By अंकित सिंह | Aug 08, 2022
बिहार की राजनीति के लिए अगले 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। बिहार की राजनीति एक बार फिर से नई करवट लेने के लिए तैयार है। बिहार में राजनीतिक फिजा इस वक्त किस ओर बह रही है, इसका अनुमान लगा पाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं और वह अब अपनी अलग राह बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। पटना से लेकर दिल्ली की सियासत में तैर रही खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार कांग्रेस, राजद और लेफ्ट के साथ मिलकर वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस बात के कयास पिछले कई दिनों से लगाए जा रहे हैं। हालांकि, आरसीपी सिंह प्रकरण ने इस आग में घी डालने का काम किया है। जदयू लगातार भाजपा पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगा रही है। जदयू की ओर से चिराग मॉडल का भी जिक्र किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि चिराग मॉडल की ही तरह आरसीपी सिंह मॉडल को आगे बढ़ाया जा रहा था। हालांकि, जब रविवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से इसको लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भाजपा और जदयू में ऑल इज वेल है। लेकिन इस दौरान उन्होंने भाजपा सब बिना नाम लिए कई बार उस पर निशाना भी साधा।
मंगलवार का दिन बेहद अहम
मंगलवार को बिहार की राजनीति के लिए काफी अहम दिन बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि मंगलवार को नीतीश कुमार ने विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। चर्चा तो यह भी है कि आरजेडी की भी मंगलवार को एक बड़ी बैठक हो रही है जिसमें पार्टी के विधायक शामिल होंगे। कांग्रेस भी अब इसको लेकर हरकत में आ गई है। कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास पटना पहुंचने वाले हैं। खबर के मुताबिक पटना में भक्त चरण दास पार्टी के विधायकों से चर्चा करेंगे। कुल मिलाकर देखें तो बिहार में राजनीतिक हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं। बीजेपी फिलहाल सभी को खामोशी से देखती नजर आ रही है। बीजेपी की तरफ से ऐसा कोई बयान भी नहीं आ रहा है जिससे लगे कि गठबंधन में वाकई कोई दरार है।
कई दिन से बीजेपी से नीतीश ट्रिक रही दूरी
पिछले 1 महीने के भीतर ऐसे चार मौके आए जब नीतीश कुमार और भाजपा के बीच दूरी साफ तौर पर दिखाई दी। सबसे पहले नीतीश कुमार 17 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में तिरंगे को लेकर बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की विदाई भोज में नीतीश कुमार सम्मिलित नहीं हुए थे। हालांकि प्रधानमंत्री की ओर से उन्हें निमंत्रण जरूर गया था। 25 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे। हाल में ही 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक थी। तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री इसमें शामिल हुए लेकिन नीतीश कुमार इस से दूर रहें।
ललन का बयान
ललन ने भाजपा के साथ सबकुछ ठीक होने का दावा करते हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में जदयू के समर्थन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया। जदयू अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का इससे मजबूत प्रदर्शन नहीं हो सकता। भाजपा के नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के वादे के बारे पूछे जाने पर ललन ने कहा, ‘‘मैं 2024 या 2025 के बारे में कुछ भी आश्वासन के साथ कैसे कह सकता हूं। मैं यह नहीं कह सकता कि मैं कल जीवित रहूंगा या नहीं।’’