By अंकित सिंह | Aug 04, 2021
चारा घोटाला मामले में बेल मिलने के बाद जैसे-जैसे लालू यादव की राजनीतिक सक्रियता बढ़ रही है वैसे-वैसे ही बिहार में भी सियासी उबाल देखा जा रहा है। हाल में ही आरजेडी विधायक डॉ मुकेश रौशन ने यह दावा किया कि जिस दिन लालू प्रसाद यादव का कदम बिहार के धरती पर पड़ेगा उसी दिन नीतीश कुमार की सरकार गिर जाएगी। जाहिर सी बात है लालू यादव की सक्रियता यह आभास जरूर करा रही है। लालू यादव वर्तमान में दिल्ली में है और वह स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने हाल में ही कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में कहा कि वह जल्द ही बिहार लौट आएंगे। कार्यकर्ताओं को जब से लालू यादव ने यह बात कही है उनमें गजब का उत्साह है। उन्हें इस बात की उम्मीद है कि लालू यादव के बिहार लौटते ही सरकार बनाने से पिछड़ी महागठबंधन कुछ नया और अलग कर सकती है। लालू यादव को बिहार की राजनीति का महारत माना जाता है। ऐसे में कार्यकर्ता और आरजेडी के लोग उनसे इसी बात की उम्मीद भी कर रहे हैं।
आरजेडी विधायक डॉ मुकेश रौशन के इस बयान के बाद जदयू की ओर से भी पलटवार किया गया है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि इन लोगों को बिहार के विकास कार्यों से कोई लेना देना नहीं है, सिर्फ तेजस्वी यादव की ताजपोशी को लेकर बेचैन रहते हैं जो संभव नहीं है। राज्य की जनता और तमाम विधायक नीतीश कुमार के साथ हैं और आगे भी रहेंगे। भाजपा की ओर से भी इसपर पलटवार किया गया। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि यह लोग दिन में भी सपने देखते हैं। राज्य की जनता विकास के साथ है और हम लोगों की सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बेहतर काम कर रही है और आगे भी करते रहेंगे। जिनको सत्ता पाने का सपना खुली आंखों से देखना है वह देखते रहे।
लालू यादव ने कहीं ना कहीं इस बात के संकेत तो जरूर दिए हैं कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए। ऐसे में बिहार लौटने के साथ ही वह अपने बेटे की ताजपोशी के लिए कुछ ना कुछ करने की कवायद की शुरुआत जरूर करेंगे। माना जा रहा है कि लालू यादव ने एनडीए के दो सहयोगी जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी से भी मुलाकात की है। हालांकि आरजेडी की ओर से इस बात का लगातार खंडन किया जा रहा है। आपको बता दें कि एनडीए में मुकेश सहनी की पार्टी के चार विधायक जबकि जीतन राम मांझी के पार्टी के भी चार विधायक शामिल है। इन 8 विधायकों के दम पर ही एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर रहा है। महागठबंधन महज कुछ सीट से ही पीछे रह गया। आपको बता दें कि बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायक चाहिए। महागठबंधन 12 विधायक पीछे हैं।