By टीम प्रभासाक्षी | Jul 27, 2021
विकास और प्रौद्योगिकी के इस बदलते दौर में मोबाइल मानव जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। कोई इसे खुद से दूर नहीं करना चाहता है। इसी का नतीजा है कि माता-पिता की देखा-देखी आज छोटे-छोटे बच्चे भी इसके आदी हो गए है। हाल ही में एक सर्वे के दौरान ये सामने आया है 30 प्रतिशत से अधिक 8 से 18 वर्ष के बच्चों के पास अपना खुद का स्मार्ट फ़ोन है। यही नहीं 10 वर्ष की उम्र के 37 प्रतिशत बच्चे फेसबुक तथा 24 प्रतिशत बच्चे इंस्टाग्राम का प्रयोग करते हैं। साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के एक अध्ययन में पाया गया है कि 10 साल की उम्र के 37.8 फीसदी बच्चों का फेसबुक अकाउंट है और इसी वर्ग के 24.3 फीसदी बच्चे इंस्टाग्राम पर एक्टिव हैं।
स्टडी के मुताबिक 10 साल की उम्र के करीब 37.8 फीसदी बच्चों का फेसबुक अकाउंट है और 24.3 फीसदी बच्चे इंस्टाग्राम पर सक्रिय हैं। एनसीपीसीआर के इस अध्ययन में एक दिलचस्प बात यह सामने आई है कि ज्यादातर बच्चों की अपने माता-पिता के मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया और इंटरनेट तक पहुंच है। इस अध्ययन में 3,491 बच्चे, 1534 अभिभावक, 786 शिक्षकों समेत 60 स्कूल शामिल थे।
बच्चे के व्यवहार में बदलावमोबाइल का लगातार इस्तेमाल बच्चे के व्यवहार में बदलाव का भी कारण बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक मोबाइल की लत बच्चे में किसी अन्य काम में उसका ध्यान केंद्रित नहीं होने देती इसके साथ ही इंस्टाग्राम फेसबुक जैसी एप्स ने बच्चों के अंदर इस लत को और बढ़ावा दिया है।आज हज़ारो लाखों तरह की गेम्स है जिन्हे बच्चे खेलते है तो चाहकर भी उनसे दूर नहीं हो पाते साथ ही यह बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डालते हैं।बच्चों पर मोबाइल का असर इस कदर बढ़ गया है कि अगर एकदम से उनसे मोबाइल दूर करने की कोशिश करेंगे तो संभावना है कि उसके मन में आपके प्रति नकारात्मक भाव पैदा हों, वह चिड़चिड़ा भी हो जाए या इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करे।
बच्चों के ऊपर हो रहे नकारात्मक प्रभाव कि वजह से दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने अगली पीढ़ी के इंटरनेट यूजर्स के बीच अपनी पैठ बनाने की तैयारी अभी से शुरू कर दिया है. इसके लिए फेसबुक इंस्टाग्राम का नया वर्जन तैयार कर रहा है। 13 साल से कम उम्र के बच्चों को ध्यान में रखते हुए इस वर्जन को तैयार किया जा रहा है। इस ऐप के बारे में एक दिन पहले ही कंपनी में ऐलान कर दिया गया है लेकिन क्या वाकई में इन सब से हम बच्चों को स्मार्ट फ़ोन की लत से बचा सकते हैं ?