By अभिनय आकाश | Jun 20, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायकों नवाब मलिक और अनिल देशमुख की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने जेल से अस्थायी रिहाई की मांग की थी, ताकि वे महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में मतदान कर सकें। न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाश पीठ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) की व्याख्या से संबंधित मुद्दे की जांच करने के लिए सहमत हो गई, जो जेल में बंद व्यक्तियों को मतदान करने से रोकती है।
पिछले हफ्ते देशमुख और मलिक की याचिकाओं को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। जस्टिस एन जे जमादार की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा था कि जेल में बंद लोगों के मतदान पर कानून के तहत पाबंदी है। इसलिए वे उन्हें वोट डालने की अनुमति नहीं दे सकते। मलिक और देशमुख अलग-अलग मामलों में धन शोधन और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हैं। सुनवाई के दौरान, मलिक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा था कि मंत्री का मामला मतदान के लिए न्यायिक हिरासत में रहते हुए सुरक्षा घेरे में जाने देने का एक सामान्य अनुरोध है।
महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव के लिए मतदान सोमवार शाम 4 बजे समाप्त हो गया। विधान परिषद की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में ग्यारह उम्मीदवार मैदान में थे। भाजपा के पांच उम्मीदवार हैं- प्रवीण दरेकर, राम शिंदे, श्रीकांत भारतीय, उमा खपरे और प्रसाद लाड। कांग्रेस उम्मीदवार भाई जगताप और चंद्रकांत हंडोरे हैं। राकांपा उम्मीदवार रामराजे निंबालकर और एकनाथ खडसे हैं। शिवसेना के उम्मीदवार अमश्य पड़वी और सचिन अहीर हैं। महाराष्ट्र में 288 विधायकों में से 285 ने मतदान किया, क्योंकि मलिक और देशमुख को भाग लेने की अनुमति नहीं थी और शिवसेना के एक विधायक रमेश लताके का पिछले महीने निधन हो गया था। अपने दोनों उम्मीदवारों को निर्वाचित कराने के लिए राकांपा के पास सिर्फ एक वोट की कमी है।