By अभिनय आकाश | May 24, 2022
भगवान कृष्ण जब महाभारत के युद्ध को रोकने के लिए कौरवों के दरबार में जाते हैं तो आधे-आधे के राजपाट के दावों के बीच पांच गांव पर भी तैयार हो जाते हैं। कृष्ण के इस उपक्रम को कूटनीति कहा गया। माना जाता है कि दुनिया के बड़े से बड़े विवाद कूटनीति और बातचीत के जरिये सुलझ सकते हैं। ये कूटनीति है जिसके जरिए बड़े से बड़े विवादों के दौरान सामरिक सहयोग, आपसी दोस्ती, साझेदारों को तैयार करने का जतन होता है। बातचीत ही वो जरिया है जो दुश्मन के खिलाफ दोस्तों को भी साथ ले आता है। हिंदुस्तान की कूटनीति के लिहाज से 23 मई और 24 मई का दिन काफी अहम रहा। प्रधानमंत्री मोदी दो दिन के जापान दौरे पर हैं। क्वाड की मीटिंग में शामिल भी हुए। लेकिन आज बात वर्तमान की कूटनीति की नहीं बल्कि आजाद भारत के बाद जापान के साथ उसके रिश्तों को लेकर करेंगे।
नेहरू ने उपहार में हाथी भेजा
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1949 में जापान को पहला हाथी भेजा था, जिसका नाम उनकी सुपुत्री इंदिरा गांधी के नाम पर इंदिरा रखा गया था। हाथी को टोक्यो के यूनो चिड़ियाघर में 'जापान के बच्चों के लिए' उपहार के रूप में भेजकर नेहरू ने अपनी कूटनीति का परिचय दिया था। दरअसल, टोक्यो के चिड़ियाघर में मौजूद हाथी द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतिम समय में मित्र राष्ट्रों द्वारा जापान पर की बमबारी में अनेक दूसरे जानवरों के साथ मारे जा चुके थे। 18 जून 1949 को विदेश सचिव को लिखे एक नोट में नेहरू ने लिखा कि ‘आपने जापानी बच्चों द्वारा भेजे गए उन पत्रों को देखा होगा, जिसमें उन बच्चों ने टोक्यो के चिड़ियाघर के लिए हाथी भेजने की बात कही है। आखिरकार, जापानी बच्चों की मांग को पूरा करते हुए गांधी जयंती से ठीक एक दिन पूर्व 1 अक्तूबर 1949 को हाथी का एक बच्चा जापान को भारत द्वारा भेंट दिया गया। हाथी चिड़ियाघर का सितारा आकर्षण और जापान के प्रति भारतीय मित्रता का एक स्थायी प्रतीक बन गया। भारत और जापान के बीच राजनयिक रिश्ते तो स्थापित हुए।
भारत और जापान के बीच एक बड़ी समानता
भारत और जापान एशिया के दो अलग-अलग देश हैं और दोनों देशों के बीच लगभग 6 हजार किलोमीटर की दूरी है। हालांकि भारत और जापान के बीच एक बहुत बड़ी समानता ये है कि दोनों देशों की सीमाएं चीन से लगती हैं। चीन भारत की तरह जापान को भी एक प्रतिद्ववंदी देश के तौर पर देखता है। भारत क्षेत्रफल के मामले में जापान से लगभग 10 गुना बड़ा है। जापान का क्षेत्रफल 307700 वर्ग किलोमीटर जबकि भारत का क्षेत्रफल 3208700 वर्ग किलोमीटर। जापान क्षेत्रफल के मामले में लगभग भारत के राज्य राजस्थान के बराबर है।