Prabhasakshi NewsRoom: China Border पर Indian Army की तोपखाना यूनिटों की युद्ध क्षमता में भारी इजाफा किया गया

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By नीरज कुमार दुबे | Sep 28, 2024

Prabhasakshi NewsRoom: China Border पर Indian Army की तोपखाना यूनिटों की युद्ध क्षमता में भारी इजाफा किया गया

चीन से तनाव के बीच भारतीय सेना ने सीमाई क्षेत्रों में जवानों की उपस्थिति और अस्त्र-शस्त्र में तो भारी वृद्धि की ही है साथ ही अब थलसेना 100 के-9 वज्र हॉवित्जर तोप, ड्रोन, गोला-बारूद और निगरानी प्रणाली खरीदकर चीन से लगी सीमा पर अपनी तोपखाना इकाइयों की लड़ाकू क्षमता में भी वृद्धि कर रही है। हम आपको बता दें कि सेना में तोपखाना मामलों के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए तोपखाना इकाइयों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न आधुनिक प्लेटफॉर्म और उपकरण खरीदे जा रहे हैं। उन्होंने आर्टिलरी रेजिमेंट की 198वीं वर्षगांठ से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज, हम इतनी तेजी से आधुनिकीकरण कर रहे हैं, जितना पहले कभी नहीं किया गया और वह भी निर्धारित समय-सीमा के अंदर।’’ अदोष कुमार ने कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से भी विकास कार्य प्रगति पर है। हम आपको बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइल पांच मैक की गति या ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक गति से उड़ सकती हैं।


लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने कहा कि सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तरी सीमाओं पर के-9 वज्र, धनुष और सारंग सहित कई 155 मिमी तोपखाना प्रणाली तैनात की गई हैं। सेना पहले ही 100 के-9 वज्र तोप प्रणाली तैनात कर चुकी है। यह 100 के-9एस की एक और खेप खरीदने की प्रक्रिया में है। उल्लेखनीय है कि के-9 वज्र मूल रूप से रेगिस्तान में तैनाती के लिए खरीदी गई थीं, लेकिन पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद सेना ने इस ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में हॉवित्जर तोपों को तैनात कर दिया है।


हम आपको यह भी बता दें कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भविष्य के रणनीतिक नेताओं को प्रौद्योगिकी-संचालित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, जहां समयसीमा तेजी से कम हो रही है। अग्रणी त्रि-सेवा भविष्य का युद्ध पाठ्यक्रम के समापन अवसर पर अपने संबोधन में जनरल चौहान ने रेखांकित किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग, स्टेल्थ प्रौद्योगिकी और हाइपरसोनिक्स तथा रोबोटिक्स में प्रगति भविष्य के युद्धों के चरित्र को तय करेगी। हम आपको बता दें कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य आधुनिक युद्धक्षेत्र की जटिलताओं से निपटने में प्रौद्योगिकी सक्षम सैन्य कमांडरों का एक कैडर तैयार करना है।


रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के प्रसार, युद्ध के बदलते चरित्र और हाल के तथा जारी संघर्षों से सीखे गए सबक के साथ एक गतिशील सुरक्षा वातावरण के लिए भविष्य के नेता तैयार करने की आवश्यकता है, जो आधुनिक युद्ध की बारीकियों को समझने में सक्षम हों।’’ जनरल चौहान ने अपने संबोधन में ‘‘भविष्य के रणनीतिक नेताओं के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जहां समयसीमा तेजी से कम हो रही है।’’ बयान में कहा गया कि इससे पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को भविष्य के युद्ध का नेतृत्व करने और आकार देने में मदद मिलेगी, जिससे उभरती चुनौतियों के लिए एकीकृत और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी। जनरल चौहान और तीनों सेनाओं के उप-प्रमुखों को सप्ताह भर के पाठ्यक्रम के परिणामों के बारे में जानकारी दी गई तथा बाद के पाठ्यक्रमों की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।

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