By नीरज कुमार दुबे | Sep 04, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल के बंधकों की रिहाई की मांग को लेकर यरूशलम में जनता ने अपने ही प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संघर्षविराम समझौता नहीं हो पाने के लिए नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराया है जिसके पलटवार में इजराइली प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर हमला बोल दिया है। वहीं ब्रिटेन ने भी इजराइल को दिये गये अपने कुछ हथियारों के लाइसेंसों को निलंबित कर दिया है। इस सब स्थिति को कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को रिहा कराने के लिए समझौता करने में इजराइल सरकार की विफलता पर इजराइली लोग एक बार फिर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश भर में लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं, जिनमें से कुछ अमेरिकी दूतावास और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के आवासों के बाहर भी एकत्र हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्तूबर में हमास द्वारा किए गए हमले के बाद इस पहली देशव्यापी हड़ताल ने देश को भी ठप कर दिया। उन्होंने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत छह बंधकों के शव मिलने के बाद हुई जिनकी हमास ने हत्या की थी और उसके कुछ समय बाद इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने उन्हें बरामद किया। नेतन्याहू ने मृतकों के परिजन से माफी मांगी जो एक दुर्लभ बात है। उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शन इजराइल के आम लोगों की एक बड़ी संख्या और उनकी निर्वाचित सरकार के बीच खराब होते संबंधों को दर्शाते हैं और इनमें सुधार अब असंभव प्रतीत होता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे जनवरी 2023 में इजराइल के इतिहास की सबसे अधिक दक्षिणपंथी सरकार के गठन के बाद से देश में बड़े पैमाने पर नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में प्रदर्शनकारियों ने न्यायिक प्रणाली में सुधार के सरकार के प्रस्तावों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए सड़कों पर कई बार मार्च निकाला। इन प्रस्तावों का उद्देश्य इजराइल के उच्चतम न्यायालय की शक्ति को सीमित करना था। उन्होंने कहा कि दक्षिणी इजराइल पर पिछले साल सात अक्तूबर को हमास के आतंकवादी हमले के बाद से बंधकों के परिवारों ने नियमित रूप से रैलियां निकाली हैं और सरकार से बंधकों को घर वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करने की मांग की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास ने करीब 250 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था। पिछले साल नवंबर में हमास के साथ बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के दौरान 100 से अधिक लोगों को रिहा किया गया था। माना जाता है कि करीब 100 लोग अब भी बंधक हैं, जिनमें से करीब 35 के मारे जाने की आशंका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता में युद्ध विराम वार्ता के अंतहीन दौर का युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। उन्होंने कहा कि हमास इस समझौते के लिए गाजा से इजराइल की पूर्ण वापसी पर जोर दे रहा है, जबकि इजराइल इस क्षेत्र के दो गलियारों में आईडीएफ की निरंतर उपस्थिति की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थों को समझौता होने की उम्मीद थी लेकिन नेतन्याहू ने हाल में अपना रुख कड़ा कर लिया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू राजनीतिक रूप से मुश्किल स्थिति में फंस गए हैं। उनके गठबंधन सहयोगी, दक्षिणपंथी मंत्री इटमार बेन-ग्वीर और बेजेल स्मोट्रिच ने धमकी दी है कि अगर नेतन्याहू हमास के साथ एक ऐसे समझौते को स्वीकार करते हैं, जो युद्ध में ‘‘पूर्ण जीत’’ की गारंटी नहीं देता है, तो वे सरकार गिरा देंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने नेतन्याहू पर अपने राजनीतिक अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए युद्धविराम समझौते की हर संभावना को जानबूझकर नष्ट करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बंधकों के जीवन को प्राथमिकता देने में सरकार की विफलता शीर्ष अधिकारियों की असंवेदनशीलता से और भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि जुलाई में नेतन्याहू ने भी कहा था, ‘‘बंधक पीड़ा झेल रहे हैं, लेकिन मर नहीं रहे।’’ लेकिन हालिया सप्ताह में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि नेतन्याहू गलत थे। गाजा के अंदर बंधकों के शवों की बढ़ती संख्या ने इजराइलियों को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि ताजा झटका 31 अगस्त को उस समय लगा जब आईडीएफ सैनिकों ने हमास द्वारा मारे गए छह बंधकों के शव बरामद किए। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन इस बात का सबूत हैं कि इजराइल में कई लोगों को लग रहा है कि उन्हें अपनी ही सरकार ने त्याग दिया है। उन परिवारों की उम्मीदें तेजी से धूमिल होती जा रही है, जिनके परिजन बंधक हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक ब्रिटेन की बात है तो उसने इजराइल को अपने 350 हथियार निर्यात लाइसेंसों में से 30 को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा है कि ब्रिटेन इजराइल के साथ अपने 350 हथियार निर्यात लाइसेंसों में से 30 को तुरंत निलंबित कर देगा क्योंकि जोखिम था कि ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लैमी ने कहा कि लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय पूर्ण प्रतिबंध या हथियार प्रतिबंध के समान नहीं है, बल्कि इसमें केवल वे शामिल हैं जिनका उपयोग गाजा के फिलिस्तीनी क्षेत्र में इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लैमी ने संसद को बताया कि बेशक, हम सुरक्षा खतरों के खिलाफ इजरायल की रक्षा करने की जरूरत को पहचानते हैं, लेकिन हम इजरायल द्वारा अपनाए गए तरीकों और नागरिकों के हताहत होने और विशेष रूप से नागरिक बुनियादी ढांचे के विनाश की रिपोर्टों से गहराई से चिंतित हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जुलाई में लेबर पार्टी के चुनाव जीतने के तुरंत बाद लैमी ने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटेन के सहयोगी इज़राइल को हथियारों की बिक्री पर एक समीक्षा अपडेट करेंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, इज़रायली विदेश मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने कहा है कि यह निर्णय निराशाजनक है और यह इस्लामी आतंकवादी समूह हमास और ईरान में उसके संरक्षकों को एक बहुत ही समस्याग्रस्त संदेश भेजता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हथियार निर्यात निलंबन के तहत शामिल वस्तुओं में लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर और ड्रोन सहित सैन्य विमान शामिल होंगे। लेकिन, एफ-35 लड़ाकू विमानों के हिस्सों को छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के विपरीत, ब्रिटेन की सरकार इज़राइल को सीधे हथियार नहीं देती है, बल्कि कंपनियों को हथियार बेचने के लिए लाइसेंस जारी करती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने इज़राइल को लड़ाकू जेट और अन्य सैन्य उपकरणों में 20 अरब डॉलर की बिक्री को मंजूरी दी थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्धविराम समझौते की कीमत के रूप में दक्षिणी गज़ान सीमा क्षेत्र में सैनिकों को रखने की अपनी मांग को नरम करने के आह्वान को खारिज करते हुए कहा है कि हमास के लिए एक प्रमुख जीवन रेखा को नियंत्रित करना इजरायल के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि मिस्र की सीमा से लगे गाजा पट्टी के दक्षिणी किनारे पर फिलाडेल्फी गलियारे का मुद्दा, गाजा में लड़ाई को रोकने और हमास द्वारा रखे गए इजरायली बंधकों को वापस करने के लिए एक समझौते को सुरक्षित करने के प्रयासों में एक प्रमुख बाधा रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास ने किसी भी इजरायली उपस्थिति को खारिज कर दिया है, जबकि नेतन्याहू ने जोर देकर कहा है कि इजरायल गलियारे को नहीं छोड़ेगा, जहां इजरायली सैनिकों ने दर्जनों सुरंगों का खुलासा किया है, उनका कहना है कि इनका इस्तेमाल गाजा में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए किया गया है। नेतन्याहू ने येरुशलम में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा भी है कि बुराई की धुरी को फिलाडेल्फी गलियारे की जरूरत है और इसी कारण से हमें फिलाडेल्फी गलियारे को नियंत्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू ने कहा है कि हमास इसी कारण से जोर दे रहा है कि हम वहां नहीं रहें और इसी कारण से मैं भी इस बात पर जोर देता हूं कि हम वहां रहें। उन्होंने कहा कि नेतन्याहू का मानना है कि अगर इजराइल को गलियारे से बाहर निकलना पड़ा, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण वापस लौटना मुश्किल हो जाएगा।