By अभिनय आकाश | Dec 09, 2021
हम सब के लिए पूरे देश के लिए बहुत दुखद दिन रहा। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को हमने खो दिया। एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई। 8 दिसंबर का पूरा दिन हमने प्राथर्नाएं करके बिताया। जैसी ही ये जानकारी सामने आई कि तमिलनाडु में सीडीएस जनरल रावत को ले जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। सरकार से लेकर आम नागरिक सभी मनाने लगे कि कहीं से कोई अच्छी खबर आ जाए। लेकिन जिस तरह की हलचल सरकार में पैदा हो गई थी और जिसे हम देख भी पा रहे थे उसी से लग गया था कि कुछ बुरा हो गया है। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि देश का अब अगला सीडीएस कौन होगा? पीएम मोदी अक्सर सरप्राइज देकर चौंकाने के लिए जाने जाते हैं और सरकार किसे अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ चुनेगी ये तो कोई नहीं जानता। लेकिन संभावनाएं जरूर व्यक्त की जा रही हैं। पद इतना अहम है और किसी वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी को ही इसके लिए चुना जा सकता है। इस लिहाज से देखें तो तीनों सेनाओं जल, छल और नभ के चीफ इसके प्रबल दावेदार हैं।
देश के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल मनोज मुंकुंद नरवणे जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में काउंटर इंजसर्जेंसी ऑपरेशन का जबरदस्त अनुभव है। जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के लिए जनरल एमएम नरवणे की दावेदारी सबसे मजबूत दिख रही है। सीडीएस के तौर पर वरिष्ठता के तौर पर हाल के दिनों में रिटायर होने वाले नामों को देखें तो एडमिरल करमवीर जो कि फॉर्मर नेवी चीफ हैं। इसके अलावा एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा जो कि रिटायर्ड एयर फोर्स चीफ हैं। उनके अलावा अगर कोई और भी होता है। कौन नया सीडीएस होगा या फिर कोई अंतरिम सीडीएस होगा जो उनका पदभार संभालेगा उसकी भी संभावनाएं बनती है। सेना के तीनो प्रमुख अंगों की बात करें तो
पीएम मोदी ने लालकिले से किया था ऐलान
जनरल बिपिन रावत जनवरी 2020 में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बने। 2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि एक सीडीएस की नियुक्ति होगी जो तीन सशस्त्र बलों के प्रमुख होगा। नए सीडीएस की घोषणा ऐसे समय में और महत्वपूर्ण हो जाती है जब चीन के साथ भारत का सीमा गतिरोध लगातार बना हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार अगले सात से दस दिनों में नए सीडीएस की नियुक्ति पर विचार कर रही है। जनरल बिपिन रावत के निधन के साथ, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे अब देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी बन गए हैं। सेना के पदानुक्रम में उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती और उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी उनके बाद आते हैं।
शेकतकर कमेटी और उसके सुझाव
साल 2016 के मई के महीने में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकतकर की अगुवाई में 11 सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। इस कमेटी का उद्देश्य सैन्य क्षमता को बढ़ाना और रक्षा खर्च को संतुलित करने के अपायों को सुझाना था। 2016 में ही दिसंबर के महीने में शेकतकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुक की। इस रिपोर्ट में कई प्रकार के सैन्य सुधारों की बाते की गई, मसलन इंजीनियरिंग कोर का आकार घटाना, गोली बारी की ट्रेनिंग का खर्च सिम्युलेटर की मदद से कम करने की बात कही गई। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस के पद के गठन की सिफारिश भी की गई। 20 अप्रैल, 2020 को दिल्ली में हुई एक हाई लेवल मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शेकतकर कमेटी की सिफारिशों का रिव्यू भी किया था। इस मीटिंग में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ जनरल एमएम नरावने, नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह, एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, रक्षा सचिव अजय कुमार और डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी शामिल थे। किसी सेना प्रमुख को सीडीएस बनाए जाने पर आयु सीमा का नियम बाधा न बने, इसलिए सीडीएस पद पर रहने वाले अधिकारी अधिकतम 65 साल की आयु तक इस पद पर काम कर सकेंगे। सेना प्रमुख अधिकतम 62 साल की आयु या 3 वर्। के कार्यकाल तक अपने पद पर रह सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने सेना के नियम 1954, नौसेना (अनुशासन और विविध प्रावधान) विनियम 1965, सेवा की शर्तें और विविध विनियम 1963 और वायु सेना विनियम 1964 में संशोधन किया है।
सीडीएस पद के लिए पात्रता मानदंड
सशस्त्र बलों का कोई भी कमांडिंग ऑफिसर या फ्लैग ऑफिसर नियमों के अनुसार इस पद के लिए पात्र हैं। आम तौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष निर्धारित की गई है। वहीं, बाकी तीनों सेना प्रमुख या तो 62 साल की उम्र तक या फिर अधिकतम तीन सालों तक अपने पद पर रह सकते हैं। शेकटकर कमेटी की सिफारिश में कहा गया है कि सरकार को तीनों सेना प्रमुखों में से सीडीएस का चयन करना चाहिए। सुरक्षा प्रतिष्ठान में कई लोगों का मानना है कि सीडीएस की पहली दो या तीन नियुक्तियां सेना से होनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश जिन सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, वे दोनों विरोधियों की सीमाओं के साथ हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में जनरल रावत का अनुभव उन्हें सीडीएस के पद पर नियुक्त करने का कारण था। जनरल रावत ने दो शीर्ष जनरलों, लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को पीछे छोड़ ये पद हासिल किया था।
सीडीएस की जिम्मेदारियां
चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ एक साथ तीन ज़िम्मेदारियाँ संभालते थे। पहला सीडीएस की ज़िम्मेदारी। दूसरा चेयरमैन, चीफ़ ऑफ़ स्टॉफ़ कमेटी और तीसरी ज़िम्मेदारी सचिव, डीएमए की थी. डीएमए यानी डिपार्टमेंट ऑफ़ मिलिट्री अफ़ेयर्स। ये रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला सैन्य मामलों का विभाग है। साथ ही सीडीएस परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार भी होते हैं। एकीकृत क्षमता विकास योजना के तहत सीडीएस रक्षा से जुड़ी पूंजीगत अधिग्रहण पंचवर्षीय योजना और दो वर्षीय सतत् वार्षिक अधिग्रहण योजना को भी कार्यान्वित करते हैं।
कौन हैं एमएम नरवणे?
देश के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल मनोज मुंकुंद नरवणे जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में काउंटर इंजसर्जेंसी ऑपरेशन का जबरदस्त अनुभव है। इसके पहले वो सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख थे। सेना में अपने 4 दशक के कार्यकाल में नरवणे ने कई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है। उन्होंने कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में अपनी तैनाती के दौरान आतंकी गतिविधियों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। नरवणे श्रीलंका में 1987 के दौरान चलाए गए ऑपरेशन पवन में पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा रह चुके हैं। जनरल एमएम नरवणे ने 1 सितंबर को भारतीय सेना के उप प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था।
एडमिरल करमबीर सिंह
नौसेना की पूर्वी कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को मार्च 2019 में नौसेना का नया प्रमुख नियुक्त किया गया था। एडमिरल करमबीर सिंह ने चार दशक के करियर में उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा अति विशिष्ट सेवा मेडल भी दिया जा चुका है। वे इंडियन कोस्ट गार्ड शिप को कमांड कर चुके हैं। वे वेस्टर्न फ्लीट में फ्लीट ऑपरेशन के अफसर भी रह चुके हैं। मई में नौसेना प्रमुख की कमान संभालने के बाद नवंबर 2021 तक नौसेना प्रमुख रहे।
आरकेएस भदौरिया
सीडीएस बनने की रेस में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया का नाम भी चल रहा है। भदौरिया जून 1980 में आईएएफ की फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए और 42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए, जिसके दौरान उन्होंने दो मेगा फाइटर एयरक्राफ्ट सौदों में अहम भूमिका निभाई। इसमें 36 राफेल और 83 मार्क 1 ए स्वदेशी तेजस जेट शामिल थे।
क्या होगी प्रक्रिया
डिफेंस एक्सपर्ट इस बात पर भी जोर देते हैं कि यह केंद्र सरकार तय करेगी कि कौन बिपिन रावत के बाद खाली हुए पद पर नियुक्त होगा। उसके अपने मानक होंगे।अगले सीडीएस के नाम का एक पैनल रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से सुझाव के तौर पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी को भेजा जाएगा। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी से भी इस लिस्ट को पास कराने की ज़रूरत पड़ेगी। हालांकि अंतिम फ़ैसला सीसीएस की बैठक में ही होगा जिसके अध्यक्ष ख़ुद प्रधानमंत्री होते हैं। इस पैनल में आने वाले नामों पर केवल रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं से ही इनपुट नहीं लिया जाएगा बल्कि इंटेलिजेंस एजेंसी और चार बड़े मंत्रालय जो सीसीएस के सदस्य होते हैं उनकी राय भी ली जाएगी।
बहरहाल, प्रधानमंत्री लगातार अपने फैसले से लोगों को चौंकाते रहे हैं। इसलिए आने वाले समय में कौन नया सीडीएस बनेगा ये स्पष्ट रूप से दावा नहीं किया जा सकता है। लेकिन हां ये जरूर है कि उनके बैक ऑफ द माइंड में सबकुछ तय हो गया होगा।
-अभिनय आकाश