माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में करभार में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने की शिकायतों पर निर्णय के लिए पांच एक सदस्यीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित किया जाएगा। यह प्राधिरकण ऐसे मामलों में जुर्माना तय करेगा। इस प्राधिकरण की अध्यक्षता सचिव स्तर का कोई सेवानिवृत अधिकारी करेगा। प्राधिकरण ऐसे मामलों में स्वयं भी कार्रवाई शुरू कर सकेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में रविवार को यहां जीएसटी परिषद की बैठक में मुनाफाखोरी निरोधक नियमों को अंतिम रूप दिया गया है।
इन नियमों के तहत दो साल से अधिक पुराने मामलों पर पटाक्षेप माना जाएगा। प्राधिकरण दोषी कारोबारियों को यह निर्देश दे सकेगा कि वे ग्राहकों को समानुपातिक आधार पर मुनाफाखोरी का पैसा वापस करें। ऐसे मामलों में जहां प्रभावित ग्राहकों की पहचान नहीं हो सकती है, उनमें वसूली का पैसा उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराना होगा। प्राधिकरण के सदस्यों के चयन के लिए एक खोज एवं चयन समिति बनायी जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि समिति दो महीने में प्राधिरकण के सदस्यों का चयन कर सकती है। प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा बाकी चार सदस्य संयुक्त सचिव स्तर के होंगे। इन सदस्यों के लिए जररी है कि वे केंद्रीय उत्पाद और सेवा शुल्क या राज्यों में कर विभाग के आयुक्त स्तर के पद पर अपनी सेवा दे चुके हों।