बिहार में सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक रहा NDA का शासनकाल: राजीव रंजन
By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 27, 2020
पटना। बिहार में चुनावी शोर के बीच जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा दिया। इस दौरान उन्होंने नीतीश सरकार द्वारा बिहार में किए गए विकास के कार्यों को समझाया और कहा कि NDA शासनकाल में सामाजिक और सौहार्द का माहौल रहा है। पढ़िए राजीव रंजन प्रसाद के संबोधन की मुख्य बातें: -
- भारत के संविधान ने 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया है। इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है और हर मतदाता को तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद ही अपना वोट देना चाहिए। कानून के राज की बदौलत माहौल सुधरा। लेकिन बिहार की जनता कभी नहीं भूल सकती है कि पहले गांव का वातावरण कैसा था सामूहिक नरसंहार बिल्कुल आम थे। लोग भय से पलायन को मजबूर थे।
- राजद महिला सशक्तिकरण का मतलब था लालू जी के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी जी का रबड़ स्टांप की तरह मुख्यमंत्री बन जाना। राजद के लिए महिला सशक्तिकरण के ब्रांड एंबेसडर रहे हैं , राजबल्लभ यादव अरुण यादव और न जाने कितने लोग जिन लोगों पर इतने संगीन आरोप लगे हैं और बहुत मामलों में सिद्ध भी हुए हैं।
- राजद की सरकार में महिलाएं और बेटियां घर से बाहर निकलने में डरती थी लेकिन नीतीश कुमार के राज में बेटियों ने पर्दा प्रथा को तोड़कर घर से बाहर निकलना शुरु कर दिया। नितीश कुमार जी ने सरकारी नौकरी में 35% आरक्षण पंचायत के चुनाव में 50% आरक्षण बेटियों को पढ़ने के लिए इतनी सुविधाएं देना सायकल योजना पोशाक योजना छात्रवृत्ति योजना से लाभ लेकर आज बिहार के हर थाने में आपको बिहार की बेटियां दिखाई पड़ेगी।
- राजद 1990 से लेकर 2005 तक के अपने चुनावी अभिभाषण में इस बात पर जोर देता रहा की 1500 से ज्यादा आबादी वाले गांव में जल निकासी स्वच्छ पेयजल और सड़कों का इंतजाम करेंगे इसके बदले किया क्या यह सब लोग जानते हैं नीतीश कुमार जी ने अपने 7 निश्चय में इन कार्यों को पूरा किया है।
- एक तरफ नीतीश कुमार जी ने बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री होकर भी साहस दिखाया और महात्मा गांधी जी जननायक कर्पूरी जी श्री कृष्ण सिंह जी पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जी की विचारधारा के अनुरूप बिहार में शराबबंदी लागू किया जिससे बिहार का माहौल सुधरा और घरेलू हिंसा के मामलों में इतनी कमी आयी।
- दूसरी तरफ शराबबंदी को खत्म करने वाले यह लोग अपनी महिला विरोधी मानसिकता को उजागर करते हैं बिहार की जनता इनसे पूछना चाहती है कि यह लोग बताएं कि शराब उपलब्ध होने के क्या फायदे हैं?
- राजस्व के लिए क्या नई पीढ़ी को नशे की दलदल में धकेल देना चाहिए ताकि वह अपराध करने में भी नहीं हिचकिचाए?
- पहले बिहार में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए दिन में सफर करना पड़ता था मीडिया के लोग इस बात की गवाह है लेकिन अब बिहार में ऐसी सड़कें हैं कि लोग कहीं जाने के लिए सुबह निकलते हैं और आप वापस चले आते हैं।
- तेजस्वी जी बिहार की जनता आपसे पूछ रही है कि पहले बिहार लालटेन युग में था और अब हर घर में हर गांव में बिजली उपलब्ध है। रोजगार को मुद्दा बनाते हैं और अपने आंकड़े नहीं देखते हैं झारखंड में भी महागठबंधन की सरकार है जिसके आप पार्ट है उस सरकार ने भी 6 महीने में सभी रिक्त पदों की बहाली के लिए वायदा किया था लेकिन 9 महीने बाद भी कुछ नहीं हो पाया है।
- नौकरी देने के नाम पर आपके परिवार का इतिहास बहुत काला रहा है पैसा उगाही जमीन लिखवाना इसके न जाने कितने मामले हैं।
- तेजस्वी यादव जी को बिहार के युवाओं को बताना चाहिए कि उन्होंने ऐसा कौन सा व्यवसाय किया है जिससे इतने कम समय में वे इतने धनी हो गए हैं
- एक तरफ दलितों के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री जी ने अपने कार्य की दूसरी तरफ यह लोग जात पात की राजनीति कर समाज को बांटना चाहते हैं
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज के हर तबके को लेकर चलते हैं और दूसरी तरफ राजद के राजकुमार रोहतास में अपनी चुनावी सभा में विवादित बयान देते हैं सवालों के खिलाफ बोलते हैं राजद वही पार्टी है जिसने सदन में भी गला फाड़ फाड़ कर सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था। भूरा बाल साफ करो का नारा देने वाले लालू जी ही थे।फिर भी
- इनके कुछ नेता सवर्णों के हितेषी बनने का ढोंग करते हैं।
- पहले बिहार चरवाहा विद्यालय के दौर में थाऔर अब हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज 15 नए मेडिकल कॉलेज 65 नए एएनएम कॉलेज 28 परा मेडिकल कॉलेज 30 पॉलीटिकल कॉलेज कई प्राइवेट और सरकारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी खुली।
- पहले छात्रों के पास कोई सुविधा नहीं थी लेकिन नीतीश कुमार जी ने छात्रवृत्ति स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लाभ दिया जिससे 98721 छात्र लाभान्वित हुए और इस पर 143 करोड़ 57लाख खर्च किए गए।
- राजद ने अपने घोषणा पत्र में कानून व्यवस्था की चर्चा नहीं किया शायद शर्म को भी थोड़ी शर्म आ गई होगी अपने कार्यकाल को याद करके।
- अंत में हम कहना चाहेंगे कि सच में यह तुलना 15 साल के भय बनाम 15 साल के भरोसे का है और लोगों ने जिसे पररखा है उसे ही चुनना चाहिए।