By अभिनय आकाश | Jun 05, 2023
दुनिया की किसी भी चीज से अगर नियंत्रण हट जाए तो वो घातक हो सकती है। अब न्यू स्टार्ट संसंधि का पालन न होने से परमाणु हथियार, घातक मिसाइलों की तैनाती और तादाद पर कंट्रोल नहीं रहेगा। पहले पुतिन ने इस संधि से किनारा किया और अब अमेरिका ने भी परमाणु हथियारों पर जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है। इस संधि के खत्म होने का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट दुनिया पर यही होगा कि मुल्कों के बीच परमाणु हथियारों की रेस फिर से शुरू हो जाएगी। इस रेस में रूस और अमेरिका ही नहीं बल्कि रूस की भी एंट्री होगी। क्योंकि चीन भी खुद को सुपरपावर बनाने के लिए परमाणु शक्ति बढ़ा रहा है।
क्या होगा असर
रूस और अमेरिका ज्यादा से ज्यादा परमाणु वॉर हेड की तैनाती शुरू कर देंगे। दोनों देश ज्यादा से ज्यादा ताकतवर बनने के लिए ज्यादा से ज्यादा परमाणु हथियार बनाएंगे। न किसी तरह की जानकारी साझा होगी और न ही किसी तरह की साइड विजिट होगी। पिछले साल फरवरी में शुरू हुए युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस के बीच जिस तरह से तनाव बढ़ा है। उन हालातों में समझौते की धज्जियां उड़ना पूरी दुनिया के लिए बेहद खतरनाक है। अब अमेरिका और रूस के न्यूक्लियर हथियार एक अनियंत्रित तरीके से बनाए भी जाएंगे और तैनात भी होंगे। हथियार बढ़ने और संदेह बढ़ने के साथ ही दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर वॉर होने का खतरा भी कई गुणा बढ़ गया है।
दुनिया में परमाणु युद्ध की आशंका और गहरी हुई
अमेरिका और रूस ने अपने न्यूक्लियर हथियारों की पोजीश्निंग शुरू भी कर दी है। पुतिन ने इसकी शुरुआत बेलारूस से की है। दुनिया में परमाणु युद्ध की आशंका और गहरी हुई है तो उसकी कई वजह है। अमेरिका ने भी न्यू स्टार्ट संधि से खुद को अलग किया। जबकि रूस फरवरी 2023 से ही न्यू स्टार्ट संधि से अलग हो गया था। बेलारूस में तो रूस ने परमाणु हथियार तैनात कर दिए हैं। इसके साथ ही जुलाई तक बेलारूस में परमाणु जखीरे के लिए गोदाम तैयार होगा।