वारा कड़े निषेध कानून का समर्थन करने के कारण, भारत की आजादी के बाद से ही मिजोरम में लगभग हर समय शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध रहा है। मिजोरम शराब पूर्ण निषेध अधिनियम, 1995 को 20 फरवरी, 1997 को लागू किया गया था, जिससे शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। जनवरी 2015 में, एक नया कानून अधिसूचित किया गया, जिसने राज्य में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी थी। एमएनएफ ने राज्य में सत्ता में आने के बाद अपने चुनावी वादे के बाद यह नीति बदल दी और फिर से शराबबंदी कानून लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए।
इसके अलावा, मिजोरम के शिक्षा मंत्री डॉ. वनलालथलाना ने मंगलवार को कहा कि राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के तहत कुल 2991 पद खाली हैं। वनलालथलाना ने यह जानकारी राज्य विधानसभा में दी। विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सदस्य प्रोवा चकमा के एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि रिक्त पद को भरने के लिए मौजूदा भर्ती नियमों के अनुसार कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भर्ती योग्यता के आधार पर की जाएगी। वनलालथलाना ने कहा कि सरकार शिक्षकों की नियुक्ति को तर्कसंगत बनाएगी और उन विद्यालयों को महत्व दिया जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है।
इसके अलावा, मिजोरम सरकार ने 10वीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय का प्रश्न पत्र लीक करने के आरोप में एक शिक्षक को निलंबित कर दिया है। राज्य के एक मंत्री ने सोमवार को विधानसभा को यह जानकारी दी। मंत्री ने कहा कि शिक्षक ने 8 मार्च को आयोजित परीक्षा से पहले कुछ छात्रों को कुछ प्रश्न सुझाए थे। शिक्षा मंत्री डॉ. वनलालथलाना ने कहा कि सामाजिक विज्ञान के प्रश्नपत्र के प्रश्नों और सरकार द्वारा संचालित मिजो हाई स्कूल के शिक्षक द्वारा सुझाए गए प्रश्नों के बीच समानता की शिकायतें मिलने के बाद, मिजोरम स्कूल शिक्षा बोर्ड (एमबीएसई) ने तुरंत जांच शुरू की। वनलालथलाना ने कहा कि आरोपी शिक्षक को रविवार को निलंबित कर दिया गया और उसी दिन एक थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ ‘‘ऐतिहासिक समझौते’’ पर अमल के लिए उनकी बड़ी बहन कृति सिंह देबबर्मा को पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का उम्मीदवार बनाया गया है। कृति सिंह देबबर्मा को बुधवार को पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा सीट से राजग का उम्मीदवार घोषित किया गया था। वह टिपरा मोथा के चुनाव चिह्न ‘अनानास’ पर नहीं, बल्कि भाजपा के चुनाव चिह्न ‘कमल’ पर चुनाव लड़ेंगी। अपनी बड़ी बहन के साथ राष्ट्रीय राजधानी से लौटे प्रद्योत देबबर्मा ने यहां एमबीबी हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राज्य के मूल निवासियों की समस्याओं के स्थायी संवैधानिक समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘समझौते को लागू करने के लिए चर्चा करने के वास्ते दिल्ली में एक आदर्श व्यक्ति का होना बहुत महत्वपूर्ण है।’’ टिपरा मोथा ने हाल में केंद्र और राज्य सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत मूल निवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया जाएगा।
इसके अलावा, त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आशीष कुमार साहा का आगामी लोकसभा चुनाव में त्रिपुरा पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब से मुकाबला है। कांग्रेस द्वारा जारी 39 उम्मीदवारों की पहली सूची में साहा को त्रिपुरा पश्चिम लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। इससे पहले भाजपा के संसदीय बोर्ड द्वारा घोषित पहली सूची में देब का नाम शामिल था। आशीष कुमार साहा ने कांग्रेस के टिकट पर 2013 का विधानसभा चुनाव बारदोवाली सीट से जीता और बाद में 2016 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में, उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में बारदोवाली सीट से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में लौट आए। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने हराया था। आशीष कुमार साहा ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी दलों के मोर्चे ‘इंडिया’ के तहत माकपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने पश्चिम त्रिपुरा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है जबकि माकपा त्रिपुरा पूर्वी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित करेगी जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। आशीष कुमार साहा ने पत्रकारों से कहा, “हम भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी राजनीतिक दलों की एकता को मजबूत करना चाहते हैं और लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी राजनीतिक ताकतों से भाजपा खेमे के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हैं।” त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को लेकर वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने पुष्टि की कि उनकी पार्टी भाजपा के खिलाफ है और पूरे विपक्ष को एकजुट करने के पक्ष में है। उन्होंने कहा, "हमारे दरवाजे चर्चा के लिए खुले हैं।"
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि अलग राज्य की मांग को लेकर ‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन बंद के कारण सोमवार को पूर्वी नगालैंड के छह जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ईएनपीओ के बंद के आह्वान के कारण क्षेत्र में दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे और अधिकतर वाहन सड़कों से नदारद रहे। ईएनपीओ क्षेत्र में सात नगा जनजातियों की शीर्ष संस्था है। बिजली विभाग, चिकित्सा, अग्निशमन और अन्य आपातकालीन सेवाओं के अलावा मीडिया और शादियों को बंद से छूट दी गई। ईएनपीओ की मांग है कि छह जिलों मोन, तुएनसांग, लोंगलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर को मिलाकर एक अलग 'फ्रंटियर नगा टेरिटरी' राज्य बनाया जाए। निकाय के सूत्रों ने बताया कि बंद का आह्वान करने का निर्णय रविवार को तुएनसांग जिले में ईएनपीओ के मुख्यालय में लिया गया था। ईएनपीओ ने संकल्प लिया है कि जब तक उसकी मांगें नहीं मानी जाएगी, वह आगामी लोकसभा चुनाव के लिए क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक दल को प्रचार करने की अनुमति नहीं देगा। ईएनपीओ ने अपनी मांगों को लेकर क्षेत्र में ‘‘सार्वजनिक आपातकाल’’ की घोषणा की थी और आठ मार्च को सुबह छह बजे से 12 घंटे तक क्षेत्र में बंद लागू किया था।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अरुणाचल प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को सभी 60 सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जिनमें 16 नए चेहरे शामिल हैं। कांग्रेस का दामन छोड़ हाल ही में भाजपा में शामिल हुए तीन विधायकों को भी उम्मीदवारों की सूची में जगह मिली है। पार्टी ने चार महिलाओं को भी उम्मीदवार बनाया है जिनमें से एक पहली बार चुनाव मैदान में किस्मत आजमाएंगी। मौजूदा सरकार में गृहमंत्री बमांग फेलिक्स (न्यापिन सीट), उद्योग मंत्री तुमके बागरा (आलो पश्चिम) और कृषि मंत्री तागे ताकी (जीरो-हापोली) को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। पार्टी ने शेरिंग लामू को लूमला, न्याबी जिनी दिरची को बसार, दासांग्लू पुल को हायूलियांग और चकत अबोह को खोंसा पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू और तापिर गाओ को क्रमशः अरुणाचल पश्चिम और अरुणाचल पूर्व लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। भाजपा ने मौजूदा विधायक लाइसम सिमाई (नामपोंग), केंटो रीना (नारी-कोयू), त्सेरिंग ताशी (तवांग) और लोकम तसर (कोलोरियांग) को इस बार टिकट नहीं दिया है। पार्टी ने मौजूदा महिला विधायकों गम तायेंग (दंबुक) और जुमम एते देवरी (लेकांग) का टिकट भी काट दिया है। हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए तीन विधायकों को भी उम्मीदवार बनाया गया है। निनॉन्ग एरिंग को पासीघाट पश्चिम से, लोम्बो तायेंग को मेबो से और वांग्लिंग लोवांगडोंग को बोरदुरिया-बोगापानी से चुनावी मैदान में उतारा गया है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा सीट में भाजपा को 41 पर जीत मिली थी। जनता दल (यूनाइटेड) को सात, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) को पांच, कांग्रेस को चार, पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) को एक और निर्दलीयों को दो सीट मिली थी। जद(यू) के सभी सात विधायक और पीपीए विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।
इसके अलावा, भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश की हालिया यात्रा पर चीन की आपत्ति को दृढ़ता से खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि राज्य हमेशा भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य हिस्सा ‘‘था, है और रहेगा।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि चीनी पक्ष को कई अवसरों पर इस ‘‘अडिग रुख’’ से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय नेताओं के अरुणाचल प्रदेश के इस प्रकार के दौरों या राज्य में भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति जताने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री के अरुणाचल प्रदेश दौरे के संबंध में चीनी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं।’’ चीन ने सोमवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने को लेकर उसने भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज कराया है और उसने भारत के इस कदम से सीमा विवाद के ‘‘केवल (और) जटिल होने’’ की बात कहकर क्षेत्र पर फिर से अपना दावा जताया। जायसवाल ने कहा कि ऐसी यात्राओं पर चीन की आपत्ति इस वास्तविकता को नहीं बदल पाएगी कि अरुणाचल प्रदेश ‘‘भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नेता भारत के अन्य राज्यों की तरह ही समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं। ऐसे दौरों या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति जताना उचित नहीं है।’’ जयसवाल ने कहा, ‘‘साथ ही, इससे यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष को कई बार इस अडिग रुख से अवगत कराया गया है।’’ जायसवाल ने मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन की आपत्ति से जुड़े मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए यह कहा। चीन, अरुणाचल प्रदेश के दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है। वह भारतीय नेताओं के राज्य का दौरा करने पर नियमित रूप से आपत्ति जताता रहा है। चीन ने इस इलाके का नाम जैंगनान रखा है।