सदन को भंग करने का केपी शर्मा ओली का कदम असंवैधानिक था: न्यायमित्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा

FacebookTwitterWhatsapp

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 20, 2021

सदन को भंग करने का केपी शर्मा ओली का कदम असंवैधानिक था: न्यायमित्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के खिलाफ एक मामले में न्याय मित्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय के सामने दलील दी कि प्रतिनिधि सभा को भंग करने का उनका कदम असंवैधानिक था। मीडिया में आई एक खबर से यह जानकारी मिली। नेपाल में पिछले साल 20 दिसंबर को ओली ने चौंकाने वाला कदम उठाते हुए प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया, जिसकी वजह से देश में राजनीतिक संकट आ गया। ओली ने यह कदम ऐसे समय में उठाया जब उनके प्रतिद्वंद्वी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और उनके बीच सत्ता की खींचातानी चल रही है। प्रंचंड के नेतृत्व में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े तबके ने 275 सदस्यों के सदन को भंग करने के कदम का विरोध किया। 

इसे भी पढ़ें: श्रीलंका और नेपाल में बीजेपी की सरकार बनाने का क्या है अमित शाह का प्लान, त्रिपुरा CM ने किया खुलासा 

‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के मुताबिक इस मामले की सुनवाई 23 दिसंबर से ही उच्चतम न्यायालय में जारी है। इस मामले की सुनवाई न्याय मित्र के अंतिम सदस्य की जिरह के बाद शुक्रवार को पूरी होनी थी। न्यायमित्र के पांच सदस्यों में से एक वरिष्ठ वकील पूर्णमान शाक्य ने कहा कि नेपाल का संविधान देश के कार्यकारी प्रमुख को सदन को भंग करने के अधिकार से वंचित रखता है। उन्हें खबर में यह कहते हुए उद्धृत किया गया, ‘‘ यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि संवैधानिक मुद्दा है। अदालत को इसे उसी अनुसार देखना चाहिए।’’ प्रचंड और ओली समूह दोनों ही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण का दावा करती है और यह मामला निर्वाचन आयोग के पास है।

प्रमुख खबरें

Dekh Dilli Ka Haal: कृष्णा नगर में कितना हुआ काम, किन मद्दों पर वोट करेगी जनता

Dekh Dilli Ka Haal: कृष्णा नगर में कितना हुआ काम, किन मद्दों पर वोट करेगी जनता

जिला प्रभारी मंत्री पद विवाद पर मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री करेंगे फैसला : Aditi Tatkare

दिल्ली उच्च न्यायालय ईडी के समन के विरूद्ध Kejriwal की याचिका पर 23 अप्रैल को करेगा सुनवाई

Akhilesh ने महाकुंभ में कैबिनेट बैठक को लेकर आलोचना की, इसे सियासी कदम करार दिया