By अंकित सिंह | Sep 13, 2022
नीतीश कुमार के कभी बेहद भरोसेमंद माने जाने वाले पवन वर्मा ने हाल में ही बिहार के मुख्यमंत्री से मुलाकात की है। पवन वर्मा को पिछले दिनों जदयू से निष्कासित कर दिया गया था। निष्कासन तक उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर काम भी किया था। दरअसल, नीतीश कुमार जबसे एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई है, तब से वह अपने पुराने सहयोगियों के साथ लगातार मुलाकात कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों शरद यादव से मुलाकात की थी। अब उनकी मुलाकात पवन वर्मा से हुई है। यह मुलाकात नीतीश कुमार के आधिकारिक आवास पर हुई। पवन वर्मा ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमारे बीच राजनीतिक मतभेद जरूर रहे हैं, लेकिन हम पुराने दोस्त हैं।
दरअसल, नीतीश कुमार ने जब 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन किया था। तो उस समय पवन वर्मा ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। बाद में पवन वर्मा ने साएए-एनपीआर और एनआरसी विवाद को लेकर आक्रामक रुख अपनाया था। उसी के बाद जदयू से उन्हें निष्कासित कर दिया था। पवन वर्मा पहले आईएफएस अधिकारी रहे हैं। पवन वर्मा ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा था। हालांकि, कुछ दिन पहले ही उन्होंने तृणमूल से भी इस्तीफा दे दिया था। पवन वर्मा से सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वह आगे राजनीति में फिर से आने की योजना बना रहे हैं? इस पर पवन वर्मा अभी जवाब नहीं दे रहे। हालांकि, वे यह जरूर कह रहे हैं कि मैंने भाजपा छोड़ने के लिए नीतीश कुमार को बधाई दी है और साथ ही साथ विपक्ष को एकजुट करने के उनके प्रयास को प्रशंसनीय बताया है।
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार और पवन वर्मा के बीच प्रशांत किशोर को लेकर भी बातचीत हुई है। प्रशांत किशोर को फिर से पाले में करने के लिए नीतीश कुमार पवन वर्मा को जिम्मेदारी दे सकते हैं। वही प्रशांत किशोर लगातार इन दिनों नीतीश कुमार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर हैं। देखना होगा कि पवन वर्मा को इसमें कितनी कामयाबी मिल पाती है। पवन वर्मा जदयू के राज्यसभा सांसद रहे हैं। हालांकि, जब जदयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में पक्ष में मतदान किए थे तो उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इतना ही नहीं, उन्होंने भाजपा के हिंदुत्व की राजनीति की भी आलोचना की थी। पवन के सार्वजनिक खुलासे के बाद नीतीश कुमार भी नाराज हुए थे। इसी दौरान पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को जदयू से बाहर कर दिया गया था।