By अभिनय आकाश | Jun 01, 2022
"जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" इस नारे की गूंज विभिन्न राज्यों के क्षेत्रिए क्षत्रपों की तरफ से लगाए जाते रहे हैं। इसके साथ ही जातिगत आधारित जनगणना को लेकर भी मांग तमाम दलों की ओर से उठाए जाते रहे हैं। अब बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक आज बुलाई गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में ये बैठक आज शाम 4 बजे बुलाई गई है। बिहार में किस तरीके से जातीय जनगणना कराई जाए और इसकी रूपरेखा क्या होगी इन सभी विषयों पर सभी राजनीतिक दल अपना पक्ष रखेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर विपक्षी दल राजद की तरफ से नीतीश कुमार से सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग की जाती रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक में जो आम राय निकलकर आएगी उसी के आधार पर बिहार में जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट की बैठक में भेजा जा सकता है। राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद बिहार में जातीय जनगणना की प्रक्रिया होगी।
विधानसभा से दो बार पास हो चुका है प्रस्ताव
ऐसा नहीं है कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पहली बार मांग तेज होती दिखी है। इससे पहले सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो बार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवाया हुआ है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने देश भर में जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जातियों के आधार पर कराने की अपील की थी। उनके साथ विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव व अन्य राजनीतिक दलों का प्रतिनिधि मंडल भी था। लेकिन केंद्र सरकार ने साफ-साफ जातिगत जनगणना कराने से इनकार कर दिया।