By नीरज कुमार दुबे | Apr 18, 2024
तमिलनाडु उन राज्यों में शुमार है जहां लोकसभा चुनावों के पहले चरण के दौरान सभी सीटों पर मतदान कराया जायेगा। मतदाता लोकसभा चुनावों में इस बात का फैसला करेंगे कि दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी या प्रधानमंत्री कौन बनेगा। लेकिन इसके साथ ही राज्य का मतदाता इस बात का भी फैसला करने जा रहा है कि तमिलनाडु का राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा जब तमिलनाडु पहुँची तो हमने शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मन को टटोला। राजनीतिक दलों के बारे में पूछे जाने पर तो मतदाताओं की राय अलग-अलग रही लेकिन जब तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई के बारे में हमने प्रश्न पूछा तो सभी के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी। ऐसा लग रहा था कि तमिलनाडु की जनता अन्नामलाई को अपना भविष्य का नेता मान चुकी है। अन्नामलाई की सहजता, सुलभता और सहृदयता के सभी कायल दिखे। जिस तरह अन्नामलाई आम आदमी के हितों से संबंधित मुद्दे उठा रहे हैं उससे सिर्फ गरीब व्यक्ति ही नहीं बल्कि अमीर व्यक्ति भी प्रभावित दिखे। यहां हमें एक बात और महसूस हुई कि जिस तरह देशभर में भाजपा मतलब मोदी है उसी तरह तमिलनाडु में भाजपा मतलब अन्नामलाई दिखा। अन्नामलाई ने राज्य भर की अपनी यात्रा के दौरान प्रदेश के कोने-कोने में अपनी पार्टी की जड़ें मजबूत की हैं। संभव है इसका पूरा परिणाम इस लोकसभा चुनाव में नहीं दिखे लेकिन आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में भाजपा चमत्कार कर सकती है। तमिलनाडु की राजनीति द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच घूमती रही है लेकिन अब भाजपा यहां तेजी से आगे बढ़ रही है। लोगों से बातचीत में हमने पाया कि भाजपा तमिलनाडु में मुख्य विपक्ष का स्थान ले चुकी है। आंकड़ों के लिहाज से अन्नाद्रमुक भले मुख्य विपक्षी पार्टी हो लेकिन उसके अंदर भारी बवाल मचा हुआ है दूसरी ओर भाजपा पूरी एकजुटता के साथ आगे बढ़ रही है।
जहां तक भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी कुप्पुस्वामी अन्नामलाई की बात है तो वह जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उसको देखते हुए लगता नहीं कि उन्हें राजनेता बने हुए चार साल ही हुए हैं। वह जिस कोयम्बटूर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं वहां उनकी दीवानगी देखते ही बन रही है। चुनाव प्रचार के दौरान अन्नामलाई जिस क्षेत्र में पहुँचते वहां पटाखे फोड़कर और ढोल की थाप के साथ उनका स्वागत किया जाता रहा। उनकी भगवा मिनी बस को देखने के लिए लोग घंटों तक खड़े रह कर इंतजार करते दिखे। सफ़ेद धोती-कुर्ता पहने और टेढ़ी-मेढ़ी दाढ़ी तथा बिखरे हुए बाल वाले अन्नामलाई जैसे ही अपनी मिनी बस की छत पर आते वैसे ही उनके प्रति लोगों की दीवानगी देखते ही बनती थी। अन्नामलाई अपने हर पड़ाव पर लोगों से बात करते और विकास के लिए मोदी और भाजपा को वोट देने की अपील करते। इस दौरान भीड़ का जोश देखते ही बनता था। अपने चुनावी भाषणों में अन्नामलाई राज्य में सत्तारुढ़ द्रमुक और इंडिया गठबंधन के दलों की वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार पर खूब प्रहार करते रहे। अन्नामलाई अपने चुनाव प्रचार के दौरान गरीबों के घर भोजन भी करते रहे। अन्नामलाई आईपीएस अधिकारी पद पर कार्य करने के दौरान भी उतने ही मृदुभाषी थे जितने आज हैं। वह अपने वक्तृत्व कौशल और जुझारूपन के लिए सिंघम के नाम से भी जाने जाते हैं।
अन्नामलाई की उम्र मात्र 39 साल है और वह तमिलनाडु में अब तक के सबसे कम उम्र के भाजपा अध्यक्ष हैं। भाजपा जिस तरह तमिलनाडु के युवाओं को आगे बढ़ा रही है उसके चलते खासतौर पर पहली बार मतदान करने वाले युवाओं का झुकाव भाजपा की ओर नजर आया। जब हमने लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि अन्नामलाई में बदलाव लाने की क्षमता है और उनका जुझारूपन तमिलनाडु की जनता को बड़े लाभ दिलवा सकता है। तमिलनाडु में पिछले दो चुनावों में भाजपा का अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन रहा। गठबंधन के तहत 2019 के लोकसभा चुनावों में तो भाजपा को कोई सीट नहीं मिली लेकिन तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में उसे जरूर चार सीटें मिल गयीं। इस बार भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए अकेले लड़ने का फैसला किया और पार्टी कुछ छोटी पार्टियों के साथ तालमेल करके पूरी तरह अन्नामलाई के नेतृत्व में चुनाव में उतरी है। अन्नामलाई को जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के आला नेताओं का आशीर्वाद हासिल है उसको देखते हुए राज्य में पार्टी के सभी नेता भी अन्नामलाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।
तमिलनाडु में भाजपा ने अन्नाद्रमुक के दूसरे गुट के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम को अपने साथ रखा है। भाजपा समझ रही है कि जयललिता के बाद अन्नाद्रमुक का आधार खत्म हो रहा है। हालांकि जनता के बीच जयललिता के प्रति अब भी स्नेह है। इसलिए भाजपा ने पनीरसेल्वम को अपने साथ रखा हुआ है ताकि जयललिता से जुड़े रहे मतदाता भगवा दल के साथ जुड़ जायें। यदि भाजपा अन्नाद्रमुक के वोटबैंक को हथियाने में कामयाब रहती है तो तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। भाजपा त्रिपुरा में वामपंथियों का गढ़ उखाड़ कर, बंगाल में तेजी से अपना आधार बढ़ा कर और गुजरात में तीन दशकों से अपना गढ़ बचाये रखने जैसे कई करिश्मे करके दिखा चुकी है इसलिए उसके इस दावे पर संदेह नहीं किया जा सकता कि तमिलनाडु में आने वाले दिनों में उसका राज होगा।
जहां तक अन्नामलाई के परिचय की बात है तो आपको बता दें कि वह कोयंबटूर से लगभग 130 किमी दूर करूर जिले के एक किसान परिवार से आते हैं। वह राज्य के प्रभावशाली गौंडर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। आईआईएम लखनऊ से एमबीए करने से पहले अन्नामलाई ने कोयंबटूर के एक प्रसिद्ध कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने कर्नाटक में एक पुलिस अधिकारी के रूप में आठ साल (2011-19) तक सेवा की। आईपीएस और पुलिस बल छोड़ने के बाद, उन्होंने एक एनजीओ की स्थापना की, जिसने पर्यावरण परिवर्तन पर काम किया।
अन्नामलाई को पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीस्वामी (ईपीएस) के नेतृत्व वाले अन्नाद्रमुक नेतृत्व के लिए भी खतरा माना जाता है। हम आपको बता दें कि पलानीस्वामी भी संयोग से गौंडर जाति से हैं। पिछले साल, अन्नामलाई ने 'एन मन, एन मक्कल (मेरी भूमि, मेरे लोग)' नाम से एक कठिन राज्यव्यापी यात्रा शुरू की थी, जिसने सभी 234 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया और काफी लोकप्रियता हासिल की। अभी हाल ही में चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने एक आरटीआई दस्तावेज़ के जरिये भारत और श्रीलंका के बीच स्थित द्वीप कच्चातिवू का मुद्दा उठाकर द्रमुक और कांग्रेस को घेर लिया था। आरोप यह थे कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में इसे श्रीलंका को उपहार में दिया था। आरोप था कि राज्य के हितों के लिए इस हानिकारक निर्णय को तत्कालीन द्रमुक सरकार के दौरान लिया गया था।
हमने तमिलनाडु में भाजपा की रणनीति को करीब से समझा और महसूस किया कि पार्टी की रणनीति अपने मौजूदा चार प्रतिशत वोट को दोहरे अंक तक ले जाने और फिर 20 से 25 प्रतिशत तक पहुँचाने की है। अन्नामलाई जानते हैं कि यह कठिन चुनौती है लेकिन वह इस चुनौती को ही चुनौती देते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यदि वह सफल हुए तो सबसे पहले अन्नाद्रमुक की जगह ले लेंगे और फिर उन्हें द्रमुक से सत्ता छीनने से भी कोई नहीं रोक पायेगा। देखा जाये तो अन्नामलाई के रूप में भाजपा को तमिलनाडु में ऐसा नेता मिल गया है जिसकी राज्य भर में स्वीकार्यता है और वह प्रतिबद्धता के साथ अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने की क्षमता भी रखता है। अन्नामलाई कहते हैं कि वह अब भी सीख रहे हैं। पुलिस अधिकारी और राजनेता के बीच के अंतर पर उनका कहना है कि पुलिस अधिकारी को कानून के हिसाब से काम करना होता है जबकि राजनीति में सभी को साथ लेकर चलना होता है।
बहरहाल, बताया जा रहा है कि अन्नामलाई हालांकि लोकसभा चुनाव लड़ने की बजाय अपनी पूरी ताकत राज्य भर में पार्टी के प्रचार के लिए लगाना चाहते थे लेकिन पार्टी आलाकमान का निर्णय उन्होंने स्वीकार किया। कोयम्बटूर में वह आगे दिख रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ प्रतिद्वंद्वी भी कमजोर नहीं हैं। हम आपको बता दें कि इस सीट पर अन्नाद्रमुक ने युवा सिंगाई रामचंद्रन को मैदान में उतारा है, जिनके पास इंजीनियरिंग की डिग्री और आईआईएम पृष्ठभूमि भी है। द्रमुक ने कोयंबटूर के पूर्व मेयर गणपति राजकुमार को मैदान में उतारा है, जो पहले अन्नाद्रमुक में थे। ये तीनों गौंडर समुदाय से हैं और मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है।
-नीरज कुमार दुबे