महाराष्ट्र के इस चुनाव में बीजेपी के साथ हाथ मिला NCP ने कांग्रेस के साथ कर दिया बड़ा खेल, पवार-पटोले के बीच छिड़ी जुबानी जंग

By अभिनय आकाश | May 13, 2022

राजनीति में कोई स्थाई शत्रु या मित्र नहीं होता। कुछ स्थाई होता है तो वह है हित जहां जिसका हित जहां सधा वो उस पाले में चला जाता है। अब यह कहावत महाराष्ट्र में चरितार्थ हुई है। 11 मई को महाराष्ट्र के गोदिया जिले में परिषद का चुनाव हुआ। जिला परिषद में 53 में से 26 बीजेपी, 13 कांग्रेस, 6 एनसीपी, 4 जनता पार्टी और 2 निर्दलीय उमीदवार विजयी हुए। पद के लिए चुनाव हुआ तो शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। अध्यक्ष पद बीजेपी के पास चला गया और उपाध्यक्ष का पद एनसीपी को मिल गया। राज्य में भले ही कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना की महाकाली सरकार है लेकिन इस चुनाव के बाद कांग्रेस एनसीपी के आपसी मतभेद खुलकर सामने आए। स्थानीय चुनाव को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच जारी तनातनी बड़ी होती दिख रही है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बीच बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। 

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अपने हाथ में कुछ नहीं आने के बाद कांग्रेस की हालत खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो गई। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने एनसीपी को पीठ में छुरा भोंकने वाला करार दे दिया। नाना पटोले ने कहा कि ‘महा विकास आघाडी के घटक दलों के बीच लिखित समझौते का उल्लंघन करना और भंडारा तथा गोंदिया जिला परिषदों में अध्यक्ष और चेयरमैन के पदों के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाना धोखा देने जैसा था। यह पीठ में छुरा घोंपना नहीं था तो और क्या था। मेरा पॉलिटिकल बैकग्राउंड कोई सीक्रेट नहीं है। मैं जो करता हूं, खुलकर करता हूं।’ एनसीपी ने फैसला लेने में देरी की और अंत समय में बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया। मैं इसकी जानकारी पार्टी आलाकमान को दूंगा कि एनसीपी ने हमारे साथ कैसा व्यवहार किया।

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अब ऐसे में कांग्रेस की तरफ से इतने तीखे प्रहार किए गए तो एनसीपी भी भला कैसे चुप रहती। कमान संभाला शरद  पवार के भजीते और सूबे के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने और नाना पटोले को संभलकर बोलने की नसीहत दे डाली। अजीत पवार ने पटोले की हालिया पीठ में छुरा घोंपने वाली टिप्पणी को हास्यास्पद करार दिया। पटोले पर पलटवार करते हुएपवार ने आश्चर्य जताया कि क्या भारतीय जनता पार्टी को भी पहले उन पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने 2018 में कांग्रेस में शामिल होने के लिए भाजपा का दामन छोड़ दिया था। पवार ने यहां पत्रकारों से कहा कि जिम्मेदार नेताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बयानों का गलत अर्थ न निकाला जाए। पवार ने यह भी कहा कि राज्य के मौजूदा हालात में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 145 के जादुई आंकड़े को तभी पार कर सकती हैं, जब वह एक साथ हों। पवार ने कहा कुछ उदाहरण देने के लिए, हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने कुछ तालुका और जिला स्तरों पर (अतीत में) भाजपा के साथ गठजोड़ किया था। मैं इसे ज्यादा महत्व नहीं देना चाहता। लेकिन जिम्मेदार नेताओं को बोलते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनके टिप्पणियों का गलत अर्थ न निकले।  

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